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Wednesday, April 17, 2024

पथरी का ऑपरेशन करवाने आए मरीज की डॉक्टर ने ‘गलती से’ निकाल दी किडनी, मौत

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गांधीनगर, 19 अक्टूबर। गुजरात के एक अस्पताल से बेहद हैरान करने वाला मामला सामने आया है। इस पूरे किस्से को जानने के बाद आप डॉक्टर के पास जाने से पहले सौ बार सोचेंगे। मामला ये है कि गुजरात का रहने वाल एक शख्स अपनी पथरी का ऑपरेशन कराने के लिए अहमदाबाद के केएमजी जनरल अस्पताल गया था, जहां डॉक्टर ने उसकी पथरी निकालने के बजाय उसका बायां गुर्दा ही निकाल लिया। इस घटना के चार महीने बाद उस मरीज ने दम तोड़ दिया।

अस्पताल को मरीज को मुआवजा देने का आदेश

जैसे ही यह मामला गुजरात राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के संज्ञान में आया, आयोग ने अस्पताल को दोषी मानते हुए मरीज के परिवार को 11.23 लाख रुपए की मुआवजा राशि देने का आदेश दिया है। आयोग ने अस्पताल को मरीज को पर्याप्त जानकारी न देने और उसकी ठीक से देखभाल न करने का दोषी माना। आयोग ने कहा कि नियोक्ता न केवल इस चूक के लिए, बल्कि अपने कर्मचारियों की लापरवाही के लिए भी उत्तरदायी हैं, जब तक कि यह कार्य रोजगार और दायरे के दौरान होता है। अस्पताल को मुआवजे के साथ साल 2012 से 7.5 प्रतिशत की व्याज देने को भी कहा गया है।

क्या था पूरा मामला

दरअसल खेड़ा जिले के वंगरोली गांव के देवेंद्रभाई रावल को गंभीर पीठ दर्द और पेशाब करने में परेशानी थी, जिसके बाद उन्होंने लालासिनोर के केएमजी जनरल अस्पाल के डॉ. शिवुभाई पटेल से परामर्श किया। रावल को मई 2011 में उनके बाएं गुर्दे में 14 मिमी की पथरी का पता चला था, जिसके बाद उन्होंने सर्जरी कराने का फैसला लिया। 3 सितंबर, 2011 को उनकी सर्जरी हुई। रावल का परिवार उस समय हैरान रह गया जब डॉक्टर ने उन्हें बताया कि पथरी निकालने के बजाय उनकी किडनी निकाली गई है। डॉक्टर ने कहा कि ऐसा मरीज की बेहतरी के लिए किया गया था।

केवल पथरी निकालने पर बनी थी सहमति

सर्जरी के बाद जब मरीज की हालत ज्यादा खराब होने लगी तो उन्हें अहमदाबाद के IKDRC में स्थानांतरित किया गया। लेकिन 8 जनवरी 2012 को गुर्दे की समस्या से उनकी मृत्यु हो गई। राज्य आयोग ने पाया कि अस्पताल में इनडोर और आउटडोर दोनों तरह के मरीजों के लिए एक बीमा पॉलिसी थी, लेकिन इलाज करने वाले डॉक्टर की चिकित्सा लापरवाही के लिए बीमाकर्ता जिम्मेदार नहीं था। वहीं, इस सर्जरी का उद्देश्य गुर्दे से एक पत्थर निकालना था, और केवल उसी के लिए मरीज से अनुमति ली गई थी, लेकिन इसके बजाय उसकी किडनी निकाल दी गई। इसे डॉक्टर और अस्पताल की लापरवाही का स्पष्ट उदाहरण माना गया।।

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