मंत्रिमंडल में फेरबदल व विस्तार से पहले पर्यावरण राज्य मंत्री बाबुल सुप्रियो ने बुधवार को केंद्रीय मंत्रिपरिषद से इस्तीफा दे दिया। सुप्रियो ने सोशल मीडिया पर इसकी पुष्टि करते हुए लिखा, “हां, जहां धुआं होता है तो वहां आग जरूर लगी होती है। मुझे इस्तीफा देने को कहा गया और मैंने ऐसा किया।” उन्होंने फेसबुक पर लिखा, “मैं प्रधानमंत्री का आभारी हूं कि उन्होंने मंत्रिपरिषद के सदस्य के रूप में मुझे देश की सेवा करने का अवसर दिया।”
सुप्रियो ने कहा कि मुझे इस बात की खुशी है कि आज मैं भ्रष्टाचार के किसी दाग के बिना जा रहा हूं। मैंने अपनी पूरी शक्ति के साथ अपने क्षेत्र के लोगों की सेवा की और आसनसोल के लोगों ने दोबारा सांसद के रूप में वोट देकर मुझपर भरोसा जताया। उन्होंने बंगाल से मंत्री बनाये जाने वाले अपने सहयोगियों को शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि वह अपने लिए दुखी हैं लेकिन उनके (मंत्री बनाये जाने वालों) लिए खुश हैं।
आसनसोल के सांसद ने आगे कहा कि उन्होंने हमेशा अपनी क्षमता के अनुसार अपने निर्वाचन क्षेत्र की सेवा की है और उन्हें खुशी है कि उनके खिलाफ कोई भ्रष्टाचार का आरोप नहीं था।
केंद्रीय मंत्रिपरिषद में बुधवार की शाम को होने वाले फेरबदल व विस्तार से पहले कुछ मंत्रियों ने पद से इस्तीफा दे दिया, जिनमें केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक, रसायन एवं उर्वरक मंत्री सदानंद गौड़ा, श्रम एवं रोजगार मंत्री संतोष कुमार गंगवार, शिक्षा राज्य मंत्री संजय धोत्रे, महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री देबश्री चौधरी प्रमुख हैं। मई 2019 में दूसरी बार सत्ता में आने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा पहली बार मंत्रिपरिषद में फेरबदल व विस्तार किया जा रहा है।
इसके पहले राष्ट्रपति सचिवालय से जारी विज्ञप्ति के अनुसार, “प्रधानमंत्री के सुझाव पर भारत के राष्ट्रपति ने मंत्रिपरिषद के 12 सदस्यों का इस्तीफा तत्काल प्रभाव से स्वीकार कर लिया है।” राष्ट्रपति के प्रेस सचिव के अनुसार, जिन मंत्रियों का इस्तीफा स्वीकार किया गया है, उनमें सदानंद गौड़ा, रविशंकर प्रसाद, थावरचंद गहलोत, रमेश पोखरियाल निशंक, डा हर्षवर्द्धन, प्रकाश जावड़ेकर, संतोष कुमार गंगवार शामिल है। रविशंकर प्रसार के पास कानून मंत्रालय के साथ साथ सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय था जबकि जावड़ेकर पर्यावरण मंत्रालय के साथ साथ सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय का दायित्व संभाल रहे थे।