प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को कोरोना को लेकर सर्वदलीय बैठक बुलाई। इस बैठक में उन्होंने सभी दलों से अपील की वो राजनीतिक दल से ऊपर उठकर कोरोना से लड़े। पीएम मोदी की इस बैठक पर AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने ट्वीट कर कहा कि ईद से पहले इस बैठक को बुलाया जाना अपमानजनक है। दूसरों के त्योहारों के प्रति सम्मान की इतनी कमी क्यों?’
औवैसी ने मंगलवार को ट्वीट कर कहा कि ‘सरकार ने कोरोना (गलत) प्रबंधन पर नेताओं को संक्षिप्त करने के लिए सर्वदलीय बैठक बुलाई गई है। प्रधानमंत्री भी शिरकत करेंगे। यह अपमानजनक है कि इसे ईद से पहले शाम को निर्धारित किया गया है। इसे बुधवार शाम या गुरुवार की सुबह आसानी से निर्धारित किया जा सकता था। ‘
ओवैसी ने एक अन्य ट्वीट में सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि ‘दूसरों के त्योहारों के प्रति सम्मान की इतनी कमी क्यों है? मैं निश्चित रूप से शामिल होना चाहता था और जीवन बचाने में पीएम की कई विफलताओं को सूचीबद्ध करना चाहता था। अगर सुप्रीम कोर्ट ने हस्तक्षेप नहीं किया होता, तो हम कल्पना नहीं कर सकते कि स्थिति कितनी खराब होती।’
राष्ट्रीय उलेमा काउंसिल ने किया ओवैसी के ट्वीट का समर्थन
राष्ट्रीय उलेमा काउंसिल ने असदुद्दीन ओवैसी के ट्वीट का समर्थन किया है। राष्ट्रीय उलेमा काउंसिल के राष्ट्रीय प्रवक्ता तल्हा आमिर रशीदी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा आज से एक दिन पहले अति महत्वपूर्ण मुद्दे पर सर्वदलीय बैठक बुलाना बहुत ही अफसोस पूर्ण है। केंद्र सरकार जानबूझकर समाज को यह मैसेज देना चाहती है कि ईद जैसे एक महत्वपूर्ण पर्व पर वह बिल्कुल भी संवेदनशील नहीं है। सरकार को शाम को पूरे देश को ईद की मुबारकबाद देना चाहिए था।
उन्होंने कहा कि इस पर्व को बहुत से लोग मनाते हैं और इस बैठक में कई लोग शामिल नहीं हुए। प्रधानमंत्री से सवाल पूछना चाहता हूं, अगर दीपावली होती या होली होती है तो क्या प्रधानमंत्री मोदी इस तरीके की एक सर्वदलीय बैठक बुलाते? पीएम का नारा है सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास क्या वो यही नारा है।