राजस्थान के करौली में हिंसा क्यों हुई? ऐसा क्या हुआ जिसकी वजह से दोनों गुटों में संघर्ष हो गया। यह पता लगाने के लिए कांग्रेस ने अल्पसंख्यक बोर्ड के अध्यक्ष और विधायक रफीक खान की अध्यक्षता में फैक्ट फाइंडिंग कमेटी बनाई थी।
इन सभी सवालों के जवाब मीडिया ने उनसे जानने की कोशिश की। पेश है उनसे बातचीत के प्रमुख अंशः
सवालः करौली में क्या हुआ? आपको क्या पता चला है?रफीक खान: करौली की जनता में कोई आपसी दुश्मनी नहीं है। करौली में 50 साल पहले से मुहर्रम और गणगौर के जुलूस निकलते रहे हैं। दो अप्रैल को जब हिंसा हुई तब जुलूस का रुट किसने तय किया? डीजे की अनुमति किसने दी? यह सब सवाल तो हैं ही। पर जो तय हुआ था उसमें हिंदू-मुस्लिम दोनों ही पक्ष जुलूस का स्वागत करने वाले थे।
ऐसा हुआ भी। जैसे ही जुलूस अल्पसंख्यकों की बहुलता वाले इलाके में गया, वहां किसी ने अभद्र भाषा वाला वीडियो चला दिया। उसकी भाषा में इतनी उत्तेजना थी कि माहौल खराब हो गया। स्वागत होना चाहिए था, पर हिंसा हो गई। जिस प्रकार लोगों ने हथियार चलाए और अभद्र भाषा का प्रयोग किया, उससे पथराव शुरू हो गया।
पुलिस ने स्थिति को काबू कर लिया था। तब जुलूस निकालने वाले एक जगह जुटे और विरोध में कुछ दुकानों में आग लगा दी। 39 लोगों की दुकानें जला दी गई। 20-25 गरीबों के ठेले जला दिए गए। इसके बाद तुरंत कर्फ्यू लगा दिया गया। नवरात्रि और रमजान को ध्यान में रखते हुए छूट दी गई। उसमें भी कुछ दुकानों में आग लगा दी गई। प्रशासन ने पुलिस कंपनी तैनात की और अब वहां शांति है। हम खुद सभी समाज के लोगों से मिले और वे सब शांति चाहते हैं।
सवाल: जब दोनों पक्ष हथियार लेकर चल रहे थे, तब प्रशासन क्या कर रहा था? रफीक खानः हथियार जुलूस का हिस्सा थे। गलतफहमी में दो भाई भी लड़ जाते हैं। जब यह लड़ाई घर में हो तो मुद्दा नहीं बनता। एक ही समुदाय में हो जाए तो भी मुद्दा नहीं बनता। दो समुदायों में लड़ाई होती है तो यह एक बड़ा मुद्दा बन जाता है। एक पार्टी जनता को भड़काती है। हम इस पर राजनीतिक रोटियां नहीं सेकना चाहते।
सवालः भाजपा का आरोप है कि कांग्रेस ने सुनियोजित तरीके से दंगे भड़काए? रफीक खानः एक पार्टी दो समुदायों को लड़ाने का काम कर रही है। दूसरी ओर एक पार्टी अब भी अमन-चैन और भाईचारा चाहती है। हमें लड़ाई नहीं चाहिए, बल्कि इंसानियत चाहिए। सरकार भी शांति स्थापित करना चाहती है। वहां के लोगों ने मुझे बताया कि हालात सुधरते ही हिंदू, मुस्लिम, सिख और इसाई समाज के प्रमुख लोग मिलकर शांति मार्च निकालेंगे। शांति का मैसेज देंगे।
सवाल: सरकार को अंदेशा था तो हिंसा को भड़कने से रोका क्यों नहीं?
रफीक खानः राजनीति में अपना उल्लू सीधा करने की मंशा होती है। इस वजह से राजस्थान में माहौल ठीक नहीं है। कभी-कभी प्रशासन हल्के में लेता है और उसका खामियाजा भुगतना पड़ता है। प्रशासनिक स्तर पर कुछ कमी रही। जांच होना चाहिए और प्रशासनिक अधिकारियों की भी जवाबदेही तय होनी चाहिए। पर इस समय हमारा मकसद शांति स्थापित करना है।
सवालः अभी करौली हिंसा को लेकर कांग्रेस क्या सोच रही है?
रफीक खानः अभी स्थिति बेहतर है। लोग शांति मार्च की बात कर रहे हैं। सरकारी प्रतिनिधि होने के नाते मैं इसे 3 हिस्सों में देखता हूं। पहला, शांति स्थापित करना। दूसरा, न्यायिक जांच और तीसरा, पीड़ित वर्ग को मुआवजा मिले। इन तीन कामों पर फोकस है।
सवाल: कुछ घरों में पत्थरों का ढेर मिला है। क्या यह दंगा सोची-समझी साजिश का हिस्सा है? रफीक खानः ऐसा कुछ नहीं है। सिर्फ उत्तेजना में आकर यह हुआ है। राम-रहीम की बात करना है। हमें इंसानियत की बात करनी है। जब आप किसी एक समुदाय को नीचा दिखाने की कोशिश करते हैं तो उसमें उत्तेजना का माहौल बनना स्वाभाविक है। कांग्रेस इस तरफ नहीं सोचती। सिर्फ मानवीयता के बारे में सोचती है। कमजोर वर्ग का साथ देने का सोचती है। हमने गरीबों के मुआवजे के लिए प्रयास शुरू कर दिए हैं। जिन गरीबों को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है, उनकी भरपाई हमारी प्राथमिकता है।