Bageshwar Dham MP: बागेश्वर धाम के प्रमुख धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के खिलाफ राजस्थान के उदयपुर जिले में मुकदमा दर्ज कराया गया है. ये मुकदमा उनके खिलाफ भड़काऊ भाषण देने व भावनाओं को आहत पहुंचाने पर दर्ज किया गया है. उदयपुर के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक चंद्रशील ठाकुर ने बताया कि उदयपुर के गांधी मैदान में बृहस्पतिवार को आयोजित एक धर्म सभा कार्यक्रम के दौरान उनके कथित भड़काऊ भाषण को लेकर हाथीपोल थाने में मुकदमा दर्ज किया गया है. कार्यक्रम में धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कथित तौर पर कहा था कि कुंभलगढ़ में 100 हरे झंडे हैं, जिन्हें भगवा से बदला जाना चाहिए, ये भगवा का देश है ना कि हरा का.
भारतीय दंड संहिता की धारा में दर्ज हुआ मुकदमा
धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के इस भाषण के बाद उदयपुर पुलिस ने स्वत: मामले को संज्ञान में लेते हुए धीरेंद्र शास्त्री के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 153 ए के तहत मामला दर्ज किया है. वहीं दूसरी तरफ उदयपुर के केलवाड़ा इलाके में 5 लोगों को उस समय गिरफ्तार किया गया है, जब वो लोग कुंभलगढ़ में एक धार्मिक स्थान पर झंडे हटाने और उनकी जगह भगवा झंडे लगाने की कोशिश कर रहे थे. केलवाड़ा थाना के थानाधिकारी मुकेश सोनी ने बताया कि आरोपियों को कुंभलगढ़ शहर के पास एक धार्मिक स्थल पर झंडे हटाने का प्रयास करते हुए पकड़ा गया है. सभी के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है. माैके पर कुछ पुलिस फाेर्स भी तैनात कर दी गई हैं.
लगातार चर्चा में है धीरेंद्र शास्त्री
बागेश्वर धाम के प्रमुख धीरेंद्र शास्त्री इन दिनों अपने चमत्कारों की वजह से लगातार चर्चा में बने हुए हैं. उनके चमत्कारों की चर्चा पूरे देश में है. वह अपनी कथा के दौरान भक्तों के सवाल पहले से ही एक कागज में लिखकर रख लेते हैं और उसमें उपाय भी लिख देते हैं. जब कोई भक्त उनके पास अपनी समस्या लेकर आता है तो वह उसके नाम का पर्चा निकाल देते हैं. उनके इस चमत्कार की चर्चा हर जगह हो रही है. हालांकि बाबा के इस चमत्कार का कुछ लोगों ने विरोध भी किया है.
चार साल पुराने एक आपराधिक मानहानि में दो साल की सज़ा मिलने के एक दिन बाद शुक्रवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी की लोकसभा की सदस्यता रद्द कर दी गई है. लोकसभा सचिवालय ने एक अधिसूचना जारी करके यह जानकारी दी है. अधिसूचना में बताया गया है कि केरल की वायनाड लोकसभा सीट के सांसद राहुल गांधी को सज़ा सुनाए जाने के दिन यानी 23 मार्च, 2023 से अयोग्य करार दिया जाता है.ऐसा भारतीय संविधान के अनुच्छेद 102 (1) और जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत किया गया है.
इससे पहले, राहुल गांधी को सूरत की एक अदालत ने चार साल पुराने आपराधिक मानहानि के मामले में दो साल की सज़ा सुनाई थी.
कोर्ट ने 15 हज़ार का जुर्माना भी लगाया, साथ ही सज़ा को 30 दिन के लिए स्थगित किया गया था, यानी राहुल गांधी के पास सज़ा के ख़िलाफ़ ऊपरी अदालत में अपील करने के लिए एक महीने का समय है.
साल 2019 का ये मामला ‘मोदी सरनेम’ को लेकर राहुल गांधी की एक टिप्पणी से जुड़ा हुआ है जिसमें उन्होंने नीरव मोदी, ललित मोदी और अन्य का नाम लेते हुए कहा था, “कैसे सभी चोरों का सरनेम मोदी है?”
कोर्ट के इस फ़ैसले ने राहुल गांधी की लोकसभा की सदस्यता पर संकट मंडराने लगा था.
गुरुवार सुबह एक खबर आई कि आरिफ के दोस्त सारस (Arif Friend Sarus Recovered Video Viral) को जिस बर्ड सेंक्चुरी में देखा गया था, वो खो गया है और मिल नहीं रहा है. इसके बाद प्रशासन सकते में आ गया था.
