लोक सभा स्पीकर ओम बिरला (Om Birla) ने देश के नेताओं को नसीहत दी है.
उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में मतभेद होना स्वाभाविक है लेकिन वे मतभेद गतिरोध में नहीं बदलने चाहिए.
गुवाहाटी: असम असेंबली (Assam Assembly) का शीतकालीन सत्र शुक्रवार को खत्म हो गया. आखिरी दिन लोक सभा स्पीकर ओम बिरला (Om Birla) भी गुवाहाटी पहुंचे और असम असेंबली में विधायकों को संबोधित किया.
‘आजादी के बाद लोकतंत्र मजबूत हुआ’
‘आज़ादी का अमृत महोत्सव’ विषय पर बोलते हुए स्पीकर ओम बिरला (Om Birla) ने कहा कि आजादी के बाद 75 वर्षों की यात्रा में देश का लोकतंत्र लगातार सशक्त और मजबूत हुआ है. लोगों की अपेक्षाएं अपने जनप्रतिनिधियों से और बढ़ गई हैं. ऐसे में जनप्रतिनिधियों के ऊपर बड़ी जिम्मेदारी है कि वे लोकतांत्रिक संस्थाओं को जनता के प्रति और अधिक जवाबदेह बनाएं.
‘मिनी संसद का रूप हैं संसदीय समितियां’
स्पीकर ने कहा कि विधान सभाओं को किसी भी मुद्दे पर कानून बनाते समय सदन में व्यापक चर्चा, विभिन्न स्टेक होल्डर्स की अधिकतम भागीदारी और कल्याणकारी नीतियों में जनता के हितों पर काम करना चाहिए. उन्होंने संसदीय समितियों के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि ये समितियां मिनी संसद के रूप में काम करती हैं, जहां पर दलगत व्यवस्था से ऊपर उठकर काम होता है.
‘मतभेद होना स्वाभाविक, गतिरोध न पनपे’
लोक सभा अध्यक्ष (Om Birla) ने कहा कि लोक तंत्र वाद-विवाद और संवाद पर आधारित पद्धति है. हालांकि सदनों में निरंतर चर्चा-संवाद नहीं होना सभी जन प्रतिनिधियों के लिए गंभीर चिंता का विषय है. उन्होंने कहा कि पक्ष-विपक्ष में मतभेद होना स्वाभाविक है, लेकिन यह असहमति गतिरोध में नहीं बदलनी चाहिए. उन्होंने आगे कहा कि कई बार सदन में व्यवधान अनायास नहीं होता, बल्कि नियोजित तरीके से किया जाता है. ऐसा आचरण सभी के लिए चिंता का विषय होना चाहिए.
ये लोग रहे कार्यक्रम में मौजूद
स्पीकर ओम बिरला (Om Birla) ने असम विधान सभा (Assam Assembly) के ऐप की सराहना की और कहा कि वन नेशन वन प्लेटफार्म की परिकल्पना आगे बढ़ाने की दिशा में यह एक अच्छा कदम है. इस मौके पर असम विधानसभा के अध्यक्ष बिश्वजीत दैमारी, उपाध्यक्ष डॉक्टर नुमोल मोमिन, मुख्यमंत्री डॉक्टर हिमंता बिस्वा सरमा और राज्य के मंत्रिगण व विधायक शामिल रहे.