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Friday, March 29, 2024

आखिर ऐसा क्या हुआ, जो कॉमेडी किंग महमूद को एक सूफी फकीर से लेने पड़े थे दो रुपये

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अपनी कॉमिक टाइमिंग से सभी के चेहरे पर मुस्कान लाने वाले महमूद साहब (Mehmood Ali) आज भले ही हम लोगों के बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी यादें, उनके किस्से और उनकी फिल्मों के जरिए वो हमेशा अपने प्रशंसकों के दिल में रहेंगे. महमूद का फिल्मी सफर काफी रोमांच से भरा रहा. बाल कलाकार के तौर पर फिल्मी शुरुआत करने के बाद किंग ऑफ कॉमेडी बनकर वह हर दिल की धड़कन में समा गए. महमूद ऐसे कॉमेडियन थे, जिन्हें स्क्रीन पर देखकर लोग ठहाके लगाकर हंसते थे. उनमें सबसे बड़ी यह खासियत थी कि स्क्रीन के जरिए वह जब चाहे किसी को हंसा देते, तो जब चाहे आंखों को नम कर दिया करते.

महमूद की शख्सियत केवल एक अभिनेता के तौर पर ही मशहूर नहीं थी, बल्कि वह एक कामयाब निर्माता और निर्देशक भी थे. महमूद के माता-पिता फिल्मी दुनिया से ताल्लुक रखते थे, इसलिए महमूद का झुकाव भी फिल्मों की तरफ रहा. महमूद काफी शरारती थे. कहा जाता है कि उनके इस शरारती अंदाज के चलते ही उन्हें 1943 की फिल्म किस्मत में बतौर बाल कलाकार काम करने का मौका मिला. महमूद को इस फिल्म में रोल भी किस्मत से ही मिला था.

कैसे मिली पहली फिल्म किस्मत

अल्ट्रा म्यूजिक की एक रिपोर्ट के मुताबिक, हुआ यूं कि एक दिन इस फिल्म के हीरो अशोक कुमार शूटिंग कर रहे थे. फिल्म में एक बाल कलाकार की जरूरत थी, जो अशोक कुमार के बचपन का रोल निभा सके. एक दिन स्टूडियो के बाहर अशोक कुमार को एक बालक खेलता हुआ मिला. उसके नटखट अंदाज पर अशोक कुमार फिदा हो गए और उन्होंने उस बच्चे को अपनी फिल्म में काम करने का मौका दे दिया. यह बच्चा कोई और नहीं बल्कि महमूद ही थे. इस तरह महमूद के फिल्मी करियर की शुरुआत हुई.

इसके बाद महमूद ने सन्यासी और नादान नामक फिल्म में काम किया, लेकिन उनका करियर उन ऊंचाइयों को नहीं छू पा रहा था, जिसकी आस उन्हें थी. हालांकि, महमूद ने हार नहीं मानी, उनका संघर्ष जारी रहा. चूंकि, पिता मुमताज अली भी फिल्मों से ताल्लुक रखते थे, तो वह भी काम की तलाश में इधर उधर घूमते रहते थे. अन्नू कपूर अपने एक शो में बताते हैं कि महमूद के परिवार की माली हालत इतनी खराब थी कि उन्हें दो वक्त का खाना भी बहुत मुश्किल से नसीब होता था. फिल्मों में काम की तलाश के दौरान ही महमूद ने ड्राइवर की नौकरी भी की, लेकिन यह काम कुछ महीने में ही उनके हाथ से निकल गया.

