नई दिल्ली: रूस-यूक्रेन संकट पर भारत का रुख अभी भी अस्पष्ट सा बना हुआ है. एक ओर जहां वाशिंगटन ने कहा कि यह मसला अभी भी अनसुलझा है, वहीं दा प्रिंट की रिपोर्ट के मुताबिक रूस ने दावा किया कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ एक फोन वार्ता के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके ‘विशेष सैन्य अभियान’ के लिए उनकी ‘तारीफ’ की.
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने गुरुवार को एक प्रेस कांफ्रेंस में रूस के खिलाफ ‘कड़े प्रतिबंधों’ के एक और सेट की घोषणा की तथा मास्को को अमेरिकी निर्यात पर ‘नई तरह की सीमाएं’ लगाईं.
यह पूछे जाने पर कि क्या उन्होंने इस बारे में भारत के साथ कोई चर्चा की है और क्या अमेरिका के एक प्रमुख रक्षा भागीदार के रूप में, नई दिल्ली रूस-यूक्रेन संकट पर वाशिंगटन के साथ है- बाइडन ने कहा, ‘हम यह करने जा रहे हैं- हम ‘आज भारत के साथ परामर्श कर रहे हैं. हमने अभी इसे पूरी तरह से नहीं सुलझाया है.’
बता दें कि 2016 में बराक ओबामा प्रशासन के तहत भारत को अमेरिका का ‘प्रमुख रक्षा भागीदार’- मेजर डिफेंस पार्टनर- घोषित किया गया था. भारत और अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ क्वाड्रीलेटरल सिक्योरिटी डायलॉग या क्वाड का भी हिस्सा हैं.
इसके अलावा, भारत ने पिछले कुछ वर्षों में अमेरिका का नजदीकी सहयोगी बनने का फैसला किया है, क्योंकि यह इंडो-पैसिफिक स्ट्रेटेजिक कंस्ट्रक्ट (हिंद प्रशांत रणनीतिक संरचना) का हिस्सा बन गया है.
मगर, जब से यूक्रेन संकट शुरू हुआ है, भारत इस समस्या के राजनयिक समाधान तक पहुंचने के लिए मिन्स्क समझौतों और नॉरमैंडी फॉर्मेट का पालन करने की आवश्यकता पर बल देते हुए एक तटस्थ रुख अपनाने का प्रयास कर रहा है.
हालांकि, राजनयिक सूत्रों के अनुसार, नई दिल्ली रूस के खिलाफ प्रस्तावित संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव, जिस पर अभी संयुक्त राष्ट्र में चर्चा हो रही है, पर कोई निर्णय लेगा और ‘वोट’ भी करेगा. इस लंबी चलने वाली मतदान प्रक्रिया के बाद शुक्रवार देर रात इस प्रस्ताव के पारित होने की उम्मीद है.
प्रधानमंत्री मोदी ने गुरुवार को इस मुद्दे पर सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडल समिति (कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी- सीसीएस) की बैठक आयोजित की थी लेकिन यह यूक्रेन में फंसे भारतीय नागरिकों को भारत वापस लाने पर ही केंद्रित रही.
इस बीच, अमेरिकी विदेश विभाग द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि ‘भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अपने अमेरिकी समकक्ष, एंटनी जे. ब्लिंकन के साथ एक फोन वार्ता की और उन्होंने ‘यूक्रेन पर रूस के ‘पूर्व नियोजित, अकारण और अनुचित हमले’ पर चर्चा की.’
बयान में कहा गया है, ‘सेक्रेटरी ब्लिंकन ने रूस के आक्रमण की निंदा करने और (उसकी सेनाओं की) तत्काल वापसी और युद्धविराम की मांग करने के लिए एक मजबूत सामूहिक प्रतिक्रिया के महत्व पर जोर दिया.’
वहीं, जयशंकर ने एक ट्वीट में कहा, ‘यूक्रेन में चल रहे घटनाक्रम और इसके प्रभावों पर चर्चा की.’
इस बीच, विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने शुक्रवार को कहा कि भारत दोनों विवादित पक्षों के बीच बातचीत करवाने की कोशिश कर रहा है.
उन्होंने कहा, ‘संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में हमारा ध्यान हमेशा तनाव कम करने और कूटनीतिक संवाद के जरिये ही आगे बढ़ने का रहा है और साथ ही हमने मौजूदा समझौतों- मिन्स्क समझौतों, नॉर्मंडी फॉर्मेट पर भी जोर दिया है.’
उन्होंने कहा, ‘हमने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में दिए अपने बयानों में स्पष्ट रूप से यूक्रेन में रह रहे अपने नागरिकों की सुरक्षा और सलामती को ही सर्वाधिक अहमियत दी है.’
उन्होंने यह भी कहा, ‘मुझे लगता है, जैसा कि मैंने कहा, हमारा कहना है कि लोगों को एक-दूसरे से बात करने की ज़रूरत है. सभी पक्षों को एक दूसरे के साथ (बातचीत में) जुड़े रहने की ज़रूरत है और अगर ऐसा कुछ है जो हम उस जुड़ाव को और सुगम बनाने के लिए कर सकते हैं, तो हमें इसे करने में ज्यादा खुश होगी. और मुझे लगता है, जैसे-जैसे हम आगे बढ़ेंगे, हम यथासंभव मददगार बनने की कोशिश करेंगे.‘