आरिफ समेत बाकी लोगों को भी इस सारस की चिंता होने लगी थी. लोगों ने सोशल मीडिया पर लिखकर सारस के बारे में अपनी चिंता जताई थी. अब खबर आ रही है कि खोया हुआ सारस मिल गया है. सारस सुरक्षित है और उसे एक घर में रखा गया है.
बर्ड सेंक्चुरी से निकला ये सारस कुछ लोगों को मिला. वे सारस को अपने घर ले आए, उसे दाना-पानी दिया. इसका वीडियो खुद अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने शेयर किया है. साथ में बताया कि सारस को ‘बी सैया’ नाम के गांव के लोगों ने बचाया है. अखिलेश ने एक वीडियो शेयर किया. इसमें कुछ लोग सारस के साथ खड़े हैं और उसे खाना खिला रहे हैं. साथ में कहते नजर आ रहे हैं कि पक्षी विहार वाले भी इसे नहीं संभाल पा रहे थे. इसे कुत्ता काटने वाला था.’ ये वीडियो काफी देखा जा रहा है. देखें….
उप्र के पक्षी-प्रेमी ‘बी सैया’ नामक गाँव को बहुत धन्यवाद जिसने सारस को बचाया, खिलाया पिलाया और वो काम कर दिखाया, जिसमें उप्र की सरकार नाकाम रही।
सच तो ये है कि प्रेम से बड़ी सत्ता और कोई हो ही नहीं सकती… भाजपाई अगर समय रहते ये समझ लें तो शायद उनके अंदर की नफ़रत कुछ कम हो जाए। pic.twitter.com/7JZ5bywe8x
अखिलेश ने लिखा कि यूपी के पक्षी-प्रेमी ‘बी सैया’ नाम के गांव को बहुत धन्यवाद जिसने सारस को बचाया, खिलाया-पिलाया और वो काम कर दिखाया जिसमें यूपी सरकार नाकाम रही.’ इस ट्वीट पर लोग अलग-अलग कमेंट कर रहे हैं. मालूम हो कि यूपी के अमेठी के रहने वाले आरिफ की राज्य के राजकीय पक्षी सारस के साथ अपनी दोस्ती को लेकर काफी चर्चा में रहे थे. उनका वीडियो सामने आते ही अमेठी वन विभाग ने उसे अपने कब्जे में लिया और फिर आरिफ के घर से 50 किलोमीटर दूर छोड़ा था.
सूरत: कांग्रेस सासंद राहुल गांधी को 2019 में दर्ज ‘मोदी सरनेम’ वाले आपराधिक मानहानि के मामले में गुजरात के सूरत की जिला कोर्ट ने दोषी करार देते हुए दो साल की सजा सुनाई. हालांकि, बाद में राहुल गांधी को कोर्ट से जमानत मिल गई. यह मामला राहुल गांधी द्वारा दिए गए ‘मोदी उपनाम’ संबंधी टिप्पणी से जुड़ा है. राहुल गांधी को 30 दिनों के लिए जमानत देते हुए और निर्णय के खिलाफ अपील उच्च न्यायालय में करने की अनुमति दी गई. राहुल गांधी आज सुबह ही सूरत पहुंचे और राज्य में पार्टी के शीर्ष नेताओं ने उनका स्वागत किया.
राहुल के खिलाफ यह मामला उनकी उस टिप्पणी को लेकर दर्ज किया गया है, जिसमें उन्होंने कथित तौर पर कहा था, “क्यों सभी चोरों का समान उपनाम मोदी ही होता है?” इस मामले में जब फैसला सुनाया गया, तब कांग्रेस सांसद राहुल गांधी सूरत जिला न्यायालय में मौजूद रहे. इससे पहले उन्होंने कहा था कि कोर्ट उन्हें जो सजा देगी, वो उन्हें मंजूर होगी.
राहुल के इस विवादित बयान के खिलाफ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) विधायक और गुजरात के पूर्व मंत्री पुरनेश मोदी ने याचिका दायर की थी. वायनाड से लोकसभा सदस्य राहुल ने उक्त टिप्पणी 2019 के आम चुनाव से पहले कर्नाटक के कोलार में आयोजित जनसभा में की थी.
राहुल गांधी के वकील कीरिट पानवाला ने बताया कि मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट एचएच वर्मा की अदालत ने पिछले सप्ताह दोनों पक्षों की दलीलों की अंतिम सुनवाई की थी और फैसला सुनाने के लिए आज यानि 23 मार्च की तारीख तय की थी.
कानपुर के करौली बाबा संतोष सिंह भदौरिया (Santosh Singh Bhadoria) इन दिनों अपने बयानों के लिए सुर्खियों में बने हुए हैं. वो आए दिन कुछ न कुछ ऐसा कह रहे हैं, जिससे नया बवाल खड़ा हो रहा है.
