22.5 C
London
Friday, May 10, 2024
Home Blog Page 524

सरकार विरोधी विद्रोह में भाग लेने वाले युवक को सऊदी अरब ने दी फांसी

दुबई, संयुक्त अरब अमीरात (एपी) – सऊदी अरब ने मंगलवार को एक युवक को फांसी दे दी, जिसे अल्पसंख्यक शियाओं द्वारा सरकार विरोधी विद्रोह में उसकी कथित भागीदारी के आरोप में दोषी ठहराया गया था। एक प्रमुख अधिकार समूह ने कहा कि उसके खिलाफ पूरा ट्रायल हुआ और दोषी साबित होने के बाद ही फांसी पर लटकाया गया!

एमनेस्टी इंटरनेशनल के अनुसार, यह स्पष्ट नहीं है कि 26 वर्षीय मुस्तफा बिन हाशिम बिन ईसा अल-दरविश को नाबालिग के रूप में किए गए अपराधों के लिए फांसी दी गई है या नहीं। अधिकार समूह ने कहा कि उन्हें 2011 और 2012 के बीच दंगों में कथित भागीदारी के लिए 2015 में हिरासत में लिया गया था। आधिकारिक चार्जशीट में उसके कथित अपराध होने की तारीखें नहीं बताई गई हैं, जिसका अर्थ है कि वह उस समय 17 वर्ष के हो सकते थे, या सिर्फ 18 वर्ष का हो सकता है।

हालाकि सऊदी अरब सरकार का कहना है कि अल-दरविश को 19 साल से अधिक उम्र के अपराधों के लिए दोषी ठहराया गया था और उसे फांसी पर चढ़ा दिया गया है, हालांकि उसके कथित अपराधों के लिए कोई विशेष तारीख नहीं दी गई है।

आपको बता दे की पिछले साल, सऊदी अरब ने नाबालिग के रूप में किए गए अपराधों के लिए लोगों को फांसी देने की अपनी प्रथा को रोक दिया था।

आंतरिक मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि पुलिस अधिकारियों को मारने के लिए एक सशस्त्र आतंकवादी प्रकोष्ठ के गठन में भाग लेने और पुलिस अधिकारियों को मारने का प्रयास करने, पुलिस गश्ती पर गोली चलाने और पुलिस को निशाना बनाने के लिए पेट्रोल बोम्ब बनाने के लिए दोषी पाए जाने के बाद उसे फाँसी दी गई है .

अन्य आरोपों में यह आरोप भी शामिल थे कि अल-दरविश ने किंग के खिलाफ सशस्त्र विद्रोह में भाग लिया और अराजकता और सांप्रदायिक संघर्ष को उकसाया। कथित रूप से अपराध पूर्वी प्रांत में हुए, जहां अधिकांश सऊदी तेल केंद्रित है और एक महत्वपूर्ण स्वदेशी शिया आबादी का इलाक़ा है। फांसी को प्रांत की प्रशासनिक राजधानी दमाम में अंजाम दिया गया।

मुस्लिम बुजुर्ग की पिटाई और दाढ़ी काटने के मामले में योगी सरकार ने Twitter पर ही दर्ज कर दी FIR

कट्टर इजरायलियो ने निकाली रैली, लगाए गए अरब विरोधी नारे, 6 फ़िलिस्तीनी गिरफ़्तार

इजरायल के कट्टर राष्ट्रवादी यहूदियों ने मंगलवार को कब्जे वाले पूर्वी यरुशलम के माध्यम से एक झंडा लहराते हुए मार्च शुरू किया, जो फिलिस्तीनियों के साथ तनाव का जोखिम उठाता है और इजरायल की नई सरकार के लिए एक प्रारंभिक चुनौती है।

कम से कम छह फिलिस्तीनियों को इजरायली बलों ने गिरफ्तार किया है, और दर्जनों पर हमला किया गया और दमिश्क गेट प्लाजा से जबरन हटा दिया गया जो पुराने शहर की ओर जाता है।

इजरायली पुलिस द्वारा दमिश्क गेट की ओर जाने वाली सड़कों पर लोहे के बैरियर स्थापित किए गए थे, जिसे फिलिस्तीनियों के प्रवेश को रोकने के लिए बंद कर दिया गया है।

