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Wednesday, March 29, 2023
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दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा- हम उपराज्यपाल के प्रति नहीं, विधानसभा के प्रति जवाबदेह है।

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दिल्ली सरकार बनाम केंद्र की लड़ाई जारी है. दिल्ली सरकार ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट अपना पक्ष रखा. इसमें राज्यपाल के अधिकारों को लेकर कहा कि दिल्ली सरकार विधानसभा के प्रति जवाबदेह है ना कि उप राज्यपाल के प्रति.

साथ ही कहा कि दिल्ली के उपराज्यपाल को भी उतने ही अधिकार हैं, जितने उत्तर प्रदेश या किसी भी राज्य के राज्यपाल के पास हैं.

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दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली में उपराज्यपाल को भी चुनी हुई सरकार की मदद और सलाह से ही काम करना होगा. केंद्र सरकार कानून बनाकर दिल्ली सरकार के संविधान प्रदत्त अधिकारों में कटौती नहीं कर सकती. दिल्ली सरकार के इन सवालों पर सुप्रीम कोर्ट ने 27 अप्रैल तक केंद्र से जवाब मांगा है. इस मामले की सुनवाई 27 अप्रैल को होगी.

बता दें कि दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (संशोधन) अधिनियम 2021 के प्रभावी होने के बाद से दिल्ली में सरकार का मतलब ‘उपराज्यपाल’ कर दिया गया है. इस वजह से दिल्ली विधानसभा से पारित किसी भी विधेयक को मंज़ूरी देने का अधिकार उपराज्यपाल के पास रहने वाला है. इसके अलावा दूसरे फैसलों में भी उपराज्यपाल की सलाह लेनी पड़ेगी. अब इसी बदलाव के खिलाफ दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.

दिल्ली सरकार की ओर से अभिषेक मनु सिंघवी की दलील दी कि दिल्ली का बाकी केंद्रशासित प्रदेशों से बिल्कुल अलग संवैधानिक दर्जा है. सिर्फ तीन विषयों को छोड़कर ये दिल्ली पूर्ण राज्य है. यहां की सरकार बाकी अन्य केंद्र शासित प्रदेशों की सरकार से अधिक अधिकृत है.

सिंघवी ने 239 और 239 A a का जिक्र किया और केंद्र सरकार की सीमाएं बताईं. उनकी तरफ से सर्विसेज यानी अखिल भारतीय सेवाओं के अधिकारियों की नियुक्ति और तबादले के अधिकारियों की व्याख्या की गई. बता दें कि केंद्र का पक्ष सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता रख रहे हैं.

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