सोशल मीडिया पोस्ट के बाद कर्नाटक के हुबली में भड़की हिंसा शांत होने का नाम नहीं ले रही है। सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेजी से वायरल हो रही है जिसमें भीड़ पुलिस थाने के आगे नारा लगाते हुए सुनाई दे रही है कि ‘गुस्ताख़-ए-रसूल की एक ही सजा, सर तन से जुदा’।
रिपोर्ट के मुताबिक एक मौलाना इस भीड़ का नेतृत्व कर रहे थे और रोकने पर पुलिसकर्मियों को भी जान से मारने की धमकी दे रहे थे।
जानकारी के मुताबिक हुबली जिले के कांग्रेस अध्यक्ष अल्ताफ हल्लुर भी मौके पर मौजूद थे। हालांकि उनका कहना है कि वो भीड़ को शांत कराने के मकसद से वहां गए थे। हल्लुर के मुताबिक उन्होंने भीड़ से भड़काऊ नारे ना लगाने और घर चले जाने की अपील की थी। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक हुबली जिले में भड़की हिंसा के बाद पुलिसकर्मियों की कई गाड़ियों को जला दिया गया है, इसके अलावा अस्पताल और मंदिर में भी तोड़फोड़ की गई है। इस घटना में 12 पुलिसकर्मियों को चोट लगी है।
पुलिस ने बुधवार तक इस मामले में 200 लोगों को हिरासत में लिया है। दूसरी तरफ राज्य की तमाम विपक्षी पार्टियां बीजेपी के खिलाफ हमलावर है। उनका कहना है कि मुस्लिम समुदाय के लोगों की गिरफ्तारी के मामले को बीजेपी ने जिस तरह ठंडे बस्ते में डाल दिया वो सरासर गलत है। जेडीएस नेता तनवीर अहमद ने कहा कि पुलिस ने 200 लोगों को गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया लेकिन हम ये जानना चाहते हैं कि क्या असली मुजरिम की भी गिरफ्तारी की गई या नहीं?
कांग्रेस नेता डीके शिवकुमार ने बीजेपी राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति खराब करने का आरोप लगाया है।
क्या है पूरा मामला?
अभिषेक हीरेमथ नाम के युवक पर आरोप है कि उसने तस्वीर के जरिए मक्का की मस्जिद ए नबवी पर भगवा झंडा लगा दिया था। ये तस्वीर वायरल हो गई इसके बाद से हिंसा भड़क उठी। आरोपी युवक को पुलिस ने तुरंत गिरफ्तार कर लिया। आरोपी की गिरफ्तारी के बाद मुस्लिम समाज के लोग ओल्ड टाउन पुलिस स्टेशन के बाहर बड़ी संख्या में जमा हो गए और हीरेमथ के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग करने लगे। आरोप है कि इस दौरान भीड़ उस युवक को बाहर निकालने की मांग करने लगी और फिर पुलिस स्टेशन पर पत्थरबाजी करने लगी।