झंडे का तथाकथित मार्च शहर के पूर्वी हिस्से पर इज़राइल के 1967 के कब्जे की सालगिरह मनाता है।

इज़राइल के आंतरिक सुरक्षा मंत्री ओमर बार-लेव ने कहा, “प्रदर्शन का अधिकार सभी लोकतंत्रों में एक अधिकार है।” “पुलिस तैयार है और हम सह-अस्तित्व के नाजुक धागे को संरक्षित करने के लिए अपनी शक्ति में सब कुछ करेंगे।”

फ़िलिस्तीनियों ने मार्च को उत्तेजक के रूप में देखा क्योंकि यहूदी बसने वाले कब्जे वाले क्षेत्र पर अपनी संप्रभुता दिखाते हैं। पिछले मार्च में “अरबों की मौत” के इजरायली नारे और पुराने शहर में फिलिस्तीनी घरों और दुकानों पर हमला शामिल है।

1967 के छह-दिवसीय युद्ध के बाद से पूर्वी यरुशलम पर इजरायल का कब्जा अधिकांश अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा मान्यता प्राप्त नहीं है, जो कहता है कि शहर की अंतिम स्थिति दोनों पक्षों के बीच बातचीत का विषय होना चाहिए।

यहूदियों ने पूर्वी येरूशलम में निकाला मार्च तक फिलिस्तीनियों में भी दिया जवाब, नई सरकार के लिए अग्नि परीक्षा

यरूशलम : सैकड़ों की संख्या में इजराइल के धुर राष्ट्रवादियों ने ताकत का प्रदर्शन करने के लिए मंगलवार को पूर्वी यरूशलम में परेड की। इस घटनाक्रम के कारण गाजा पट्टी में हमास के साथ युद्ध के महज कुछ ही सप्ताह बाद नये सिरे से हिंसा भड़कने का खतरा पैदा हो गया है।

वहीं, गाजा में फलस्तीनियों ने गुब्बारे छोड़ कर इसका जवाब दिया। उनकी इस गतिविधि से दक्षिणी इजराइल में कम से कम 10 स्थानों पर आग लग गई।

मार्च इजराइल की नयी सरकार के लिए तथा इजराइल और हमास के बीच 11 दिनों के युद्ध को खत्म करने वाली पिछले महीने की संधि के लिए एक परीक्षा साबित होगी।

फलस्तीनी इस मार्च को उकसावे वाली हरकत मान रहे हैं। हमास ने फलस्तीनियों से इस मार्च का प्रतिरोध करने की अपील की है।

संगीत की धुन के साथ सैकड़ों की संख्या में यहूदी राष्ट्रवादी दमिश्क गेट के सामने बढ़ने से पहले सैकड़ों मीटर तक एकत्र हुए। उनमे से कई के हाथों में इजराइली झंडे थे और वे नाच रहे थे तथा धार्मिक गीत गा रहे थे। हालांकि, इस बार की भीड़ पिछले महीने की परेड की तुलना में काफी कम नजर आई।

मार्च से पहले इजराइली पुलिस ने दमिश्क गेट के सामने के इलाके को खाली कराया, यातायात बंद कर दिया, दुकानों को बंद करने का आदेश दिया और युवा फलस्तीनी प्रदर्शनकारियों को वहां से भगा दिया। वहीं, फलस्तीनियों ने कहा कि छह लोगों को गिरफ्तार किया गया है और पुलिस के साथ झड़पों में पांच लोग घायल हो गये।

इस परेड ने इजराइल के नये प्रधानमंत्री नफ्ताली बेनेट के लिए एक शुरूआती चुनौती पेश कर दी है। बेनेट एक कट्टरपंथी इजराइली राष्ट्रवादी हैं।

इजराइली गठबंधन में शामिल होने वाले अरब गुट के पहले राजनीतिक दल राम पार्टी के नेता मंसूर अब्बास ने कहा कि मार्च राजनीतिक लक्ष्यों के लिए क्षेत्र में आग लगाने की कोशिश है।

फलस्तीनी प्राधिकार के प्रधानमंत्री मोहम्मद शतायेह ने मार्च को फलस्तीन के लोगों के खिलाफ आक्रमण करार दिया है।

