गुरुग्राम: गत 15 अगस्त को देश ने स्वतंत्रता दिवस मनाया है. स्वतंत्रता दिवस का मतलब देश को इसी दिन अंग्रेजो से आजादी मिली लेकिन आज भी कुछ लोग अपनी विचारधारा दूसरो पर थोप कर उन्हें मानसिक गुलाम बनाने की कोशिश में लगे हुए और संविधान में दिए गए मूल 5 अधिकारो में से एक उनके धार्मिक स्वतंत्रता का हनन कर रहे है.
ताजा मामला हरियाणा के बापोली गांव का है सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक वीडियो में दावा किया जा रहा है कि इस गांव में स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर एक मौलाना से वन्दे मातरम बोलने के लिए जबरन दबाव बनाया गया और ऐसा नहीं करने पर उन्हें गांव से निकाल दिया गया.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मुस्लिम समुदाय के ही लोगो में मौलाना को गांव छोड़कर चला जाने के लिए कहा ताकि गांव का माहौल खराब ना हो वहीं एसडीएम विजेंद्र कुमार हुड्डा ने बताया कि गांव वालो ने आपस में ही मामले को निपटा लिया है और वीडियो बनाने वाले यूट्यूबर ने इस मामले में माफ़ी माँगी और मौलाना को गाँव से निकालने के बारे में मुझे जानकारी नहीं है.
वायरल वीडियो में साफ देखा जा सकता है की गांव के कुछ लोग एक बुजुर्ग मुस्लिम और एक मौलाना को घेर रखा है और उन्हें कहा जा रहा है कि ‘वन्दे मातरम्’ और ‘भारत माता’ की जय के नारे लगावो हालाकि मौलाना ऐसा करने से इंकार कर देते है और कहते है कि इसकी जगह दूसरे राष्ट्रीय तराने बोल सकता हूं लेकिन वन्दे मातरम् नहीं. लेकिन भगवा गमछा डाले युवक उनसे जबरन दबाव डालते है और बुजुर्ग से वन्दे मातरम बुलवाते है और वीडियो के अंत में कुछ युवकों को मस्जिद के उपर तिरंगा फहराते हुए भी देखा जा सकता है.
आखिर क्यों खड़ा होता है यह मुद्दा ?
आपको बता दे की मुस्लिम सिर्फ एक अल्लाह की उपाहसना (पूजा या इबादत) करते है और इस्लाम कबूल करते समय कलमा पढ़ते है जिसका हिंदी में मतलब होता है कि में गवाही देता हूं कि सिर्फ अल्लाह की इबादत करूंगा और पैगम्बर मोहम्मद सल्लाहू अलैहि वसल्लम अल्लाह के रसूल (पैगम्बर) है. इसी वजह से मुस्लिम स्कॉलर वन्दे मातरम और भारत माता की जय के नारे बोलने से गुरेज करते है क्यों की वह देश या किसी अन्य कि उपासना नहीं करते. हालाकि वह अपने वतन से उतनी ही मोहब्बत करते है जितना अन्य भारतीय लेकिन दूसरे संप्रदाय और पार्टी विशेष के लोग इस मुद्दे को लेकर आए दिन हंगामा बरपा करते है.