वहीं अब उन्होंने रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध को लेकर एक बड़ी टिप्पणी की है. करौली बाबा का दावा है कि वे दोनों देशों के नेताओं की याददाश्त को मिटाकर युद्ध को रोक सकते हैं.
संतोष भदौरिया उर्फ करौली बाबा बीते दिनों तब सुर्खियों में आए थे जब एक शख्स ने उन पर अपने समर्थकों द्वारा मारपीट करने का आरोप लगाया था. पुलिस ने भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 323, 504 और 325 के तहत मामला दर्ज किया. बुधवार (22 मार्च) को पुलिस जांच के लिए उनके आश्रम पहुंची, लेकिन बाबा का बयान दर्ज नहीं किया.
स्वयंभू संत ने कहा कि पुलिस आई और गई और वो भी जांच के पक्ष में हैं. उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी सरकार के शासन के दौरान पुलिस ने ‘राजनीतिक प्रतिशोध’ के चलते उन पर राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) के तहत मामला दर्ज किया था.
करौली बाबा ऐसे रोकेंगे युद्ध
वहीं, रूस और यूक्रेन युद्ध को लेकर भी उन्होंने प्रतिक्रिया दी. करौली बाबा ने इंडिया टुडे से कहा, “अगर मैं चाहूं तो दोनों देशों के नेताओं की याददाश्त को मिटाकर रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध को रोक सकता हूं.” बता दें कि रूस और यूक्रेन के बीच पिछले साल फरवरी के महीने से युद्ध जारी है. रूस लगातार यूक्रेन पर बमबारी कर रहा है.
बाबा की छवि खराब करने की कोशिश?
संतोष भदौरिया ने अपने भक्त की पिटाई की घटना पर कहा कि यह एक ‘षड्यंत्र’ था और डॉक्टर (भक्त) को उनकी छवि खराब करने के लिए भेजा गया था. उन्होंने कहा कि सीसीटीवी वीडियो में डॉक्टर को जाने से पहले धन्यवाद कहते हुए देखा जा सकता है. यह पूछे जाने पर कि क्या उनके पास अपने दावे का समर्थन करने के लिए सीसीटीवी फुटेज है. भदौरिया ने कहा कि सीसीटीवी डेटा केवल 14 दिनों के लिए सेव किया जा सकता है, इसलिए वो रिकॉर्डिंग नहीं दे पाएंगे.
बुधवार सुबह एक खबर आई कि सारस के साथ अपनी दोस्ती की वजह से मशहूर हुए अमेठी के आरिफ गुर्जर (Crane Friend With Arif Viral Video) के दोस्त (सारस) को वन विभाग अपने साथ ले गया. उत्तर प्रदेश का राजकीय पक्षी सारस और आरिफ की दोस्ती आसपास के इलाके में खासी फेमस हो गई थी. दोनों एक साथ रहते और खाते-पीते थे. अपने दोस्त के यूं अचानक जुदा होने पर आरिफ खासे परेशान हो गए हैं. सारस को आखिरी बार छूकर तो वो रोने तक लग गए. ये खबर काफी वायरल (Social Media Viral News) हुई थी.
अब सारस को बर्ड सेंक्चुरी में छोड़ने का आखिरी वीडियो भी सामने आ गया है. आरिफ ने वीडियो शेयर किया है. इसमें वो काफी दुखी दिख रहा है. अपने सारस को देखकर आरिफ काफी परेशान है. सारस भी आखिर तक उसके पीछे-पीछे आता रहता है. दोनों के इस अटूट रिश्ते को ना जानें किसकी नजर लग गई जो दोनों हमेशा के लिए अलग हो गए. वीडियो शेयर करते हुए आरिफ ने लिखा कि मेरा दोस्त तड़प रहा है. दया नहीं आई. मेरे बिना वो रह नहीं पाएगा. वहां कैसे रहेगा?’ ये वीडियो काफी देखा जा रहा है. लोग इस पर तरह-तरह के कमेंट कर रहे हैं…
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अमेठी वन विभाग की टीम ने अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक के निर्देश पर सारस को रायबरेली के समसपुर पक्षी विहार में छोड़ा गया है. वीडियो देख लोग अलग-अलग राय रख रहे हैं. कह रहे हैं कि वन विभाग को ऐसा नहीं करना चाहिए था.’ किसी ने लिखा कि अगर सारस को कुछ होता है तो इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा?’ कुल मिलाकर लोगों ने तो इस मामले पर अलग-अलग कमेंट किए हैं.वैसे आपका इस पूरे मामले पर क्या मानना है?