इजराइली मीडिया की खबरों के मुताबिक, सेना को कब्जे वाले पश्चिमी तट पर और गाजा सीमांत में अलर्ट पर रखा गया है।

लगान को 20 साल पूरे होने पर आमिर खान ने जारी किया “लाल सिंह चड्ढा” के लुक का वीडियो

नई दिल्ली. भारतीय सिनेमा के लिए आज का दिन काफी खास है, क्योंकि ऑस्कर नामांकित फिल्म ‘लगान (Lagaan)’ ने आज 20 साल पूरे कर लिए हैं. इस कल्ट फिल्म ने न केवल भारतीय फिल्मों के लैंडस्केप को बदल दिया, बल्कि आमिर खान प्रोडक्शन की पहली सिनेमाई पेशकश भी थी, चूंकि फिल्म के साथ-साथ प्रोडक्शन बैनर भी अपनी 20वीं वर्षगांठ मना रहे है, तो अभिनेता-फिल्म निर्माता आमिर खान (Aamir Khan) ने एक विशेष वीडियो शूट किया, जिसे उनकी कंपनी की टीम ने अपने प्लेटफॉर्म पर साझा किया है.

वीडियो के माध्यम से, सुपरस्टार ने न केवल फिल्म के निर्माण और सफर में शामिल सभी लोगों को, बल्कि प्रशंसकों और सिनेमा के प्रति उत्साही लोगों को लगान को दिए प्यार के लिए धन्यवाद दिया है. सोशल मीडिया पर आज #MyLagaan ट्रेंड कर रहा है, क्योंकि नेटिजंस और सुपरस्टार के प्रशंसक 20 साल पहले ‘लगान’ देखने की अपनी यादें साझा कर रहे हैं.


वीडियो में आमिर एक सेना अधिकारी के रूप में कपड़े पहने हुए दिखाई दे रहे हैं, क्योंकि वह अपनी आगामी फिल्म ‘लाल सिंह चड्ढा’ की शूटिंग कर रहे थे, जिसके पैक-अप के बाद उन्होंने इस वीडियो के लिए शूटिंग की, जैसा कि उन्होंने इस वीडियो भी बताया है.

https://www.instagram.com/tv/CQJGx3GBhiY/?utm_medium=copy_link

अभिनेता ने यह भी साझा किया कि कैसे वह शूटिंग से वापस जा रहे थे और आज की स्थिति को देखते हुए, इस दिन को सभी के साथ मनाने के लिए वह एक कॉन्फ्रेंस वीडियो कॉल के माध्यम से संपूर्ण कास्ट और क्रू के साथ शामिल होंगे. आमिर खान ने हमेशा दुर्लभ उपस्थिति का चयन किया है और यहां तक ​​​​कि अपनी फिल्म ‘लाल सिंह चड्ढा’ पर ध्यान केंद्रित करने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से ब्रेक भी लिया है.

गाजियाबाद: बुजुर्ग मुस्लिम व्यक्ति की पिटाई के मामले में और दो लोग गिरफ्तार, पुलिस ने बताया ताबीज का मामला

गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश), 15 जून जिले में एक बुजुर्ग मुस्लिम व्यक्ति की पिटाई करने और जबरन उनकी दाढ़ी काटने के आरोप में पुलिस ने और दो लोगों को गिरफ्तार किया है। पीड़ित व्यक्ति का दावा है कि उनकी पिटाई करने वालों ने उनसे ‘जय श्री राम’ का नारा लगाने को कहा था।

पुलिस ने इस मामले में साम्प्रदायिक पहलू होने से इंकार किया है। उनका कहना है कि सूफी अब्दुल समद की पिटाई करने वालों में हिन्दू-मुसलमान मिलाकर कुछ छह लोग शामिल थे और सभी उनके द्वारा बेचे गए ताबीज को लेकर नाखुश थे।

वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अमित पाठक ने कहा कि गिरफ्तार युवकों की पहचान कल्लू और आदिल के रूप में हुई है। इनके अलावा पॉली, आरिफ, मुशाहिद और परवेश गुर्जर को भी इस सिलसिले में गिरफ्तार किया गया है।

