नई दिल्ली. इंडस्ट्रियलिस्ट आनंद महिंद्रा अक्सर सोशल मीडिया में छाए रहते हैं. वे हमेशा यंग जेनरेशन और तकनीकी के प्रेरणादायी बातें करते रहते हैं. देश में हो रहे अच्छे कामों की तारीफ भी करते हैं. इस बार आनंद महिंद्र ने केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी को एक सुझाव दिया है. दरअसल, आनंद महिंद्रा एक ऐसी तकनीक से प्रभावित हैं जो सड़क किनारे टर्बाइनों का उपयोग करके बिजली पैदा करने में मदद करती है.
जैसे ही ट्रैफिक आती है उससे निकली हवा टर्बाइन को चला देती है जिससे यह बिजली में बदल जाती है. यह तकनीकी तुर्की में इस्तांबुल टेक्निकल यूनिवर्सिटी द्वारा विकसित की गई है. आनंद महिंद्रा ने नीतिन गडकरी को सलाह दी है कि इस तकनीकी को स्वदेशी आधार पर विकसित कर हम अपने देश की ट्रैफिक से पर्याप्त बिजली बना सकते हैं.
तो पवन ऊर्जा में वैश्विक शक्ति बन जाएंगे..
स्वदेशी की बात करते हुए आनंद महिंद्रा ने लिखा, भारत में ट्रैफिक की वर्तमान हालात को देखते हुए अगर यह तकनीकी हम अपने देश में लागू करें तो हम पवन ऊर्जा के क्षेत्र में वैश्विक शक्ति बन सकते हैं. उन्होंने नीतिन गडकरी को सलाह देते हुए लिखा है, क्या हम अपने हाईवे पर इस तकनीकी का इस्तेमाल कर सकते हैं? आनंद महिद्रा ने इससे संबंधित एक वीडियो भी ट्विटर पर शेयर किया है जिसमें यह देखा जा सकता है कि जैसे ही ट्रैफिक सड़क से आगे की ओर बढ़ रही है, वैसे ही टर्बाइन में घूमने लगता है. वीडियो में यह भी देखा जा रहा है कि यह टर्बाइन CO2 यानी कार्बनडाइऑक्साइड की माप भी बताता है. यानी वहां के वातावरण में प्रदूषण का स्तर कितना है, यह भी बताता है.
एक घंटे में इतने किलो वाट बिजली
यह टर्बाइन एक घंटे में 1 किलोवाट बिजली पैदा करता है. आनंद महिंद्रा के इस ट्वीट के बाद यूजर ने इसे हैरतअंगेज बताकर तारीफ की है. किसी यूजर ने इस अद्भुत बताया है तो किसी यूजर ने कमाल कहा है. एक यूजर ने लिखा है, सर हमारे पास किसी चीज की कमी नहीं है. सब कुछ पर्याप्त मात्रा में है. चाहे वह सोलर हो, पवन हो, जल विद्युत हो या ज्वार हो, सभी चीजें पर्याप्त मात्रा में हैं. हमें बस इन चीजों से बिजली बनाने के लिए जतन लगाने की जरूरत है.
क्या स्लो ट्रैफिक में यह टर्बाइन घूमेगा?
एक यूजर ने लिखा है कि सर हमें इस तकनीकी को सिर्फ सड़कों तक ही सीमित नहीं रखना चाहिए बल्कि इसे अन्य जगहों पर भी इस्तेमाल किया जाना चाहिए. जब यह तकनीकी आ जाए तो मेट्रो के रास्ते में भी इसका इस्तेमाल किया जा सकता है. हालांकि एक यूजर ने शंका जाहिर की है कि हमारी ट्रैफिक बहुत स्लो है, इसलिए हमारे यहां यह तकनीकी काम नहीं करेगी.