वाराणसी। उत्तर प्रदेश में बनारस स्थित ज्ञानवापी मस्जिद सर्वे के विवाद के बीच इंटरनेट पर धर्मस्थलों की तस्वीरों की बाढ़-सी आ गई है। दो दृश्यों का एक यह कोलाज भी लोगों की नजरों में है, जिसमें एक ओर भगवान शिव के वाहन नंदी की एक प्रतिमा है, वहीं दूसरी ओर ज्ञानवापी मस्जिद दिखाई जा रही है।
इस तस्वीर को इस दावे के साथ शेयर किया जा रहा है कि नंदी की यह प्रतिमा उस काशी विश्वनाथ मंदिर का हिस्सा है, जहां अब मस्जिद खड़ी है।
क्या यह नंदी प्रतिमा काशी विश्वनाथ मंदिर की है?

फेसबुक और ट्विटर पर बहुत से लोगों ने इस कोलाज साझा किया। जिसमें यह भी लिखा था, “काशी विश्वनाथ मंदिर के लिए नंदी का लंबा इंतजार।” इस तस्वीर के साथ लिखा जा रहा है कि, नंदी का चेहरा हमेशा शिवलिंग की ओर होता है। ठीक उसी तरह नंदी की ये प्रतिमा का चेहरा भी उस तरफ है, जहां अभी ज्ञानवापी मस्जिद है, तो यही मूल विश्वनाथ मंदिर है। इस्लामिक-राज में उस मूल मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाई दी गई थी, और तब से मुसलमान मस्जिद में नमाज अदा करते हैं; जबकि सदियों से नंदी दरवाजे की तरफ देख रहे हैं, जो अपने मालिक के आने का इंतजार करते हैं। कि हमारे भगवान वहां हैं, हमारी प्रतीक्षा कर रहे हैं।”
यह है सचाई

इंटरनेट पर नजर आ रही यह तस्वीर आधी हकीकत आधी फसाना सरीखी है। हां जी, न तो काले नंदी वाराणसी की ज्ञानव्यापी मस्जिद के सामने बैठे हैं, और न ही यह प्रतिमा उस जगह की है। हमने फैक्ट चेक में यह पाया कि, वायरल की गई पोस्ट में नंदी की मूर्ति वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर की नहीं, बल्कि यह महाराष्ट्र के काशी विश्वेश्वर मंदिर की है।
इस तस्वीर को इंटरनेट पर खोजा गया

इस पोस्ट की असलियत पता करने के लिए हमने नंदी की प्रतिमा की रिवर्स इमेज सर्च की, जिसमें पाया कि यह महाराष्ट्र के वाई में काशी विश्वेश्वर मंदिर की थी। हमें इस तस्वीर के स्टॉक फोटोग्राफी एजेंसी अलामी पर मिले। उस वेबसाइट के अनुसार, ये तस्वीर 28 मई, 2012 को ली गई थी। इसके कैप्शन में बताया गया है कि बैल (नंदी) की मूर्ति महाराष्ट्र के सतारा जिले के वाई में काशी विश्वेश्वर मंदिर की है। एक अन्य स्टॉक फ़ोटोग्राफ़ी वेबसाइट शटरस्टॉक के पास भी इस प्रतिमा की तस्वीर थी, जो 1 अगस्त 2011 को ली गई थी। शटरस्टॉक ने भी यही लिखा हुआ है कि यह तस्वीर महाराष्ट्र स्थित काशी विश्वेश्वर मंदिर की है।
महाराष्ट्र के मंदिर में है ये प्रतिमा

महाराष्ट्र सरकार की वेबसाइट पर, वहां के काशी विश्वेश्वर मंदिर, जो कि सतारा के पास कृष्णा और वेन्ना नदियों के संगम पर है, वह अठारहवीं शताब्दी का मंदिर है। अत: जो नंदी की प्रतिमा का जो दृश्य उत्तर प्रदेश की ज्ञानवापी मस्जिद विवाद से जोड़कर दिखाया जा रहा है, असल में फेक है।
दावा गलत- यह वो मूर्ति नहीं है

इसलिए, ऐसा बताना कि “नंदी की यह मूर्ति ज्ञानवापी मस्जिद के सामने है, जो वाराणसी का मूल काशी विश्वनाथ मंदिर है”, बिल्कुल गलत है।
- यह मूर्ति वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर की नहीं है। यह महाराष्ट्र के काशी विश्वेश्वर मंदिर की मूर्ति है।