गाजियाबाद पुलिस ने इससे पहले गुर्जर को गिरफ्तार किया था, सूफी के पिटाई की घटना उसके आवास पर हुई थी। पांच जून को हुई घटना के दो दिन बाद भारतीय दंड संहिता की धारा 342, 323, 504 और 506 में मामला दर्ज किया गया।

सूफी ने अपनी शिकायत में यह नहीं कहा था कि उनकी दाढ़ी काटी गई और उनसे जबरन ‘जय श्री राम’ बुलवाया गया।

पुलिस अधीक्षक देहात इराज राजा ने बताया कि पुलिस अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए छापे मार रही है और उन्हें जल्दी ही पकड़ लिया जाएगा।

उन्होंने बताया कि तंत्र-मंत्र साधना करने वाले सूफी ने गुर्जर को उसके परिवार के कुछ सदस्यों को बुरी नजर से बचाने के लिए कुछ ताबीज दिए थे, लेकिन उससे कुछ फर्क नहीं पड़ने के कारण दोनों के बीच कहासुनी हो गयी।

सोशल मीडिया पर वायरल हुए कथित वीडियो में गाजियाबाद के लोनी क्षेत्र में चार लोग सूफी की पिटाई करते, उनकी दाढ़ी काटते और उनसे ‘जय श्री राम’ का नारा लगाने को कहते हुए दिख रहे हैं।

इजरायल: हारने के बाद भी पीएम के लिए लगी कुर्सी पर बैठ गया नेतन्याहू तो वापिस उठाया

इजराइल की संसद में नई सरकार को स्थापित करने के लिए मतदान के बाद, बेंजामिन नेतन्याहू प्रधानमंत्री की सीट पर वापस बैठ गए, लेकिन उन्हें अपनी नई जगह लेने के लिए कहा गया। 12 साल के लंबे कार्यकाल के बाद इजरायल के पीएम की सीट अब नेतन्याहू की नहीं थी, क्योंकि बहुमत के के साथ उनके प्रतिद्वंद्वियों द्वारा गठित हॉजपॉज गठबंधन ने इसे जीत लिया है। नफ्ताली बेनेट को देश का नया प्रधानमंत्री बनाया गया है।

वायरल हुए इस वीडियो में नेतन्याहू को विजेताओं के जश्न के बाद पीएम की सीट पर बैठे हुए दिखाया गया है। हालांकि बाद में उन्हें हटने के लिए कहा गया। कई इंटरनेट उपयोगकर्ताओं के अनुसार, “पुरानी आदतें मुश्किल से जाती हैं।”

इज़राइल के प्रधानमंत्री के रूप में बेंजामिन नेतन्याहू के 12 साल का कार्यकाल 13 जून को समाप्त हो गया। आठ दलों के गठबंधन से उन्हें हार का सामना करना पड़ा है। वह अपने उत्तराधिकारी नफ्ताली बेनेट के साथ एक फोटोशूट में भी शामिल नहीं हुए। रिपोर्टों के अनुसार, नेतन्याहू ने फोटोग्राफरों को दक्षिणपंथी पार्टी के नेताओं के साथ अपनी सोमवार की बैठक के किकऑफ को कैप्चर करने की अनुमति दी, जिन्होंने उनका समर्थन किया और वे अब विपक्ष का हिस्सा हैं।

14 जून को ताजा बैठक के दौरान इजरायल के पूर्व पीएम ने कहा कि नई सरकार ज्यादा दिन तक सत्ता पर काबिज रहने में सफल नहीं होगी। 71 वर्षीय नेतन्याहू ने अपने अंतिम संदेश को दोहराया कि गठबंधन “धोखाधड़ी, घृणा और सत्ता की तलाश” पर स्थापित किया गया था और कहा कि यह लंबे समय तक चलने के लिए ‘बहुत खंडित’ था।

इसके अलावा, इजरायल के प्रधानमंत्री नफ्ताली बेनेट के नाम लिए बिना, 71 वर्षीय नेतन्याहू ने कहा है कि साप्ताहिक गुट की बैठकों से पहले हर सोमवार दोपहर 2:30 बजे विपक्ष की इसी तरह की बैठकें होंगी। नेतन्याहू को इजरायल के सांसद मिकी जोहर ने प्रधानमंत्री के रूप में पेश किया और कहा, “मेरे लिए, आप हमेशा प्रधानमंत्री रहेंगे।”

