मेरठ. धर्मांतरण और टेरर फंडिंग में एक निर्दोष का नाम गलती से आने पर एटीएस ने उसको लखनऊ बुलाकर एक सप्ताह तक पूछताछ की। इसके बाद निर्दोष साबित होने के बाद छोड़ दिया। गांव पहुंचने पर युवक को लोगों ने ताने देने शुरू कर दिए और उसको आतंकवादी घोषित कर दिया। यहां तक कि युवक को पाकिस्तान जाने के लिए कह दिया गया। उसके घर पर पोस्टर चिपकाए गए। गांव और समाज से आतंकवादी और धर्मांतरण का आरोपी करार दिया गया।
युवक अब न्याय के लिए सहारनपुर से दिल्ली सुप्रीम कोर्ट की पैदल यात्रा पर निकला है। शुक्रवार को युवक मेरठ पहुंचा तो उसने मीडिया के सामने अपना दर्द बयां किया। युवक का कहना है कि वह धर्मांतरण और टेरर फंडिग मामले में निर्दोष साबित हो चुका है, लेकिन समाज का उत्पीड़न झेल रहा है। इसलिए उसने न्याय के लिए सुप्रीम कोर्ट तक पैदल यात्रा की ठानी है।
प्रवीण कुमार से बना दिया अब्दुल समद
सुप्रीम कोर्ट के लिए निकले प्रवीण कुमार ने बताया कि पिछले माह धर्मांतरण मामले में जो सूची एटीएस को प्राप्त हुई, उसमें मेरा नाम प्रवीण कुमार से अब्दुल समद लिखा हुआ था और उसमें फोटो भी लगा हुआ था। ये कहां से हुआ, किसने किया उसको कुछ पता नहीं है। नागल थानाक्षेत्र के गांव शीतलाखेड़ी निवासी प्रवीण कुमार को इसकी जानकारी एटीएस से मिली। जब टीम उसके घर पहुंची। मामले में एटीएस ने उसको जांच के लिए लखनऊ बुलाया और करीब एक सप्ताह तक पूछताछ की
इस दौरान उससे टेरर फंडिग, धर्मांतरण और अन्य चीजों के बारे में बारीकी से पूछताछ की गई, जिसमें उसे एटीएस ने निर्दोष पाया था। अब लोग आतंकी बताकर उसका उत्पीड़न कर रहे हैं। उसके घर आतंकी लिखे पर्चे फेंके जा रहे हैं। वह इससे बहुत परेशान हो चुका है। इसलिए उसने डीएम सहारनपुर कार्यालय से सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली तक पैदल यात्रा शुरू की है। वह सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाएगा, ताकि उसकी तरह अन्य निर्दोषों का उत्पीड़न न हो। बता दें कि नेट और जेआरएफ क्वालीफाई प्रवीण पीएम मोदी और सीएम योगी पर किताबें भी लिख चुका है