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Saturday, May 4, 2024

भड़काऊ नारों से राजधानी का माहौल बिगाड़ने का ‘प्रयोग’ या ‘संयोग’? दिल्ली पुलिस की गिरफ्तारी के बाद BJP नेता का यू-टर्न

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दिल्ली में नफरत की सियासत करने वालों ने एक बार फिर मजहबी उन्माद फैलाने की साजिश की है. इसलिए आज हम दिल्ली के एक भड़काऊ गैंग की असलियत उजागर करेंगे. फिक्र ये है कि नफरत की आग लगाने वाले जो जहर फैलाना चाहते हैं, वो फैलाने में कामयाब हो जाते है. जिस मकसद से नफरत की सियासत की जाती है, वो मकसद भी पूरा हो जाता है और बाद में भड़काऊ गैंग चुपके से यू-टर्न ले लेता है. लिहाजा आज इस राजनीति को पूरे देश को समझना होगा और सिर्फ समझना नहीं होगा बल्कि जहरीली सोच से लड़ना भी होगा.

हेट स्पीच के आरोप में गिरफ्तार नेताओं के समर्थन में मंगलवार को लोग सड़कों पर उतरे, पुलिस के खिलाफ नारे लगाए और जबरन थाने में घुसने की कोशिश की. दिल्ला के कनॉट प्लेस थाने के बाहर कई घंटे तक चला ये हल्ला हंगामा, राजधानी के भड़काऊ गैंग की राजनीति का नजीता है. अब इसके पीछे की पूरी कहानी समझिए.

जंतर-मंतर पर भड़काऊ भाषण देने के आरोप में बीजेपी के एक नेता अश्विनी उपाध्याय समेत 6 लोग गिरफ्तार कर लिए गए. उन्हें पूछताछ के लिए कनॉट प्लेस थाने लाया गया था. इसीलिए कई संगठनों से जुड़े लोगों ने थाने पर धावा बोल दिया और सभी आरोपियों की रिहाई की मांग करने लगे. देखते ही देखते नारेबाजी शुरू हो गई. विरोध कर रही महिलाएं जबरन थाने के अंदर घुसने लगीं और जब उन्हें रोका गया तो ड्रामा शुरू हो गया. महिलाएं जमीन पर लेटकर विरोध करने लगी. हालात बेकाबू होने लगा तो पुलिस ने कई लोगों को डिटेन कर लिया और फिर सभी को बस में बिठाकर ले गए.

नारेबाजी से खास समुदाय को किया गया टारगेट

लेकिन ये खबर इतनी भर नहीं है. आज भड़काऊ गैंग की इस सियासत को डिटेल में समझने की जरुरत है. जिसकी शुरुआत रविवार को जंतर मंतर से हुई. ये वीडियो भी बीते रविवार का है जो जंतर मंतर पर मोबाइल कैमरे से रिकॉर्ड हुआ है. इस वीडियो में जिस तरह के नारे लग रहे हैं, उन्हें हम सुना नहीं सकते. बस यूं समझ लीजिए कि यहां पर एक खास समुदाय को टारगेट किया गया और जहर भरे नारे लगाए गए.

दिल्ली के जंतर-मंतर पर ये भीड़ जमा हुई थी, लेकिन कोरोना गाइडलाइंस के चलते पुलिस ने रैली की अनुमति नहीं दी थी. भड़काऊ भाषणों के लिए चर्चित पुजारी नरसिंहानंद सरस्वती के अलावा टीवी अभिनेता से नेता बने गजेंद्र चौहान भी इस प्रदर्शन के हिस्सा थे. जैसे ही ये वीडियो वायरल हुआ दिल्ली पुलिस भी एक्शन में आई. हालांकि इस पूरी कहानी का क्लाइमैक्स अभी बाकी है. जब गिरफ्तारी की तलवार लटकने लगी तो बीजेपी नेता और पूर्व प्रवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने यू-टर्न ले लिया और जंतर मंतर पर जो कुछ कहा गया, किया गया, उससे पल्ला झाड़ लिया.

