समाजवादी पार्टी (सपा) के सबसे बड़े मुस्लिम चेहरा आजम खान के जेल से आने के बाद पहली बार बुधवार (एक जून, 2022) को पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव से मिलने पहुंचे। फिलहाल दोनों के बीच मुलाकात चल रही है, जिसे 40 मिनट से अधिक का समय हो चुका है।
दरअसल, खान 29 मई, 2022 से दिल्ली के गंगाराम अस्पताल में भर्ती हैं। वहां उनका इलाज चल रहा है। सियासी गलियारों में चर्चा है कि इस मुलाकात के बाद यह तय हो जाएगा कि रामपुर से आजम खान की पत्नी लोकसभा का चुनाव सपा के टिकट पर लड़ेंगी या नहीं। फिलहाल दोनों नेताओं की बैठक अब भी जारी है।
इस मुलाकात को कराने में अहम रोल कांग्रेस छोड़कर समाजवादी पार्टी में आए वरिष्ठ नेता और सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल का माना जा रहा है। चर्चा है कि रामपुर और आजमगढ़ से खाली हुई सीटों पर होने वाले उपचुनाव से पहले दोनों नेेताओं के बीच तकरार से पार्टी कार्यकर्ताओं का मनोबल टूट रहा था।
इससे चुनाव में भी नुकसान होने की आशंका जताई जा रही थी। ऐसे में पार्टी के अंदर भी अखिलेश यादव पर दबाव पड़ रहा था। कपिल सिब्बल के पार्टी में शामिल होने के बाद उनकी पहल पर दोनों नेताओं के बीच मुलाकात की दिशा तय होने लगी थी।
सपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि दोनों सीटें रामपुर और आजमगढ़ पार्टी के लिए समान रूप से महत्वपूर्ण हैं और उम्मीदवारों का चयन विस्तृत चर्चा के बाद किया जाएगा। उन्होंने कहा, “पार्टी सीटों के महत्व को जानती है और इसलिए हम उन दोनों को जीतने की रणनीति पर काम कर रहे हैं।”
आजमगढ़ निर्वाचन क्षेत्र में सपा का दबदबा अखिलेश के 60 प्रतिशत वोट शेयर से स्पष्ट होता है, जब उन्होंने 2019 में अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी भाजपा के दिनेश लाल यादव “निरहुआ” को हराकर जीता था। भोजपुरी गायक 35.1 प्रतिशत वोट हासिल करने में सफल रहे थे। भाजपा के एक नेता ने कहा कि सत्ताधारी पार्टी उपचुनाव को ‘आसान लड़ाई’ नहीं होने देगी और ‘हर वोट के लिए लड़ेगी।’ ऐसे में सियासी हलके में यह चर्चा थी कि अखिलेश यादव और आजम खान के बीच मेल मिलाप नहीं होने से पार्टी को नुकसान पहुंच सकता है।