दो रुपये उधार लेने पहुंच गए सूफी फकीर के पास

यह 1950 के दशक की बात है, महमूद काम के चक्कर में निर्माता और निर्देशकों के ऑफिस के चक्कर लगाया करते रहते थे. जेब में एक फूटी कोड़ी नहीं थी. एक दिन काम न मिलने से हताश महमूद मुंबई के फिल्मिस्तान से होते हुए अपने घर मलाड़ जा रहे थे. इस दौरान उन्हें गाड़ियों की एक लंबी लाइन दिखाई पड़ी. यह नजारा वह पहले भी देख चुके थे. जहां गाड़ियों की लाइन लगी थी, वहां एक सूफी फकीर रहता था, जिसका आशीर्वाद लेने के लिए नामी गिरामी लोग आया करते थे. काम न मिलने के कारण महमूद पहले ही काफी निराश थे, इसलिए उस दिन उन्हें क्या सूझी कि वह भी उस सूफी फकीर की कुटिया की तरफ बढ़ लिए.

काफी घंटों के इंतजार के बाद महमूद का उस सूफी फकीर से मिलने का नंबर आया. महमूद को देखते ही उस सूफी फकीर ने पूछा लिया- फिल्मों में काम करने का शौक है… यह सुनकर महमूद चौंक गए कि यह बात सूफी फकीर को कैसे पता है. हालांकि, उन्होंने सूफी फकीर से झूठ कहा कि नहीं, उन्हें कोई शौक नहीं है. महमूद की ये बातें सुनकर सूफी फकीर ने बोला- तो बता क्या चाहिए तुझे. इसपर महमूद उनसे बोले- मैं सिर्फ आपसे दो रुपये उधार लेने आया हूं.  महमूद के इस मासूमियत भरे जवाब को सुनकर उस फकीर ने कहा कि लेकिन मैं तो उधार नहीं देता.

दो रुपये लेने के लिए जिद पर अड़ गए थे महमूद

सूफी फकीर की बातें सुनकर महमूद जिद पर अड़ गए. उन्होंने सूफी फकीर से कहा कि भले ही आप उधार देते हों या नहीं, लेकिन आज तो मैं दो रुपये लेकर ही जाऊंगा, वरना यहीं भूखा मर जाऊंगा. सूफी फकीर एक बार फिर मुस्कुराए और महमूद की पीठ को थपथपाते हुए कहा- बेटा, मायूस होना गुनाह है. अल्लाह मायूस और निराश लोगों को पसंद नहीं करता. उसपर भरोसा रख. तेरा भला होगा. इस सूफी फकीर की भविष्यवाणी सही निकली और महमूद को अगले दिन ही एक फिल्म में कास्ट कर लिया गया. यह फिल्म थी- शिन शिनाकी बबला बू.

हालांकि, यह फिल्म मिलने के बाद भी महमूद के हालात नहीं सुधरे थे. अपने घर की माली हालत ठीक करने के लिए उन्होंने अंडे तक बेचे. इतना ही नहीं, वह दिग्गज अभिनेत्री मीना कुमारी को उनके घर टेबल टेनिस सिखाने भी जाते थे, वो भी 100 रुपये में. दिलचस्प बात ये है कि मीना कुमारी को टेबल टेनिस सिखाते-सिखाते महमूद का दिल उनकी छोटी बहन मधु पर आ गया. कहा जाता है कि मधु से शादी करने के लिए महमूद ने मीना कुमारी को सुसाइड तक की धमकी दी थी, जिसके चलते ही मीना कुमारी को महमूद से बहन मधु की शादी करानी पड़ी. हालांकि, इस बात में कितनी सच्चाई है, इसकी पुष्टि रिपोर्ट लुक नहीं करता

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Jamil Khan
Jamil Khan
जमील ख़ान एक स्वतंत्र पत्रकार है जो ज़्यादातर मुस्लिम मुद्दों पर अपने लेख प्रकाशित करते है. मुख्य धारा की मीडिया में चलाये जा रहे मुस्लिम विरोधी मानसिकता को जवाब देने के लिए उन्होंने 2017 में रिपोर्टलूक न्यूज़ कंपनी की स्थापना कि थी। नीचे दिये गये सोशल मीडिया आइकॉन पर क्लिक कर आप उन्हें फॉलो कर सकते है और संपर्क साध सकते है

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