काबुल, अक्टूबर 06: अफ़ग़ानिस्तान की सत्ता पर काबिज होने के बाद हक्कानी नेटवर्क के चीफ सिराजुद्दीन हक्कानी का भाई अनस हक्कानी अफगानिस्तान की सत्ता पर कब्जा करने के बाद भारत के खिलाफ जहर उगलना शुरू कर चुके है और मंगलवार को उन्होंने महमूद गजनवी की कब्र का दौरा किया है। जिन्होंने सोमनाथ मंदिर पर 17 बार हमला किया था। इस दौरान हक्कानी नेटवर्क के अनस हक्कानी ने मुस्लिम सम्राट मोहम्मद गजनी की तारीफ में कसीदे पढ़े हैं, लेकिन सवाल ये उठ रहे हैं कि महमूद गजनवी के कब्र का दौरा कर क्या अनस हक्कानी के जरिए पाकिस्तान ने भारत को कोई संदेश देने की कोशिश की है?

गजनवी की कब्र पर अनस हक्कानी
तालिबान नेता अनस हक्कानी ने मंगलवार को महमूद गजनवी की कब्र का दौरा किया, जिन्होंने 17 वीं शताब्दी में गुजरात के सोमनाथ मंदिर पर 17 बार हमला किया था। अफगानिस्तान सरकार में गृहमंत्री बनने वाले दुनिया के कुख्यात आतंकवादी और 50 लाख डॉलर का इनामी सिराजुद्दीन हक्कानी के छोटे भाई अनस हक्कानी महमूद गजनवी की कब्र पर गए और गजनवी को ‘एक प्रसिद्ध मुस्लिम योद्धा’ कहकर महिमामंडित किया। इस दौरान अनस हक्कानी ने सोमनाथ मंदिर की मूर्तियों को तोड़े जाने का भी जिक्र किया। अनस हक्कानी ने इसकी जानकारी ट्वीट करके दी है।

मूर्ति तोड़ने का किया जिक्र
अनस हक्कानी ने ट्वीट के जरिए 10वीं शताब्दी के मुस्लिम योध्या महमूद गजनवी का जमकर महिमामंडन किया और ट्वीट में लिखा कि, ‘आज, हमने 10 वीं शताब्दी के एक प्रसिद्ध मुस्लिम योद्धा और मुजाहिद सुल्तान महमूद गजनवी की दरगाह का दौरा किया। गजनवी (अल्लाह की दया उस पर हो) ने गजनी क्षेत्र में एक मजबूत मुस्लिम शासन स्थापित किया और सोमनाथ की मूर्ति को तोड़ा”। अनस हक्कानी ने इसके साथ ही ट्विटर पर कब्र की तस्वीरें भी पोस्ट की हैं।

कौन थे महमूद गजनवी?
महमूद गजनवी, गजनवी के तुर्क वंश का पहला स्वतंत्र शासक था, जिन्होंने 998 से 1030 ईस्वी तक शासन किया था। इतिहास के अनुसार महमूद गजनवी ने सोमनाथ मंदिर पर 17 बार आक्रमण किया था और अंतत: 1024 ई. मंदिर के प्रमुख देवता भगवान शिव की मूर्तियों को खंडित कर दिया था। भारत पर आक्रमण करने के बाद गजनवी ने विशेष रूप से हिंदू मंदिरों को निशाना बनाया।
कौन है अनस हक्कानी?
अनस हक्कानी, हक्कानी नेटवर्क के प्रमुख सिराजुद्दीन हक्कानी का छोटा भाई है। हक्कानी नेटवर्क की स्थापना पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई की मदद से 1990 के दशक में की गई थी और बाद में हक्कानी नेटवर्क और तालिबान आपस में मिल गये। लेकिन, इस बार जब तालिबान ने काबुल पर कब्जा कर लिया, तो एक बार फिर हक्कानी नेटवर्क का जिक्र होने लगा और सिराजुद्दीन हक्कानी को अफगानिस्तान की सरकार में आंतरिक मंत्री बना दिया। वास्तव में सिराजुद्दीन हक्कानी अफगानिस्तान के आंतरिक मंत्रालय के प्रमुख है
पाकिस्तान में ही मिली ट्रेनिंग
पाकिस्तानी मीडिया में आई रिपोर्ट्स और पाकिस्तान के पूर्व सैन्य अधिकारियों ने अपने बयान में कई बार दावा किया है कि तालिबान के संस्थापक मुल्ला उमर को पाकिस्तान के खैबर-पख्तूनख्वा प्रांत के दारुल उलूम हक्कानिया में ट्रेनिंग मिली थी, जहां से हक्कानी नेटवर्क का नाम पड़ा। हक्कानी नेटवर्क पाकिस्तान में शामिल एक जिहाद समूह है, जिसके दो सदस्य तालिबान के उप नेता सिराजुद्दीन हक्कानी और तालिबान के दूत खलील हक्कानी है, जिनके सिर पर 15 मिलियन अमरीकी डालर का इनाम है
भारत के खिलाफ उगलता जहर
अफगानिस्तान में जब अमेरिका था, उस वक्त हक्कानी नेटवर्क भारतीय दूतावास पर हमला भी कर चुका है। हक्कानी नेटवर्क के लोग भारत के कट्टर दुश्मन हैं और माना जा रहा है कि आज नहीं तो कल ये कश्मीर में गड़बड़ी फैलाने की कोशिश जरूर करेंगे।