चुनाव में मुफ्त सुविधाओं का वायदा करने वाली राजनीतिक पार्टियों की मान्यता रद्द करने की मांग वाली अश्विनी उपाध्याय की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई टल गई है. अब इस मामले में अगली सुनवाई 17 अगस्त को होगी.
शीर्ष अदालत ने निर्वाचन आयोग से पूछा है कि सभी राजनीतिक पार्टी चुनाव से पहले अपना मेनिफेस्टो आपको देती हैं?
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को फटकार भी लगाई है. कोर्ट ने कहा कि हमें हलफनामा नहीं मिलता, लेकिन वो अखबारों को मिल जाता है और वहां छप भी जाता है. हमने आज हलफनामा न्यूज पेपर में पढ़ भी लिया है.
राजनीतिक पार्टियों द्वारा मुफ्त योजनाओं के ऐलान के खिलाप बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट में जो याचिका दायर की है, उसमें कहा गया है कि इससे देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान होता है. इसको लेकर जब कोर्ट ने चुनाव आयोग से पूछा तो आयोग ने बताया कि फ्री योजनाओं को लेकर कोई स्पष्ट परिभाषा नहीं है. इसके साथ ही EC ने कोर्ट से कहा कि इसको लेकर एक कमेटी बना दी जाए, लेकिन हमें उस कमेटी से दूर रखा जाए क्योंकि हम एक संवैधानिक संस्था हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने ईसी को लगाई फटकार
इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को फटकार भी लगाई. कोर्ट ने कहा कि आपका हलफनामा हमें नहीं मिला, लेकिन अखबारों तक पहुंच गया है. हम सुबह पढ़ अखबार में आपका हलफनामा पढ़ चुके हैं. बता दें कि चुनाव में फ्री योजनाओं को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फ्री रेवड़ी कल्चर कहा था. वहीं इसको लेकर आम आदमी पार्टी भी प्रधानमंत्री पर हमलावर है. आम आदमी पार्टी की ओर से सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा भी दायर किया गया है, जिसमें उसे भी पक्षकार बनाए जाने की मांग की गई है.