ये फ़िल्म एक धार्मिक मुसलमान महिला थेननदन सुबैदा के बारे में है जिन्होंने श्रीधरन और उसकी दो बहनों रमानी और लीला को अपने तीन सगे बच्चों की तरह पाल कर बड़ा किया. लेकिन इस दौरान सुबैदा ने कभी भी उनसे इस्लाम अपनाने के लिए नहीं कहा.
मलयालम फ़िल्म ‘एन्नु स्वाथम श्रीधरन’ या हिंदी में कहें तो ‘मेरा अपना श्रीधरन’ पर काम तब शुरू हुआ जब ओमान में काम कर रहे श्रीधरन ने 17 जून 2019 को सोशल मीडिया पर एक पोस्ट लिखी.
सरल शब्दों में इस पोस्ट में कहा गया था, “मेरी उम्मा को अल्लाह ने बुला लिया है. कृपया उनके लिए दुआ करें ताकि जन्नत में उनका शानदार स्वागत हो.” केरल में मुसलमान मं के लिए अम्मा या उम्मा शब्द का प्रयोग करते हैं.
इस पोस्ट से एक मूल सवाल उठा था कि ‘तुम श्रीधरन हो, तुम अपनी मां को उम्मा क्यों कह रहे हो?’
कोझीकोड से क़रीब 70 किलोमीटर दूर कालीकावू में बीबीसी से बात करते हुए श्रीधरन कहते हैं, “लोग पूछ रहे थे कि तुम कौन हो, वो शायद इसलिए पूछ रहे थे क्योंकि मेरा नाम श्रीधरन है, इसलिए ही लोगों के मन में शक़ था और ये सामान्य बात है.”
‘धर्म परिवर्तन के लिए कभी नहीं कहा’
श्रीधरन ने बताया कि उम्मा ने उन्हें कैसे पाला.
“मेरी मां, उम्मा और उप्पा (पिता) के घर में काम करती थी. मेरी मां (चक्की) और उम्मा के संबंध बहुत अच्छे थे. गर्भावस्था के दौरान मेरी मां गुज़र गई.”
अपनी पोस्ट के अंत में श्रीधरन ने लिखा कि उन्हें अपनाने वाले उम्मा और उप्पा ने कभी भी उनसे धर्म बदलने के लिए नहीं कहा.
वो कहते हैं, “ये मेरे लिए दर्दनाक था क्योंकि मुझे पालने वाली मेरी मां और पिता ने हमें कभी धर्म जाति के बारे में नहीं बताया था. उन्होंने बताया था कि हमें अच्छाई की ज़रूरत है.”
अनुसूचित जाति से संबंध रखने वाले श्रीधरन सवाल करते हैं, “मैंने उम्मा से पूछा था कि उन्होंने हमें इस्लाम में धर्म परिवर्तन क्यों नहीं कराया. उन्होंने जवाब दिया था कि चाहे इस्लाम हो, ईसाई धर्म हो या फिर हिंदू धर्म, सभी एक ही बात सिखाते हैं. वो ये कि सभी से प्यार करो और सबका सम्मान करो.”
उनकी बहन लीला कहती हैं, “मेरी उम्मा मुझे मंदिर जाने देती थीं और भगवान की पूजा करने देती थीं. जब भी हमारा मन करता हम मंदिर जाते. हमें मंदिर जाने तो दिया जाता था, लेकिन उस समय यातायात की सुविधाएं बहुत ख़राब थीं, इसलिए हमें अकेले नहीं जाने दिया जाता था. ऐसे में हम सिर्फ़ त्योहारों या ख़ास मौकों पर ही मंदिर जाते थे और वो हमें लेकर जाती थीं.”
जब वो सुबैदा के घर आए तो क्या हुआ?
अब्दुल अज़ीज़ हाजी और सुबैदा के सबसे बड़े बेटे शाहनवाज़ कहते हैं, “मैं तब सात साल का था. मुझे पता था कि उम्मा उनके घर गई हैं क्योंकि सुबह उनकी मौत हो गई थी. वो शाम को घर लौटीं तो श्रीधरन उनकी बाहों में था.
वो क़रीब दो साल का था. लीला मेरी उम्र की थी और रमानी 12 साल की थी. लीला और रमानी उनके पीछे-पीछे आ रही थीं. उन्होंने बस इतना कहा था कि अब इन बच्चों का कोई नहीं है, ये हमारे घर में रहेंगे.”