बीजेपी नेता ने अपनी सफाई में कहा, “कुछ भी कर देंगे. कोई कहता है गला काट देंगे. कोई कहता है हम हिंदू को खत्म कर देंगे. कोई कहता है मुसलमानों को खत्म कर देंगे. इसकी मैं निंदा करता हूं. और सरकार से मांग करता हूं कि जो मजहबी उन्माद फैलाए. उसकी 100 फीसदी प्रॉपर्टी सीज करने और कम से कम 10 से 20 साल की सजा देने के लिए कानून बनाए. तब जाके मजहबी उन्माद और कट्टरवाद कम होगा.”

सेव इंडिया फाउंडेशन ने आयोजित की थी रैली- अश्विनी उपाध्याय

अश्विनी उपाध्याय ने ये भी सफाई दी है कि रैली सेव इंडिया फाउंडेशन ने की थी, जिस संस्था से उनका कोई संबंध नहीं है. उन्होंने कहा कि रैली में वो आरवीएस मणि, फिरोज बख्त अहमद और गजेंद्र चौहान की तरह ही मेहमान के तौर पर मौजूद थे और ये सब जब हुआ तो न वहां था, न इसकी जानकारी थी.

दिल्ली पुलिस ने हेट स्पीच के आरोप में अश्विनी उपाध्याय के अलावा विनोद शर्मा, दीपक सिंह, दीपक, विनीत क्रांति और प्रीत सिंह को गिरफ्तार किया है. इन सब के खिलाफ इंडियन पीनल कोड (IPC) के सेक्शन 153A और 188 के तहत केस दर्ज किया गया है. अन्य संदिग्धों को हिरासत में लेने के लिए पुलिस शहर में छापेमारी भी कर रही है. हो सकता है वो जल्द गिरफ्तार हो जाएंगे, लेकिन असल फिक्र भड़काऊ गैंग की ये सियासत है जो भीड़ की शक्ल में मजहबी उन्माद फैलाने की साजिश रचते हैं.

अब आपको बताते हैं कि इस सोच को समझने की जरूरत क्यों है. गुड़गांव की एक अदालत ने भड़काऊ भाषण देने के आरोपी एक युवक को जमानत देने से इनकार करते हुए कहा था कि “धर्म या जाति के आधार पर अभद्र भाषा” एक “फैशन” बन गया है और आज के दौर में देखें तो नफरत की राजनीति एक ट्रेंड सा बन गया है. और इस ट्रेंड से कोई भी पार्टी नहीं बची है.

देश में 58 सांसदों और विधायकों के खिलाफ हेट स्पीक के मामले

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स के मुताबिक, देश भर में 58 सांसद और विधायक पर हेट स्पीच के केस चल रहे हैं. 58 सांसदों और विधायकों में 15 लोकसभा सांसद है. जिसमें 10 सांसद बीजेपी के हैं. जबकि 43 विधायकों पर हेट स्पीच के केस चल रहे हैं, जिनमें 17 बीजेपी के, 5 टीआरएस और एमआईएम के हैं. तीन टीडीपी के हैं, दो-दो टीएमसी, कांग्रेस, जेडीयू और शिवसेना के. जबकि DMK, BSP, SP के एक एक विधायक पर हेट स्पीच का केस चल रहा है.

हालांकि इसमें एक फिक्र ये भी है कि जो पार्टी सरकार में होती है, वो विपक्षी नेता की मामूली बात को भी बड़ा बना देती है और अपने साथियों के बड़े से बड़े अपराध को दबा देती हैं. लेकिन इन सबके बावजूद ये साफ है कि नफरत की राजनीति से हर पार्टी वोट बैंक की सियासत करती है. अब वक्त आ गया है कि ऐसे सियासतदानों की सोच पर चोट हो.

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