27.1 C
Delhi
Thursday, March 23, 2023
No menu items!

सीमांचल,महानंदा बेसिन परियोजना और कृषि उत्पादकता।

- Advertisement -
- Advertisement -

सीमांचल क्षेत्र के किसी भी जिले में कोई भी सिंचाई भूमि नहीं है। शायद क्षेत्र का एक एकड़ जमीन भी सिंचिाई-योग्य नहीं है। महानंदा बेसिन परियोजना 42 साल पहले प्रस्तावित किया गया था और इस परियोजना के उद्देश्यों में से एक है – इस क्षेत्र में नदियों के बाढ़ के प्रकोप से पूरे क्षेत्र को बचाने के अलावा सिंचाई-प्रणाली को स्थापित करना था। आप खुद ही देख सकते हैं आज तक प्रशासन की तरफ से कितने प्रयास किए गये हैं।

सरकारें बहुत आईं और बदलती गईं, लेकिन उनमें से कोई भी सरकार इस परियोजना पर काम करने के लिए इच्छुक नहीं दिखे। वास्तव में, कटिहार सांसद को चुनाव के दौरान किए गए वादे के मुताबिक इस परियोजना को शुरू करना चाहिए था, लेकिन वह बुरी तरह विफल रहे और कभी लगा ही नहीं कि वो इस मुद्दे पर गंभीर भी हैं। अगर कोई नेता यह वादा करता है कि वह सीमांचल-क्षेत्र को कृषि उत्पादकता के मामले में पंजाब/हरियाणा या पश्चिमी उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों की तरह बना देंगे तो इसका मतलब है कि उन्के पास कृषि-क्षेत्र का ज्ञान बिल्कुल भी नहीं है या फिर वह कृषि-क्षेत्र की बुनियादी बारीकियों को समझने में नाकामयाब रहे है। पहले देश के Average उत्पादकता वाला राज्य बनाने का तो प्रयास कर लें।

- Advertisement -

जनता के सामने ऐसे वादे करने से पहले, नेताओं को महानंदा बेसिन परियोजना को साकार करना चाहिए था और फिर कृषि-क्षेत्र मे आधुनिक तकनीक के उपयोग को बढ़ावा देने के क्रम में कदम उठाना चाहिए था। अब तो हमारे पास, एक कृषि महाविद्यालय (किशनगंज) भी है जिसे स्थानीय किसानों के साथ मिलकर काम करना चाहिए तथा उन्हें नवीनतम टिशू कल्चर तकनीक, बेहतर अंकुर उत्पादन आदि का ज्ञान किसानों में विकसित करना चाहिए। किसानों को यह भी बताना चाहिए कि कृषि वैज्ञानिक बुनियादी आवश्यकताओं के अनुसार इसे प्रयोगशाला से खेतों मे किस प्रकार इन तकनीकों का उपयोग करते हैं।

जुलाई 2010 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 14.5 9 करोड़ रुपये की लागत से महानंदा के तटबंधों को बांधने के लिए महानंदा नदी बेसिन परियोजना की शुरुआत की थी। लेकिन इस परियोजना को लांच किए हुए 12 वर्ष बीत चुके हैं पर धरातल पर कोई ऐसी परियोजना का नाम-व-निशान नहीं दिख रहा है। बाढ़ हर साल आती है जान-व-माल का नुकसान हर साल ही होता है। छोटे-छोटे नालों पर कलभर्ट और पुलिया ही अगर विकास है तो सीमांचल का क्षेत्र पूरे देश में सबसे विकसित कहलाएगा।

क्या हम उम्मीद करें सीमांचल की जनता से कि आने वाली चुनाव में इन मुद्दों को प्राथमिकता से उठाएंगे और विभिन्न पार्टियों की मेनिफेस्टो में शामिल करने के लिए मजबूर करेंगे। साथ ही इसे लागु करवाने का प्रयास करेंगे।

- Advertisement -
Mohammad Tanveer
Mohammad Tanveer
Mohammad Tanveer, byline journalist and associated with Reportlook. Mohammad Tanveer not only saved the true essence of democracy but also protested and fought against the growing discrimination and prevailing issues in the country by journalistic effort.
Latest news
- Advertisement -
Related news
- Advertisement -spot_img