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Thursday, September 28, 2023
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मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने लिखा पीएम को पत्र, कहा – समान नागरिक संहिता लागू करने से पहले धर्मगुरुओं से करे चर्चा

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News Desk: मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड आफ इंडिया के राष्ट्रीय महासचिव डा.मोइन अहमद खान ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को समान नागरिक संहिता को लेकर पत्र भेजा है। बोर्ड ने पत्र में कई सवाल उठाए हैं। बोर्ड के राष्ट्रीय महासचिव द्वारा भेजे पत्र में देश में समस्त धार्मिक समूहों को अपने धार्मिक रीतिरिवाज के अनुसार शादी विवाह की संवैधानिक अनुमति की बात कही है।

धार्मिक समूहों के संगठनों से सकारात्मक चर्चा करें सरकार

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पत्र में कहा गया है कि मुस्लिम समुदाय सहित अनेक समुदायों को अपने धार्मिक विधि के अनुसार विवाह तलाक के अधिकार भारत की स्वतंत्रता के पूर्व से प्राप्त है, मुस्लिम समुदाय को 1937 से इस संबंध में मुस्लिम एप्लिकेशन एक्ट के अंतर्गत संरक्षण प्राप्त है। आजादी के उपरांत संविधान सभा में इस संबंध में हुई बहस में प्रस्तावना समिति के चेयरमैन बाबा साहब भीमराव अंबेडकर ने कहा था कि सरकार इसे धार्मिक समुदाय पर छोड़ दे और सहमति बनने तक इसे लागू न करे। समान नागरिक संहिता से पहले सरकार को सभी धार्मिक समूहों के संगठनों से सकारात्मक चर्चा करें। इस पर चल रही बहस संविधान संमत नही है।

राष्ट्रीय महासचिव ने पत्र में कहा है कि इसके लागू होने के बाद मुस्लिम समुदाय के निकाह व तलाक सहित महिलाओं के संपत्ति में अधिकार जैसे विषय क्या समाप्त हो जाएंगे या कानून उन्हें अधिकार देगा? मुस्लिम समुदाय के निकाह तलाक महिलाओं का संपत्ति में अधिकार जैसे अधिकार ही मुस्लिम एप्लीकेशन एक्ट-1937 से लेकर भारतीय संविधान में स्थापित है फिर उसके साथ समान नागरिक संहिता की आड़ में उसके साथ छेड़छाड़ की क्या आवश्यकता है? राज्य या केंद्र सरकार इसे लागू करने के पूर्व धार्मिक समुदाय या उनके धर्मगुरुओं से चर्चा के बाद ही इसे लागू करने का निर्णय ले। बोर्ड सरकार से इस पर विस्तार से चर्चा कर लागू करने की अपील करता है।

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Ahsan Ali
Ahsan Ali
Journalist, Media Person Editor-in-Chief Of Reportlook full time journalism.
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