शाहनवाज़ कहते हैं, “जब उम्मा घर के भीतर आ गईं तो लीला भी पीछे आ गई, लेकिन रमानी बाहर खड़ी रही. वो हम सबसे थोड़ी बड़ी थी, ऐसे में वो झिझक रही थी. मेरी दादी ने मुझसे कहा कि जाओ उसे घर के अंदर ले आओ.
मैं बाहर गया और हाथ पकड़कर उसे घर में ले लाया. उसके बाद से हम साथ ही पले-बढ़े. हम सब नीचे फ़र्श पर सोते थे. सिर्फ़ जफ़र ख़ान और श्रीधरन को छोड़कर, वे दोनों बहुत छोटे थे और वे उम्मा और उप्पा के साथ ही सोते थे. दादी मां बिस्तर पर सोती थीं और हम तीनों नीचे सोते थे. हमारी छोटी बहन जोशीना का जन्म इसके चार साल बाद हुआ था.”
जब बच्चे बड़े हो रहे थे तो श्रीधरन और जफ़र ख़ान जुड़वा लगते थे. दोनों की उम्र अब 49 साल है. वो साथ में स्कूल जाते और घर पर भी साथ में ही खेलते थे. जफ़र नहीं चाहते थे कि स्कूल में उनकी शैतानियों के बारे में श्रीधरन घर पर आकर उम्मा को बताए तो उन्होंने स्कूल में अलग भाषा की पढ़ाई की और दोनों की क्लास अलग हो गई.
जफ़र ख़ान कहते हैं, “उम्मा श्रीधरन की हर बात पर यक़ीन करतीं, वो उनके बहुत क़रीब था. मां उससे जो भी कहतीं वो मानता और मैं काम करने से बचता रहता.”
“जब हम स्कूल जाते थे तो रमानी हमें छोड़कर अपने स्कूल चली जाती थी जो कुछ और दूर था. जब उम्मा बाहर होतीं और हम स्कूल से आते तो लीला हमें खाना देती.”
क्या शाहनवाज़ और जफ़र को जलन होती थी?
शाहनवाज़ और जफ़र दोनों ही ये बात मानते हैं कि श्रीधरन मां के सबसे पसंदीदा बेटे थे.
क्या शाहनवाज़ को कभी जलन हुई?
“नहीं… बस एक बात मुझे याद आती है कि उम्मा जब उन्हें लेकर घर आई थीं तो मैंने अपनी दादी से पूछा था कि मां गोरे रंग के बच्चों को घर लेकर क्यों नहीं आई हैं. मेरी दादी ने अपनी उंगली होठों पर रखते हुए कहा था कि तुम्हें कभी भी ऐसी बात नहीं करनी है. रंग हमें अल्लाह देता है. मैं खाड़ी के देशों में काम करने के बाद जब घर वापस लौटता था तो मेरी दादी कहती थीं कि मैं विदेश में रहकर गोरा हो गया हूं और वो घर में रहकर काली रह गई हैं.”
जफ़र ख़ान याद करते हैं कि जुमे की नमाज़ के बाद जब वो क़ब्रिस्तान में अपने मां-बाप और दादी की क़ब्र के पास जाते हैं तो जगह हमेशा साफ़ मिलती है. वो कहते हैं, श्रीधरन हमेशा उसे साफ़ कर देते हैं.
तो श्रीधरन आपके लिए क्या हैं? जफ़र ख़ान कहते हैं, “ऐसे तो वो भाई है, लेकिन हमारे लिए वो उससे भी ज़्यादा है. वो हमेशा मेरे साथ रहा है. वो मेरा साथी है.”
‘श्रीधरन को सबसे ज़्यादा पसंद करती थीं‘
परिवार के मित्र अशरफ़ कहते हैं, “उम्मा को श्रीधरन सभी बच्चों में सबसे ज़्यादा पसंद था. इसलिए वो जानता था कि इस बात का फ़ायदा कैसे उठाना है. मैंने एक बार अपनी आंखों से ये देखा था. उम्मा स्कूल जाने से पहले बच्चों को दस-दस रुपये देती थीं, जफ़र दस रुपए लेकर बाहर चला गया और श्रीधरन वापस उम्मा के पास आया और बोला कि उसे दस रुपये और चाहिए और उम्मा उसे हर बार दे देतीं.”
लीला उम्मा को कैसे याद करती हैं?
अपने आंसू पोंछते हुए लीला कहती हैं, “उन्होंने हमें बिना किसी परेशानी के बढ़ा किया. मैं यहीं इसी घर में उन्हें माता-पिता मान कर बढ़ी हुई हूं. मेरे पास उम्मा के बारे में बात करने के लिए सिर्फ़ अच्छी यादें ही हैं और ये अनगिनत हैं. मैं आपको बता नहीं सकती कि उनके जाने के बाद मैंने कैसा महसूस किया. जब भी उम्मा की याद आती है मैं बहुत उदास हो जाती हूं.”