भारत की हज समिति ने इस साल की यात्रा के लिए रद्द किए सारे आवेदन

सऊदी अरब की ओर से हज यात्रा को समिति किए जाने के बाद भारत की हज कमेटी ने इस साल की यात्रा के लिए प्राप्त सारे आवेदन को रद्द कर दिया है। दरअसल, सऊदी अरब ने कहा है कि कोरोना वायरस के चलते इस साल की हज यात्रा 60,000 लोंगों तक ही समिति होगी और ये सभी स्थानीय होंगे।  सऊदी अरब ने शनिवार को अपनी सरकारी सऊदी प्रेस एजेंसी में यह घोषणा की। इस निर्णय के लिए हज और उमराह मंत्रालय का हवाला दिया है।

बता दें कि पिछले साल, सऊदी अरब में पहले से रह रहे लगभग एक हजार लोगों को ही हज के लिये चुना गया था। सामान्य हालातों में हर साल लगभग 20 लाख मुसलमान हज करते हैं। बयान में कहा गया है कि इस साल हज जुलाई के मध्य में शुरू होगा। इसमें 18 से 65 साल की आयु के लोग हिस्सा ले सकेंगे।

मंत्रालय ने कहा कि हज यात्रियों के लिए टीका लगवाना अनिवार्य है। बयान में कहा गया है, ‘सऊदी अरब इस बात की पुष्टि करता है कि उसने हाजियों के स्वास्थ्य व सुरक्षा और उनके देशों की सुरक्षा के बारे में निरंतर विचार-विमर्श के बाद यह फैसला लिया है।’

पहुंचते हैं हर साल 20 लाख लोग
मक्का में हज के लिए हर साल 20 लाख से अधिक लोग पहुंचते हैं, जिनमें कई विदेश से आते हैं। कोरोना वायरस के फैलने से पहले साल 2019 में लगभग 2 लाख भारतीय मुसलमानों ने हज किया था। लेकिन इस बार कोरोना वायरस महामारी को देखते हुए सऊदी अरब ने यात्रियों की संख्या को सीमित कर दिया है।

यूपी: धर्मांतरण कानून के तहत गिरफ्तार युवक को इलाहबाद हाई कोर्ट ने दी जमानत, लड़की को लगाई फटकार

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश धर्मांतरण कानून के तहत चार्ज झेल रहे एक व्यक्ति को जमानत दे दी है. इस व्यक्ति पर अपनी पार्टनर को जबरन धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर करने और दुष्कर्म करने का आरोप है. इंडिया टुडे के रिपोर्टर अभिषेक मिश्रा की ख़बर के मुताबिक जस्टिस राहुल चतुर्वेदी की सिंगल जज बेंच ने कहा कि अभी तक पीड़िता का धर्म परिवर्तन तो हुआ ही नहीं है. साथ ही अदालत ने ये भी कहा कि

“याचिकाकर्ता (जमानत याचिका) और पीड़िता पिछले करीब 4 साल से रिलेशन में थे. तब इस संबंध में (धर्मांतरण का) कोई कानून नहीं था और न ही पीड़िता की तरफ से कोई आपत्ति थी. कानून आने के बाद अचानक से वह अपने अधिकारों को लेकर जागरूक हो गईं. पिछले 4 साल में उन दोनों के बीच जो भी संबंध रहे, उसमें पीड़िता स्वेच्छा से शामिल रहीं.”

पीड़िता और आरोपी महोबा के एक मोहल्ले में साथ रहते थे. पीड़िता का आरोप है कि इस दौरान आरोपी ने उसके कुछ आपत्तिजनक फोटोग्राफ्स और वीडियो लिए और बाद में इसके दम पर वो ब्लैकमैल करता था और शारीरिक संबंध बनाता था.

