32.1 C
Delhi
Thursday, June 8, 2023
No menu items!

टट्टी का इस्तेमाल कर क्या कुकर्म करता था राम रहीम?

- Advertisement -
- Advertisement -

रंजीत सिंह मर्डर केस में दोषी पाए गए गुरमीत राम रहीम को अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. उसके अलावा 4 अन्य दोषियों को भी यही सजा दी गई है. इनके नाम हैं जसबीर, सबदिल, इंदर सेन, अवतार और किशन लाल. इंदर सेन की 2020 में मौत हो गई थी. बाकी 4 दोषियों की बाकी जिंदगी अब जेल में ही कटेगी.

सजा के ऐलान के बाद गुरमीत राम रहीम फिर चर्चा में है. लल्लनटॉप ने इस बलात्कारी और हत्यारे के बारे में कई स्टोरी की हैं. अदालत के फैसले के बाद हम कई स्टोरी एक बार फिर अपने पाठकों के सामने रख रहे हैं. इनमें से एक ये स्टोरी 29 मई 2018 को प्रकाशित की गई थी.

- Advertisement -

इस आर्टिकल में आप घिनौने ब्यौरे पढ़ेंगे. अपनी साध्वियों का रेप करने वाले डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम के. राम रहीम को 28 अगस्त 2017 को सज़ा सुनाई गई. उसके बाद से उसके कई कारनामे सामने आ रहे हैं. उन्हीं सब के बीच अब एक किताब आई है. ये ब्यौरे उसी किताब को पढ़ने के बाद आपको पढ़ाए जा रहे हैं. ज़ाहिर है कि ये सब के सब नए हैं. पहले की किसी रिपोर्ट में नहीं आए हैं विस्तार से. और ये सब आपको पढ़ना-जानना ज़रूरी है. क्योंकि ये कथित संत धर्म की आड़ में हज़ारों करोड़ का साम्राज्य चलाते हैं. क्योंकि ये कथित संत शोषण करते हैं. क्योंकि ये कथित संत पकड़े जाने से पहले सच के सब सुबूत मिटाने की कोशिश करते हैं. क्योंकि ये कथित संत पकड़े जाने के बाद भी अपने गुर्गों और भक्तों के जरिए अपने गुनाह ढांपने की कोशिश करते हैं. क्योंकि ये सब कथित संत हमारे आपके आसपास ही ऑपरेट करते हैं

किताब- डेरा सच्चा सौदा एंड गुरमीत राम रहीम- ए डिकेड लॉन्ग इनवेस्टिगेशन
भाषा- इंग्लिश
राइटर- अनुराग त्रिपाठी
पब्लिशर- पेंग्विन
कीमत- 299 रुपए

गुरमीत का पैसे कमाने का टट्टी दांव

1990 में डेरा सच्चा सौदा के पास 5 एकड़ ज़मीन थी. 2017 में डेरा सच्चा सौदा 700 एकड़ में फैल चुका था. इसमें काफी ज़मीन बेनामी भी थी. ये कैसे मुमकिन हुआ? भक्तों से कहा गया, ‘अपने-अपने इलाकों में ज़मीन बेचो, यहां सिरसा में खरीदो और यहीं बस जाओ. अपने गुरु के पास.’ डेरे के आसपास किसानों की ज़मीन थी. उनसे कहा गया, ‘ज़मीन बेच दो.’ रेट डेरा ने तय किया. ज़्यादातर डर या परेशानी के चलते राजी हो गए. कुछ ने विरोध किया. उनके साथ क्या हुआ? गुरमीत का टट्टी-कूड़ा दांव झेलना पड़ा.

1. गुरमीत के भक्त विरोध करने वाले किसानों के खेत की बाड़ काट देते. जानवर अंदर घुसा देते. किसान पुलिस के पास जाता. पुलिस डेरा के पे-रोल पर होती. वो जांच या मदद के बजाय किसान को ही परेशान करती.

2. डेरे के गुंडे टारगेट की ज़मीन के आने-जाने के रास्ते पर डेरा डाल देते. किसान को डराने के लिए रैंडमली लोगों को पीटते. ये टेरर ट्रिक काम कर जाती.

3. टारगेट की ज़मीन के पास गुरमीत सत्संग का आयोजन करता. लाखों भक्त आते. उनके लिए लंगर वगैरह चलता. और इसका सब कूड़ा उस किसान की ज़मीन पर फेंक दिया जाता, जो बेचने से इनकार कर रहा था.

4. कई जगह किसान के खेत में ही घर होता. ऐसे में उन्हें भगाने के लिए भक्तों को किसान के खेत में जाकर मल त्याग के लिए कहा जाता. सोचिए जब सैकड़ों-हज़ारों लोग ऐसा करेंगे, तो खेत और उसमें घर बनाकर रहने वाले का क्या हाल होगा. ये सब तरीके गुरमीत के खुद के ईजाद किए हुए थे. किसान इनके सामने विवश हो जाता. फिर उसे डेरे की डील दी जाती और वो राजी हो जाता.

(इस किताब के राइटर अनुराग पत्रकार हैं. डेरा सच्चा सौदा मामले से उनका जुड़ाव शुरू हुआ अप्रैल 2007 में. तब वह तहलका की इनवेस्टिगेशन टीम का हिस्सा थे. हरिंदर बावेजा नाम की शानदार पत्रकार के नेतृत्व में यह टीम काम करती थी. तब इस टीम ने ऑपरेशन ‘झूठा सौदा’ किया. कई साध्वियों से बात की, जिनका गुरमीत राम रहीम ने रेप किया था. कई पूर्व कर्मचारियों से बात की, जिन्होंने बताया कि कैसे एक आतंकवादी ने गुरमीत को डेरा सच्चा सौदा की गद्दी दिलवाई बंदूक के दम पर. कई पूर्व भक्तों से बात की, जिन्होंने बताया कि गुरमीत कैसे लड़कियों और उनके घरवालों को परेशान करता था. कई पूर्व साधुओं से बात की, जिन्होंने बताया कि गुरमीत कैसे लड़कों के गुप्तांग कटवा देता था. गुरमीत के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ने वालों से बात की, जिन्होंने बताया कि उनके बाप, भाई कैसे मरे.

एक अच्छी चीज ये है कि अनुराग टीवी की तरह जूसी डिटेल्स या कहें कि गॉसिप वाले डिटेल्स में नहीं भटकते. डिटेल्स जो सनसनी फैलाने के लिए ज्यादा होते हैं. इससे असल मुद्दे से ध्यान भटक जाता है. रेप, कत्ल, आर्थिक गड़बड़ी कर साम्राज्य बनाना, नेताओं और पुलिस को पालतू बनाना और इन सबके दम पर मनमानी करना. इसी सोच के तहत हनीप्रीत मामले में तथ्यों पर ज्यादा बात होती है. किताब में एक कमी है. राम रहीम ने फिल्में बनाना क्यों शुरू किया. उसकी इकॉनमी. उसके कल्ट बिल्डिंग में इसका योगदान. टीवी पर उसका अवतरण. ये सब उसे समझने का एक जरूरी फेज़ हैं. एक इंटरव्यू में अनुराग ने कहा कि किताब के अगले एडीशन में इसे जरूर शामिल करेंगे.)

- Advertisement -
Latest news
- Advertisement -
Related news
- Advertisement -spot_img

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here