8.2 C
London
Friday, March 29, 2024

नोबल पुरस्कार विजेता आंग सान सू की को क्यों हो सकती है 100 साल की जेल

- Advertisement -spot_imgspot_img
- Advertisement -spot_imgspot_img

नई दिल्‍ली. नोबल पुरस्कार (Nobel Prize) विजेता आंग सान सू की (Aung San Suu Kyi) को सुनाई गई चार साल सजा को म्यांमार (Myanmar) की सैन्य अदालत ने कम करके दो साल कर दिया है. तख्तापलट के बाद उन पर लगे दर्जनों मामलो में से अदालत ने यह पहला मामला सुना था. इन मामलों को मुख्य तौर पर सू की को सत्ता से बाहर रखने के लिए साजिश के तौर पर देखा गया,

यहां तक कि म्यांमार  के सैन्य शासकों ने लोकतंत्र समर्थकों के विरोध को दबाने के लिए क्रूर कार्यवाही तक की थी. 76 साल की सू की पर कई मामले चल रहे हैं, इनमें से एक अन्‍य पर अगले हफ्ते फैसला आने वाला है. यदि इन सबमें वे दोषी साबित हो गईं तो उन्‍हें 100 साल या उससे भी अधिक समय के लिए  जेल की सजा हो सकती है.

रिपोर्ट बताती हैं कि सू की के खिलाफ 11 मामले दर्ज किए गए थे, जो मुख्यतौर पर उन्हें राजनीति और जनता की नजरों से दूर करने के लिए लगाए गए थे. सू की ने मानव अधिकार के लिए संयुक्त राष्ट्र की आयुक्त मिशेल के साथ सभी आरोपों को खंडन करते हुए इसे बेबुनियाद और दिखावे के लिए की गई कार्यवाही बताया. जिन मामलों में उन्हें दिसंबर 6 को 4 साल की सजा सुनाई गई थी उसमें कोविड सुरक्षा प्रोटोकॉल को तोड़ने का इल्जाम भी शामिल था. बीबीसी ने बताया कि उन्होंने मास्क और फेस शील्ड पहनकर समर्थकों के समक्ष हाथ हिलाने और उन पर झूठी और भड़काऊ सामग्री फैलाकर प्रदर्शनकारियों को उकसाने के इल्जाम लगे थे.

इल्जाम साबित होते हैं तो सू की को हो सकती है बड़ी सजा 

बाद में उन्हें और उनकी पार्टी नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी के सोशल मीडिया पेज पर पोस्ट की गई सामग्री के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए, पार्टी के दूसरे सदस्यों को भी सेना ने हिरासत में ले लिया था. सू की को एक अज्ञात जगह पर रखा गया है, जहां से उन्हें एक हफ्ते बाद फिर से अदालत के सामने पेश किया जाएगा और उन पर इल्जाम लगाया जाएगा कि उनके स्टाफ के पास वॉकी टॉकी मिला है जिसका वह अनाधिकृत रूप से इस्तेमाल कर रहे थे. यही नहीं उन पर भ्रष्टाचार और सरकारी गुप्त अधिनियम के उल्लंंघन का भी मामला दर्ज किया जा रहा है. रिपोर्ट बताती है कि अगर उन पर लगे इल्जाम साबित होते हैं तो सू की को 100 साल से भी ज्यादा वक्त की जेल हो सकती है.

संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने की है आलोचना  
संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने 2021 में हुए सैन्य तख्तापलट की आलोचना करते हुए, सू की और उनके साथियों को रिहा करने का आह्वान किया है. म्यांमार के लिए नियुक्त किए गए संयुक्त राष्ट्र मानव अधिकार के जांचकर्ता ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय, जुंटा को दी जाने वाली आर्थिक और हथियारों की मदद बंद करके म्यांमार की जनता को समर्थन करे. सू की, की सजा को स्वतंत्रता और लोकतंत्र को दबाने की कार्यवाही बताते हुए इसकी कठोर आलोचना की गई है. यूके ने म्यांमार की सेना को राजनीतिक कैदियों को रिहा करने, संवाद स्थापित करने और लोकतंत्र बहाल करने का आह्वान किया है. वहीं, भारत ने भी इस पर कड़ा एतराज जताते हुए, हालिया फैसलों के प्रति चिंता जाहिर की है. साथ ही म्यांमार में लोकतांत्रिक परिवर्तन का समर्थन किया है.

- Advertisement -spot_imgspot_img
Jamil Khan
Jamil Khan
जमील ख़ान एक स्वतंत्र पत्रकार है जो ज़्यादातर मुस्लिम मुद्दों पर अपने लेख प्रकाशित करते है. मुख्य धारा की मीडिया में चलाये जा रहे मुस्लिम विरोधी मानसिकता को जवाब देने के लिए उन्होंने 2017 में रिपोर्टलूक न्यूज़ कंपनी की स्थापना कि थी। नीचे दिये गये सोशल मीडिया आइकॉन पर क्लिक कर आप उन्हें फॉलो कर सकते है और संपर्क साध सकते है

Latest news

- Advertisement -spot_img

Related news

- Advertisement -spot_img

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here