इसके अलावा ये बात भी रिकॉर्ड में आया कि पिछले साल 8 दिसंबर को पीड़िता की शादी किसी और व्यक्ति से हो गई थी. शादी के बाद वह दिल्ली चली गई. इसके कुछ समय बाद पीड़िता दिल्ली से वापस उरई आ गई और तब वह आरोपी के साथ थी. इसी के बाद उसने आरोप लगाया कि आरोपी उस पर धर्म परिवर्तन का दबाव डाल रहा है. इन सारे तथ्यों को नज़र में रखते हुए कोर्ट ने आरोपी को जमानत देने का फैसला किया.

UP का धर्मांतरण कानून

बता दें कि उत्तर प्रदेश सरकार इसी साल जनवरी में धर्मांतरण कानून (Uttar Pradesh Prohibition of Unlawful Conversion of Religion Ordinance, 2020 ) लाई थी. इस कानून के आने के बाद इलाहाबाद हाई कोर्ट में इसे रद्द करने की मांग को लेकर एक याचिका भी लगी थी. इसके जवाब में सरकार ने कोर्ट में जो हलफनामा दाखिल किया, उसमें कहीं भी ‘लव जिहाद’ शब्द का जिक्र नहीं था. हलफनामे के अनुसार लव जिहाद के नाम से किसी को भी गिरफ्तार करने का प्रावधान नहीं है.

इस हलफनामे में यूपी सरकार यह समझाने की कोशिश करती दिखती है कि कानून को एक खास वजह से लाया गया है और इसके दुरुपयोग का खतरा नहीं है. सरकार का कहना है कि यह कानून गलत बयानी, ताकत, अनुचित प्रभाव, जबरदस्ती, पैसे देकर या दूसरे तरीकों से धोखाधड़ी करने और शादी के नाम पर धर्म परिवर्तन को रोकने के लिए है.

कंगना रनौत को झटका, हाईकोर्ट ने पासपोर्ट मामले में तुरन्त सुनवाई से किया इन्कार

मुंबई. एक्ट्रेस कंगना रनौत (Kangana Ranaut) को पासपोर्ट रिन्यूअल (Passport Case) मामले में बंबई हाईकोर्ट से राहत नहीं मिली है. हाईकोर्ट ने इस मामले पर तुरंत सुनवाई से इनकार करते हुए सुनवाई को 25 जून तक टाल दिया है. रीजनल पासपोर्ट ऑफिस ने कंगना के पासपोर्ट पर आपत्ति जताते हुए उसे रिन्यू करने से मना कर दिया है. इसके बाद इसे लेकर कंगना ने बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay Highcourt) में अर्जेंट हियरिंग के लिए याचिका दाखिल की थी.

कंगना रनौत ने याचिका में कहा था कि इस मामले पर अर्जेंट सुनवाई हो, क्योंकि उन्हें फिल्म ‘धाकड़’ की शूटिंग के लिए विदेश रवाना होना है. हालांकि, कोर्ट ने फौरी तौर पर कोई भी राहत देने से इनकार कर दिया है. हाईकोर्ट ने कंगना को नये तरीके से याचिका दाखिल करने का निर्देश दिया है

हाईकोर्ट ने कहा कि उन्होंने गलत तरीके से याचिका दाखिल की है. हाईकोर्ट ने पूछा कि जब पासपोर्ट की मियाद खत्म हो रही है, यह जानते हुए भी आखिरी क्षणों में याचिका क्यों दाखिल की? बता दें कि कंगना के खिलाफ राजद्रोह का मामला दर्ज होने के बाद उनका पासपोर्ट रिन्यूअल नहीं हुआ था.

वकील रिजवान सिद्दीकी ने कोर्ट में कंगना रनौत का पक्ष रखा. उन्होंने कहा कि पासपोर्ट ऑफिस ने रिन्यू के लिए फॉर्म भरते समय कहा है कि इसे नहीं किया जा सकता. इसे लेकर लिखित तौर पर कुछ नहीं है, ये सब मौखिक हुआ है. पासपोर्ट अथॉरिटी ने कहा है कि अगर हाईकोर्ट से NOC मिलता है फिर उसे वो रिन्यू करेंगे.

इसपर हाईकोर्ट ने कहा- ‘एप्लिकेशन में ऐसा कुछ नहीं हुआ है, ये सब मौखिक है. पासपोर्ट रिन्यू का काम पासपोर्ट अथॉरिटी का है किसी PSI का नहीं.