लखनऊ, 08 जुलाई। बुधवार को ‘मोदी सरकार 2’ में पहली बार कैबिनेट विस्तार हुआ है, जिसमें 43 नए सदस्यों को शामिल किया है। इन नए मंत्रियों में से 15 ने कैबिनेट मंत्री के तौर पर शपथ ली है तो वहीं 28 को राज्यमंत्री बनाया गया है। इसके बाद मोदी कैबिनेट में अब कुल मंत्रियों की संख्या 77 हो गई है, नियम के मुताबिक एक कैबिनेट में 81 मंत्री ही हो सकते हैं।
अनुप्रिया पटेल बनीं मंत्री
इस कैबिनेट में अपना दल (एस) की राष्ट्रीय अध्यक्ष और मिर्जापुर से सांसद अनुप्रिया पटेल भी शामिल हुई हैं। बता दें कि वो साल 2014 की मोदी सरकार में भी वो केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री रह चुकी हैं और इस बार भी उन्हें राज्यमंत्री बनाया गया है।
अपना दल (एस) का बढ़ रहा था दवाब!
साल 2019 से ही मोदी मंत्रीमंडल में उनके शामिल होने के कयास लगाए जा रहे थे लेकिन उन्हें जगह मिली नहीं थी। इसके बाद से लगातार खबर आ रही थी कि अपना दल (एस) यूपी की योगी सरकार पर भी अपने पार्टी का प्रतिनिधित्व बढ़ाने का दवाब बना रहा था। गौर करने वाली बात ये है कि यूपी सरकार में 9 विधायकों वाले अपना दल (एस) से अभी केवल एक ही मंत्री है
गठबंधन जारी रखने का भरोसा
ऐसा कहा जा रहा था कि अनुप्रिया पटेल और सीएम योगी के बीच में कुछ खटपट चल रहा है लेकिन अनुप्रिया पटेल ने योगी सरकार पर कभी भी कोई भी टिप्पणी या बयान मीडिया में नहीं दिया, उल्टा उसने यूपी सरकार में अपना गठबंधन जारी रखने का भरोसा दिलाया है। मालूम हो कि ईस्टर्न यूपी में अपना दल का एक खास प्रभाव है और उनका अपना एक वोट बैंक हैं।
अपना दल का प्रदर्शन अच्छा
हाल ही में हुए जिला पंचायत चुनाव में उसने भाजपा से अलग होकर चुनाव लड़ा और अपनी ताकत का सबूत पेश किया।अपना दल से अलग होने का खामियाजा भाजपा को भुगतना पड़ा और सबसे ज्यादा असर पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी पर पड़ा, जहां की कुल 40 सीटों में से केवल 8 पर कमल खिला और अपना दल के हिस्से में 2 सीटें हासिल आईं, यही नहीं अपना दल 14 सीटों पर कब्जा करके वहां दूसरे नंबर की पार्टी बनकर उभरी।
अपना दल को नाराज नहीं करना चाहती है भाजपा?
इसलिए राजनीतिक पंडित कह रहे हैं कि अगले साल यूपी में चुनाव है और ऐसे में अपना दल को नाराज करना भाजपा को भारी पड़ सकता है और इसी कारण उसने अनुप्रिया पटेल को मंत्री बनाया है। मालूम हो कि अनुप्रिया पटेल को राजनीति विरासत में मिली है। उनके पिता सोनेलाल पटेल यूपी की सत्ता का जान-पहचाना नाम रहे हैं। उन्हें बसपा के संस्थापकों में से एक माना जाता था लेकिन बाद में उन्होंने पार्टी सुप्रीमो मायावती से मतभेद के चलते साल 1995 में अपना दल पार्टी बनाई, जिसकी कमान अब उनकी बेटी के पास है। इस पार्टी को कुर्मी जाति का भारी समर्थन है। 2014 के आम चुनावों में बीजेपी गठबंधन में शामिल अपना दल ने 2 सीटें हासिल की थीं।