नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली के हिंसा प्रभावित जहांगीरपुरी इलाके में उत्तरी दिल्ली नगर निगम (एनडीएमसी), पीडब्ल्यूडी और पुलिस द्वारा चलाए गए अतिक्रमण विरोधी अभियान पर रोक लग गई है।
ऐसा सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर हुआ। घटनास्थल पर मौजूद लोग अब अपनी-अपनी आपबीती बयां कर रहे हैं। इसी इलाके में रहने वाले गणेश गुप्ता की आंखों से आंसू बह रहे हैं। उन्होंने कहा है कि, हमारे पास कागज थे, फिर भी उन लोगों ने मेरी जूस की दुकान को तोड़ दिया। अपना यही काम है, जिससे गुजारा चलता है।”जहांगीरपुरी के रहने वाले सुना रहे आपबीती
दिल्ली के जहांगीरपुरी के रहने वाले गणेश गुप्ता का कहना है कि, आज उत्तरी दिल्ली नगर निगम और पुलिस समेत बड़ी संख्या में प्रशासनिक अमला बुलडोजर लेकर आया और एक के बाद एक दुकान तोड़ डाली। वे इसे अवैध ढांचों को गिराने के लिए क्षेत्र में अतिक्रमण विरोधी अभियान बता रहे हैं, लेकिन हमारे पास तो कागज थे। अनुमति ले रखी थी। इसके बावजूद मेरी दुकान तोड़ दी गई।
मेरे पास सभी कागजात, लेकिन नहीं सुनी
गणेश कुमार गुप्ता बोले, “यहां मेरी जूस की दुकान बरसों से चल रही थी। जो कि दिल्ली विकास प्राधिकरण द्वारा-1977 में आवंटित की गई थी और इसे साबित करने के लिए हमारे पास सभी आवश्यक दस्तावेज थे। जो दस्ता तोड़-फोड़ कर रहा था, उनसे मैंने कहा कि साहब! मेरे पास सभी कागजात हैं। लेकिन उन्होंने नहीं सुनी। मैंने यहां तक कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने एक घंटे पहले विध्वंस को रुकवा दिया है, लेकिन फिर भी वे नहीं रुके।”
अब अदालत जाएंगे
गणेश कुमार गुप्ता ने कहा कि, “जहां तक जंहागीरपुरी में हुए दंगे-फसाद की बात है तो हमारे परिवार में भी किसी पर कोई आरोप नहीं लगाया गया। मैं एक दुकानदार हूँ, वे मुझे क्यों गिरफ्तार करेंगे? मैं तो अपनी दुकान तोड़े जाने से दुखी हूं..उससे मेरी रोजी-रोटी चल रही थी। अब सहारे के लिए, हम अदालत का रुख करेंगे।”