बनारस की ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे पर बवाल बढ़ता जा रहा है। शुक्रवार को मुस्लिमों ने इसका विरोध किया तो शनिवार को कोर्ट कमिश्नर और उनकी टीम को मस्जिद में एंट्री ही नहीं दी गई। उसके बाद से सर्वे का काम ठप है। उधर, मुस्लिम पक्षकारों ने कोर्ट कमिश्वनर को तब्दील करने की मांग के साथ जो याचिका दाखिल की थी वो बाद दोपहर खारिज हो गई।
सर्वे के मुद्दे को लेकर मुस्लिम पक्ष की ओर से आपत्ति जताकर कोर्ट कमिश्नर को बदलने की मांग की गई थी। सिविल जज रवि कुमार दिवाकर की अदालत में मुस्लिम पक्ष का कहना था कि मस्जिद के भीतर वीडियोग्राफी का आदेश कोर्ट की ओर से नहीं दिया गया। लेकिन कोर्ट ने सर्वेक्षण के काम को रोकने से इंकार कर दिया गया। उसके बाद ज्ञानवापी परिसर में सर्वे के मद्देजनर पुलिस फोर्स और पीएसी की तैनाती की गई।
इंडिया टुडे की खबर के मुताबिक मुस्लिम पक्ष की तरफ से वकील अभय कुमार यादव ने अपनी याचिका में कोर्ट कमिश्नर अजय मिश्रा की निष्पक्षता को लेकर सवाल खड़े किए। उन्हें हटाने की मांग कोर्ट से की गई थी। कोर्ट ने कमिश्नर को हटाने की याचिका पर 9 मई को सुनवाई करने को कहा है। सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों से कोर्ट में मौजूद रहने को कहा गया है। उधर शनिवार को कोर्ट कमिश्नर और उनकी टीम जब मस्जिद के बाहर पहुंची तो वहां लोगों का जमावड़ा था। सभी टीम का विरोध कर रहे थे। लोगों को देख टीम ने सर्वे नहीं किया।
दरअसल ज्ञानवापी मस्जिद और श्रृंगार गौरी मंदिर को लेकर विवाद लगातार चल रहा है। कुछ महिलाओं ने इसे लेकर अदालत में याचिका दाखिल की थी। इसको लेकर ही कोर्ट कमिश्नर की नियुक्ति कर अदालत ने मस्जिद परिसर में वीडियोग्राफी का आदेश दिया था। लेकिन कोर्ट के आदेश के बाद सर्वे को लेकर मस्जिद में वीडियोग्राफी की टीम शुक्रवार को पहुंची तो मुस्लिम पक्ष की ओर से विरोध किया गया।
उधर, AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने कोर्ट के फैसले पर तल्ख टिप्पणी कर कहा कि ये हिंसा का रास्ता खोलने जैसा है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का भी हवाला दिया। उधर बीजेपी सांसद मनोज तिवारी ने ओवैसी पर पलटवार कर कहा कि सर्वे का फैसला कोर्ट ने दिया है। एक तरफ ओवैसी संविधान की बात करते हैं वहीं दूसरी तरफ अदालत का फैसला भी नहीं मानते।