श्रीधरन भी उम्मा को याद करते हुए रोने लगते हैं और कहते हैं, “हर किसी के पास अपनी मां के बारे में बताने के लिए अच्छी यादें ही होती हैं, मेरे पास भी सिर्फ़ अच्छी यादें ही हैं.”
शाहनवाज़ ने बताई एक अलग बात
शाहनवाज़ के पास अपनी उम्मा के बारे में बताने के लिए एक अलग अनुभव भी है.
वो बताते हैं, “उनकी मौत के बाद ही हमें पता चला कि उन्होंने कितने लोगों की मदद की थी और किस हद तक की थी. मैं शुरुआत में काम करने खाड़ी गया था और बाद में वहां अपना कारोबार शुरू किया. मुझे पता चला था कि उम्मा ने अपनी 12 एकड़ ज़मीन में से कुछ बेचनी शुरू कर दी है. ये जम़ीन उम्मा को उनके पिता से मिली थी. वो देनदारों का क़र्ज़ चुकाने के लिए ज़मीन बेच रही थीं.”
कोई भी सुबैदा के पास आकर शिक्षा, शादी या इलाज के लिए पैसे मांग लेता था. वो जान-पहचान वाले कारोबारियों को फ़ोन करतीं और मदद करने के लिए कह देतीं. कारोबारी भी इस मदद में अपना हिस्सा जोड़ देते थे और सुबैदा बाद में पैसे चुका देती थीं. वो उधार लेकर भी मदद करती थीं और बाद में उधार चुकाने के लिए ज़मीन का हिस्सा बेच देती थीं.
एक समय ऐसा आया जब स्थानीय मंदिर समिति ने अब्दुल अज़ीज़ से कहा कि वो अपनी पत्नी से कहें कि एक साल तक चंदा देने के बारे में चिंता ना करें क्योंकि उन्हें पता है कि अब सुबैदा के पास पैसे नहीं हैं.
शाहनवाज़ कहते हैं, “वो मंदिर, मस्जिद और चर्च को बराबर चंदा देती थीं. घर के पास भी ज़मीन का एक हिस्सा था जिसे वो बेचना चाहती थीं. मैंने उनसे पूछा कि कितनी क़ीमत है तो उन्होंने कहा 12 लाख. मैंने कहा मुझसे पंद्रह लाख रुपए ले लो और मुझे दे दो. लेकिन उन्होंने मना कर दिया क्योंकि वो ख़रीदार से 12 लाख रुपए में ज़मीन देने का वादा कर चुकी थीं.”
शाहनवाज़ कहते हैं, “हमारी मां ने हम भाई बहनों में से किसी को ज़मीन में कोई हिस्सा नहीं दिया. जिस ज़मीन पर हमारा ये घर बना है वो हमारे पिता की है.”
शाहनवाज़ साल 2018 में खाड़ी से वापस लौटे तब सुबैदा बीमार पड़ गई थीं. जल्द ही शाहनवाज़ ने ज़फ़र ख़ान से भी वापस लौटने के लिए कहा क्योंकि वो अकेले मां की देखभाल नहीं कर पा रहे थे. सुबैदा ने अपने बेटों से कहा था कि श्रीधरन को मेरी बीमारी के बारे में मत बताना वरना वो ओमान में अपनी नौकरी छोड़कर घर आ जाएगा.
“हमने ये सुनिश्चित किया कि वो अपनी पत्नी के साथ पास ही रहे, लेकिन उम्मा से दूर.”
फिर शाहनवाज़ कहते हैं, “जब उम्मा का इंतेकाल हो गया और हमने श्री का चेहरा देखा तो हमें एहसास हुआ कि लोग हममें फ़र्क़ देखते थे, लेकिन वास्तव में हम अब भी एक ही हैं.”
फ़िल्म कैसे बनी?
इस फ़िल्म को सिद्दीक़ परवूर ने बनाया है जिनकी पिछली फिल्म ‘थाहीरा’ गोवा में भारत के 51वें अंतराष्ट्रीय फ़िल्म फ़ेस्टिवल में प्रदर्शित हुई थी.
सिद्दीक़ को श्रीधरन की पोस्ट के बारे में पता चला और उन्होंने उसी वक्त ‘एन्नु स्वाथम श्रीधरन’ बनाने का फ़ैसला किया.
बीबीसी से बात करते हुए उन्होंने बताया, “इस कहानी में मानवता को दर्शाने की कोशिश की गई है. हमारे समाज को इसके बारे में जानने की बहुत ज़रूरत है.”
