मॉस्को. यूक्रेन के खिलाफ 13 दिन से युद्ध लड़ रही रूसी सेना (Russia-Ukraine War) इन दिनों तमाम कारणों से चर्चित है. इनमें एक वजह ‘Z’ का निशान भी है, जो रूस (Russia) से यूक्रेन (Ukraine) पहुंचे रूसी सेना के वाहनों में लगातार देखा जा रहा है. दिलचस्प बात ये है कि यह ‘Z’ का निशान रूसी सेना का कोई पारंपरिक प्रतीक नहीं है. बल्कि हाल ही यह सामने आया है. इसे तमाम वाहनों पर हाथ से पेंट-ब्रश के जरिए लिखा गया है. इसीलिए यह सवाल भी मीडिया और सोशल मीडिया पर लगातार चर्चा में है कि आखिर इस निशान का मतलब क्या है? रूसी सेना (Russian Army) इसके जरिए क्या संकेत या संदेश देना चाह रही है? इस जवाब देखते हैं.
सोवियत संघ (USSR) के जमाने में रूस की बड़ी लोकतंत्र समर्थक नेता हुई हैं गैलिना वैसिलीना स्तारोवॉइतोवा. उनकी नवंबर 1998 में हत्या कर दी गई थी. हालांकि उनके समर्थक रूस में अब भी सक्रिय हैं. उन्हीं में से एक हैं, कामिल गलीव. स्वतंत्र शोधार्थी और पत्रकार हैं. वे कहते हैं, ‘यह ‘Z’ का प्रतीक-चिह्न कुछ साल पहले ही इजाद किया गया है. यह रूस की नई विचारधारा का प्रतीक है. साथ ही उसकी नई राष्ट्रीय पहचान का भी. इसके आम तौर पर दो अर्थ लगाए जाते हैं. पहला- ‘ज़ा पोबेडी’ यानी जीत के लिए. जबकि दूसरा- ‘ज़पाड’ मतलब पश्चिमी जगत.’ कामिल गलीव ने अपने ट्विटर अकाउंट पर यह जानकारी साझा की है. हालांकि अन्य जानकारों की राय कामिल गलीव से थोड़ी अलग है. उनके मुताबिक, ये निशान सिर्फ इसलिए रूसी सेना (Russian Army) के वाहनों पर लिखा गया है, ताकि युद्ध क्षेत्र में उन्हें अलग से पहचाना जा सके.
आम जनता का भी मिल रहा है समर्थन
हालांकि ‘Z’ का मतलब चाहे जो भी हो. लेकिन यह धीरे-धीरे रूस (Russia) की जनता में भी लोकप्रिय होता जा रहा है. अधिकांश लोग इसे इसके पहले अर्थ (जीत के लिए) से जोड़ रहे हैं. इस नाते वे रूसी सेना और अपने देश के प्रति समर्थन जताने की गरज से लोग अपने वाहनों पर भी ‘Z’ निशान लिखकर रूस के सार्वजनिक स्थानों पर नजर आ रहे हैं. मीडिया की मानें तो इन नागरिकों में आम नागरिक तो हैं ही, रूस के कई बड़े कारोबारी, बुद्धिजीवी आदि भी शामिल हैं.
पहली बार कब नजर आया यह निशान
मीडिया में आ रही खबरों के मुताबिक रूसी सेना का यह ‘Z’ निशान अभी पहली बार 22 फरवरी को नजर आया. यानी यूक्रेन पर औपचारिक हमले के दो दिन पहले. उस दिन रूस की सेनाएं यूक्रेन के दोनेस्क इलाके में घुसी थीं. हालांकि यह पहला मौका नहीं था. पहली बार 2014 में रूसी सेना के वाहनों पर यह ‘Z’ निशान नजर आया था. तब जबकि रूस (Russia) ने यूक्रेन (Ukraine) के क्रीमिया (Crimea) इलाके को सेना के जोर पर अपने कब्जे में लिया था