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Wednesday, December 6, 2023

टिकरी और सिंघु बॉर्डर पर फिर तेज होगा आंदोलन! भीड़ जुटाने के लिए कबड्डी लीग कराने जा रहे प्रदर्शनकारी किसान

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दिल्ली के बॉर्डर पर चल रहा किसान आंदोलन (Farmer Protest) एक बार फिर से तेज होने जा रहा है. बॉर्डर पर पिछले काफी महीनों से भीड़ कम होने लगी है. भीड़ को फिर से जुटाने के लिए प्रदर्शनकारी किसानों ने कबड्डी लीग (Kabaddi League)  आयोजित करने का फैसला लिया है. किसान 22 सितंबर से टिकरी और सिंघु बॉर्डर पर पांच दनों का कबड्डी लीग आयोजित करने जा रहे हैं. किसानों ने यह फैसला भीड़ को आकर्षित करने के लिए लिया है.

कबड्डी लीग में हरियाणा और पंजाब के कई हिस्सों की टीमें के भाग लेने की संभावना जताई जा रही है. किसानों ने घोषणा की है कि जीतने वाली टीम को 3 लाख रुपये और सेकेंड विनर टीम को 2 लाख रुपये का नकद इनाम दिया जाएगा. सूत्रों के मुताबिक संयुक्त किसान मोर्चा (Sayukt Kisan Morcha) का कबड्डी लीग आयोजित करने का मकसद 27 सितंबर को होने वाले भारत बंद (Bharat Band) से पहले प्रदर्शनकारियों की संख्या बढ़ाना है. दरअसल धान की कटाई के लिए किसान वापस पंजाब लौट रहे हैं. उन्हें दोबारा बॉर्डर पर वापस लाने के लिए किसानों ने ये कदम उठाया है.

हरियाणा-पंजाब में लगाए जाएंगे बैनर

बीकेयू (राजेवाल) के एक सीनियर नेता प्रगत सिंह का कहना है कि मेगा इवेंट की तैयारी शुरू हो गई है. कबड्डी लीग के लिए हरियाणा और पंजाब में बैनर और पोस्टर लगाए जाएंगे. वहीं सोशल मीडिया के जरिए बड़े स्तर पर इसका प्रचार किया जाएगा. बीकेयू (लखोवाल) के एक सीनियर नेता पुरुषोत्तम सिंह गिल का कहना है कि किसान लंबे समय से सीमाओं पर बैठे हैं, इसलिए इस गति को बनाए रखने के लिए नियमित रूप से कार्यक्रम आयोजित करना जरूरी था.

किसान आंदोलन तेज करने की प्लानिंग

बता दें कि किसानों की सक्रियता दूसरी जगहों पर इन दिनों खूब देखने को मिल रही है. हाल ही में करनाल में किसानों ने जमकर विरोध-प्रदर्शन किया था. प्रशासन से बातचीत के बाद दोनों के बीच आंदोलन खत्म करने को लेकर सहमति बन गई थी. वहीं किसान यूपी और पंजाब में भी विरोध-प्रदर्शन करने की प्लानिंग कर रहे हैं. दरअसल यूपी और पंजाब में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं. ऐसे में किसानों ने आंदोलन और तेज करने का कम बना लिया है.

आर्थिक नुकसान पर होगा सर्वे

बता दें कि पिछले 9 महीने से ज्यादा समय से किसान दिल्ली की सीमाओं पर डटे हुए हैं. वह लगातार सरकार से तीन कृषि कानूनों का वापस लेने की मांग पर अड़े हुए हैं. अब किसान आंदोलन को लेकर बड़ा कदम उठाया जा रहा है. आंदोलन की वजह से हुए आर्थिक नुकसान और सामाजिक प्रभाव को लेकर सर्वे होने जा रहा है. यह सर्वे कराने का फैसला राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने लिया है.

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