उन्होंने कहा कि कोई देश तभी विकसित हो सकता है जब वहां मानवता को महत्व दिया जाए.
सिद्दीक़ को इस फ़िल्म का निर्माता ढूंढने में काफ़ी समय लगा. लेकिन अब जब फ़िल्म की काफ़ी तारीफ़ हो रही है, तो उन्हें ऐसे व्यक्ति का इंतज़ार है जो फ़िल्म को थियेटर तक पहुंचा सके.
केन्द्र राज्य सरकारों ने हर वर्ग श्रेणी को ध्यान में रखते हुए कई महत्वाकांक्षी योजनाएं चलाई हुई हैं, जिनका लोगों को सीधा फायदा मिल रहा है.
लेकिन सरकार के फोकस में इन दिनों किसानों के साथ देश की आधी आबादी यानी महिलाएं हैं. यही वजह है कि केंद्र सरकार ने महिलाओं के लिए उज्ज्वला जैसी महत्वपूर्ण योजना शुरू की हैं. लेकिन आज हम आपके लिए जिस योजना की जानकारी लेकर आए हैं, उसमें महिलाओं को हर महीना 1000 रुपए देने की व्यवस्था की गई है. तमिलनाडु सरकार की ओर से शुरू की गई इस योजना के तहत पात्र परिवारों की महिला प्रमुखों को एक हजार रुपए महीना की आर्थिक मदद दी जाएगी.
एलपीजी सिलेंडर पर भी सब्सिडी देने का वादा
जानकारी के अनुसार तमिलनाडु सरकार जल्द ही उस चुनावी वादे को पूरा करने जा रही है, जिसमें सत्तारूढ़ पार्टी डीएमके ने राज्य की महिलाओं को हर महीना एक हजार रुपए की आर्थिक मदद देने का ऐलान किया था. इस योजना के लिए राज्य सरकार ने वित्त वर्ष 2024 के लिए बजन में सात हजार रुपए की राशि आवंटित की है. राज्य के वित्त मंत्री पलानीवेल थियागा राजन ने जानकारी देते हुए बताया कि इस योजना का उद्देश्य उन परिवार की महिला मुखियाओं की आर्थिक मदद करना है, जो केन्द्र सरकार द्वारा रसोई गैस समेत सभी चीजों की मूल्य वृद्धि से प्रभावित हैं. आपको बता दें कि चुनाव से पहले सत्तारूढ़ दल डीएमके ने एलपीजी गैस सिलेंडर पर 100 रुपए की सब्सिडी देना का वादा भी किया था.
बजट में सात हजार रुपए की राशि का प्रावधान
वित्त मंत्री पलानीवेल थियागा राजन ने आगे कहा कि इस महत्वाकांक्षी योजना के लिए बजट में सात हजार रुपए की राशि का प्रावधान किया गया है. माना जा रहा है इस योजना से राज्य की महिलाओं का आर्थिक स्तर को ऊपर उठाने में मदद मिलेगी.
पटना जंक्शन रेलवे स्टेशन पर लगे टीवी स्क्रीन पर रविवार को अचानक पोर्न मूवी चलने लगी. ये बिहार की राजधानी पटना का प्रमुख रेलवे स्टेशन है.
रेलवे के मुताबिक़ घटना के बाद संबंधित एजेंसी का टेंडर रद्द कर दिया गया है.
रेलवे संपत्ति की सुरक्षा करने वाले आरपीएफ़ और रेल परिसर में क़ानून व्यवस्था की निगरानी करने वाले जीआरपी को इसकी सूचना दी गई.
इस दौरान तीन मिनट तक पोर्न क्लिप स्टेशन के टीवी स्क्रीन पर चलती रही. उसके बाद रेलवे की तरफ़ से टीवी स्क्रीन का संचालन करने वाली कंपनी को फ़ोन कर इसे बंद करवाया गया. यह घटना रविवार सुबह क़रीब 10 बजे की है.
पूर्व मध्य रेलवे के प्रवक्ता के मुताबिक़ आरपीएफ़ ने इस मामले में एफ़आईआर दर्ज की है और इसकी जांच की जा रही है.
स्टेशन पर टीवी स्क्रीन के ज़रिए विज्ञापन या सूचना चलाने के लिए इस्तेमाल में आने वाले उपकरणों को भी आरपीएफ़ ने क़ब्ज़े में ले लिया है.
दरअसल, देशभर के प्रमुख स्टेशनों पर टीवी स्क्रीन के ज़रिए मुसाफ़िरों के लिए कई सरकारी सूचनाएं प्रसारित की जाती हैं.
