नेताजी सुभाष चंद्र बोस की ओर से स्थापित ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक (AIFB) के झंडे में बदलाव होने जा रहा है। AIFB के गठन के आठ दशक से अधिक समय बाद पार्टी कार्यकर्ताओं ने सर्वसम्मति से झंडे को बदलने का प्रस्ताव पारित किया है। एआईएफबी नेतृत्व ने ‘लीपिंग टाइगर’ चिन्ह को बरकरार रखते हुए झंडे से हथौड़ा और सिकल आइकन को हटाने का फैसला किया है।
यह पार्टी को कम्युनिज्म से दूर करते हुए सुभाष चंद्र बोस की विचारधारा ‘शुभासिम’ पर अधिक जोर देने के मकसद से किया जा रहा है।
भुवनेश्वर में संपन्न हुई एआईएफबी की दो दिवसीय राष्ट्रीय परिषद में यह निर्णय लिया गया। इस बदलाव को लेकर नेताजी सुभाष चंद्र बोस के भतीजे चंद्र कुमार बोस ने कहा, “एआईएफबी को अपने वर्तमान पार्टी ध्वज को अपने मूल ध्वज में बदलना चाहिए- बाघ हमारे राष्ट्रीय तिरंगे पर है। प्रगति के लिए सभी समुदायों को एकजुट करने के लिए नेताजी की समावेशी विचारधारा का प्रचार किया जाना चाहिए। देश को बांटने वाली सांप्रदायिकता से लड़ने के लिए देश भर में प्रयास किया जा रहा है।”
सोशलिस्ट की तुलना में कम्युनिस्ट अधिक लगता रहा
लाल बैकग्राउंड पर हथौड़े, दरांती और छलांग लगाने वाले बाघ के साथ पुराने झंडे को 1948 में पार्टी की राष्ट्रीय परिषद की बैठक में अपनाया गया था। इस सप्ताह हुई बैठक में मौजूदा एआईएफबी नेतृत्व ने पाया कि हथौड़ा और दरांती से इसकी निकटता साम्यवादी दलों के साथ मालूम होती है। इससे यह भी धारणा बनी कि फॉरवर्ड ब्लॉक सोशलिस्ट की तुलना में कम्युनिस्ट विचारधारा का अधिक है।
सोशलिस्ट पार्टी के रूप में विकसित होने में रुकावट
पार्टी के बयान के मुताबिक, इस प्रचार ने फॉरवर्ड ब्लॉक को एक स्वतंत्र सोशलिस्ट पार्टी के रूप में विकसित होने के मार्ग को अवरुद्ध कर दिया। इसके अलावा, परिषद ने नोट किया कि मजदूर वर्ग का चरित्र और आकार भी अब बदल गया है। काम करने वाले लोगों की एक बड़ी संख्या अब सर्विस सेक्टर से है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विकास के कारण सर्विस सेक्टर अब अन्य दो क्षेत्रों यानी कृषि और उद्योग की तुलना में अधिक GDP प्रदान कर रहा है। साथ ही पार्टी के झंडे में सभी वर्ग के मजदूर वर्ग के प्रतीकों को शामिल करना व्यावहारिक नहीं है।