एक प्रमुख टेक कॉन्फ़्रेस कंपनी के सीईओ ने इज़राइल पर “युद्ध अपराध” करने और अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन करने का आरोप लगाने वाले सार्वजनिक बयानों पर प्रतिक्रिया की लहर के बाद पद छोड़ दिया है।
पुर्तगाल के लिस्बन में हजारों प्रमुख तकनीकी स्टार्टअप और फर्मों को एक साथ लाने वाले यूरोपीय तकनीकी सम्मेलन वेब समिट के सह-संस्थापक पैडी कॉसग्रेव ने प्रायोजकों और उपस्थित लोगों से झटका मिलने के बाद शनिवार को इस्तीफा दे दिया। उन्होंने कहा कि उनके व्यक्तिगत विचार “घटना से ध्यान भटकाने वाले” बन गए थे और उन्होंने इससे हुई “किसी भी चोट” के लिए माफी मांगी।
2009 में वेब समिट की स्थापना करने वाले एक आयरिश उद्यमी पैडी कॉसग्रेव ने गाजा में इजरायल के चल रहे बमबारी अभियान पर अपना पक्ष रखने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स, जिसे पहले ट्विटर के नाम से जाना जाता था, का सहारा लिया, आपको बता दें गाजा में अब तक लगभग 4,400 से अधिक फिलिस्तीनी मारे गए हैं। जिसमें ज़्यादातर नागरिक है और बमबारी ने शहर के अधिकांश बुनियादी ढाँचे को नष्ट कर दिया है।
कॉसग्रेव ने 13 अक्टूबर को अपने पोस्ट में कहा, “मैं कई पश्चिमी नेताओं और सरकारों की बयानबाजी और कार्यों से हैरान हूं, विशेष रूप से आयरलैंड की सरकार को छोड़कर, जो पहली बार सही काम कर रहे हैं।” युद्ध अपराध भले ही सहयोगियों द्वारा किए गए हों, और उन्हें उनके वास्तविक स्वरूप के लिए उजागर किया जाना चाहिए।”
सोशल मीडिया पर टेक कम्पनियो द्वारा भारी विरोध और समिट का बहिष्कार के दो दिन बाद, कॉसग्रेव ने अपने ट्वीट को अपडेट करते हुए 7 अक्टूबर को इज़राइल पर हमास के हमले की भी निंदा की ।
उन्होंने कहा: “इज़राइल को अपनी रक्षा करने का अधिकार है, लेकिन जैसा कि मैंने पहले ही कहा है, उसे अंतरराष्ट्रीय कानून तोड़ने का अधिकार नहीं है।”
First, what Hamas did is outrageous and disgusting. It is by every measure an act of monstrous evil. Israel has a right to defend itself, but it does not, as I have already stated, have a right to break international law.
— Paddy Cosgrave (@paddycosgrave) October 15, 2023
Second, here’s the host of the most watched chat show in… pic.twitter.com/HDdl2MrgfC
कंपनी को हो रहे भारी नुक़सान के बाद कंपनी के सीईओ पैडी कॉस्ग्रेव ने इस्तीफ़ा देने का एलान कर दिया है क्यों की गाजा के लोगो का समर्थन करने और इज़रायल पर अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकारों का उलंघन का आरोप लगाने के बाद फ़ेसबुक,गूगल जैसी दिग्गज कम्पनियो ने उनकी कंपनी का बहिष्कार करने का एलान कर दिया था।