इसके अलावा स्क्रीन पर विज्ञापन का भी प्रसारण होता है. इसके लिए आमतौर पर टेंडर के ज़रिए किसी निजी कंपनी को इसका ठेका दिया जाता है. ऐसे स्क्रीन का संचालन टेंडर हासिल करने वाली कंपनी ही करती है.
भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा (JP Nadda) ने कहा कि देश में कांग्रेस पार्टी है जो खतरे में है, ना कि लोकतंत्र.
उन्होंने कांग्रेस (Congress) नेता राहुल गांधी पर लंदन में उनकी हालिया टिप्पणी पर हमला बोलते हुए भारत की संप्रभुता को चुनौती देने का भी आरोप लगाया. इसके साथ ही उन्होंने जनता से ऐसे लोगों को घर पर बैठाने का आग्रह किया. उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस जिस तरह से मानसिक दिवालियापन की ओर बढ़ रही है वह निंदनीय पीड़ादायक है.’ नड्डा ने कहा कि कांग्रेस पार्टी इन दिनों जिस तरह की गतिविधियों में शामिल है उनके नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) जो कर रहे हैं वह सिरे से निंदनीय है.
भारत की संप्रभुता पर सवाल उठा रहे राहुल गांधी
यहां एक जनसभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस के नेता भ्रष्टाचार, कमीशन, अपराधीकरण फूट डालो राज करो की नीति में लिप्त हैं. राहुल गांधी इंग्लैंड जाते हैं भारत की संप्रभुता पर सवाल उठाते हैं. उनका कहना है कि यहां लोकतंत्र खत्म हो गया है. हाल के विधानसभा चुनावों के दौरान नागालैंड में कांग्रेस को शून्य, मेघालय में पांच सीटें त्रिपुरा में तीन सीटें मिलीं. यह लोकतंत्र नहीं है जो खतरे में है, कांग्रेस खतरे में है.’ भाजपा अध्यक्ष मई में होने वाले कर्नाटक विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी की ‘विजया संकल्प यात्रा’ के तहत यहां एक जनसभा को संबोधित कर रहे थे. वह राहुल गांधी की लंदन में की गई टिप्पणी का जिक्र कर रहे थे कि भारतीय लोकतंत्र की संरचनाओं पर क्रूर हमले हो रहे हैं.
Addressed a great gathering in Molakalmuru, Karnataka today. The people of Karnataka have seen through the Congress' lies & deception. Under the leadership of Hon. PM @narendramodi, BJP is the only party that is bringing progress, peace, and prosperity to the state continually. pic.twitter.com/YyQJBjIR4Z
भारत में लोकतंत्र के मुद्दे पर कथित तौर पर अमेरिका यूरोप के हस्तक्षेप की मांग करने के लिए राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा, ‘क्या हमें ऐसे नेताओं को राजनीति में बने रहने देना चाहिए? उन्हें घर पर बैठने के लिए बनाया जाना चाहिए. राहुल गांधी भारत की संप्रभुता को चुनौती दे रहे हैं.’ जेपी नड्डा ने लोकतंत्र के बारे में उपदेश देने की कोशिश करने के लिए कांग्रेस पर निशाना साधा. नड्डा ने कहा कि केंद्र की तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने ही इंदिरा गांधी के नेतृत्व में देश में आपातकाल लगाया था. इससे पहले दिन में भाजपा अध्यक्ष ने यात्रा के हिस्से के रूप में चल्लाकेरे मोलाकलमुरु में रोड शो किया.
डबल इंजन सरकार ने कर्नाटक की तस्वीर बदली
नड्डा ने कहा, ‘प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में राजनीतिक संस्कृति को बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. कांग्रेस द्वारा प्रचारित राजनीति भ्रष्टाचार, कमीशन, अपराधीकरण, वंशवादी शासन था. अब लेकिन एक जिम्मेदार नेतृत्व वाले पीएम ने देश में रिपोर्ट कार्ड की राजनीति शुरू कर दी है. एक मजबूत जिम्मेदार सरकार जो लोगों की सेवा करने में विश्वास करती है, पीएम मोदी द्वारा स्थापित की गई है.’ उन्होंने कहा, ‘नए भारत की अवधारणा पर भारत की वृद्धि को पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में सूचीबद्ध किया ऑटोमोबाइल, डिजिटल भुगतान जैसे क्षेत्रों में , मोबाइल फोन निर्माण, आदि शामिल हैं.’ उन्होंने कहा कि कर्नाटक की तस्वीर बदल गई है. विभिन्न क्षेत्रों बुनियादी ढांचे में डबल इंजन सरकार के बलबूते राज्य एफडीआई प्रवाह, नवाचार, स्टार्टअप्स आदि क्षेत्रों में नंबर एक पर है.