-1.3 C
London
Sunday, December 3, 2023

एलोपैथी पर गलत टिप्पणी मामला: दिल्ली हाईकोर्ट ने रामदेव को भेजा समन, अब अगले साल होगी सुनवाई

- Advertisement -spot_imgspot_img
- Advertisement -spot_imgspot_img

मेडिकल एसोसिएशनों द्वारा बाबा रामदेव के खिलाफ दायर याचिका की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने योग गुरु के खिलाफ समन जारी किया है। इसके साथ ही कोर्ट ने इस मामले की अगली तारीख नए साल के जनवरी महीने में तय की है।

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने कहा था इस याचिका पर विचार किया जाना जरूरी है
उच्च न्यायालय ने कहा कि योग गुरु रामदेव के खिलाफ कई डॉक्टरों की एसोसिएयनों द्वारा कोविड-19 महामारी के बीच एलोपैथी के खिलाफ कथित रूप से गलत सूचना फैलाने के लिए दायर याचिका पर प्रथम दृष्टया विचार किया जाना जरूरी है। इसे आरंभिक स्तर पर बाहर नहीं फेंका जा सकता।

न्यायमूर्ति सी हरि शंकर ने मामले कि सुनवाई के दौरान कहा कि वर्तमान स्तर पर केवल यह देखने की जरूरत है कि क्या आरोपों पर विचार किया जा सकता है। यह देखना जरूरी है कि आरोप सही या शायद गलत हो सकते हैं। दूसरा पक्ष कह सकता है कि उन्होंने ऐसी कोई बात नहीं कही, इस तथ्य पर गौर करने की जरूरत है।

अदालत ने इस मामले में रामदेव से जवाब मांगा था। उन्होंने याचिका के विचार योग्य न होने का तर्क रखा था। अदालत ने कहा उनकी नजर में प्रथम दृष्टया याचिका में लगाए गए आरोपों की प्रकृति व गुणदोष पर विचार करना जरूरी है। अदालत ने मामले की सुनवाई 27 अक्तूबर तय करते हुए बाबा रामदेव के वकील को अपनी पक्ष रखने का निर्देश दिया है।

ऋषिकेश, पटना और भुवनेश्वर में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के तीन रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन के साथ-साथ रेजिडेंट डॉक्टरों के एसोसिएशन, पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च, चंडीगढ़, यूनियन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स ऑफ पंजाब (यूआरडीपी), रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन, लाला लाजपत राय मेमोरियल मेडिकल कॉलेज, मेरठ और तेलंगाना जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन, हैदराबाद ने इस साल की शुरुआत में उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी।

उन्होंने आरोप लगाया कि बाबा रामदेव जनता को एलोपैथी के संबंध में गुमराह कर रहे हैं कि कोविड-19 से संक्रमित कई लोगों की मौतों के लिए एलोपैथी जिम्मेदार है। यह संकेत दे रहे हैं कि एलोपैथिक डॉक्टर मरीजों की मौतों का कारण बन रहे हैं। याची की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अखिल सिब्बल ने कहा कि एक महामारी के बीच, योग गुरु ने कोरोनिल पर अप्रमाणित दावे किए, जो कोविड-19 के लिए एक इलाज है, जो केवल ‘इम्यूनो बूस्टर’ होने के लिए दवा को दिए गए लाइसेंस के विपरीत है।

याचिका में एसोसिएशनों ने कहा कि योग गुरु जो कि अत्यधिक प्रभावशाली व्यक्ति हैं, न केवल एलोपैथिक उपचार बल्कि कोविड-19 टीकों की सुरक्षा और प्रभाव के संबंध में आम जनता के मन में संदेह बो रहे हैं। याचिका में आरोप लगाया गया है कि गलत सूचना अभियान रामदेव द्वारा बेचे गए उत्पाद की बिक्री को आगे बढ़ाने के लिए एक विज्ञापन और विपणन रणनीति के अलावा कुछ नहीं था, जिसमें कोरोनिल भी शामिल है।

- Advertisement -spot_imgspot_img

Latest news

- Advertisement -spot_img

Related news

- Advertisement -spot_img

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here