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Friday, April 26, 2024

प्रदूषण पर सुनवाई: सुप्रीम कोर्ट ने कहा- कुछ मीडिया संस्थानों ने स्कूल बंद करने के लिए हमें खलनायक जैसा पेश किया

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दिल्ली एनसीआर में वायु प्रदूषण के बिगड़े स्तर पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कुछ मीडिया संस्थानों की रिपोर्टिंग को लेकर दुख जताया। सीजेआई एनवी रमण की पीठ ने कहा, कुछ मीडिया संस्थानों ने अपनी रिपोर्ट में हमें दिल्ली में स्कूल बंद करने के लिए ‘खलनायक’ के तौर पर पेश किया।

सीजेआई की पीठ ने कहा, उसने दिल्ली सरकार को कभी भी स्कूल बंद करने के लिए नहीं कहा था, बल्कि केवल स्कूलों को फिर से खोलने पर अपने रुख में बदलाव के पीछे के कारण पूछे थे।

पीठ ने कहा, हमें नहीं पता कि यह जानबूझकर किया गया है या नहीं। लेकिन ऐसा जरूर लगता है कि यह दर्शाने की कोशिश की गई कि हम ‘खलनायक’ हैं। पीठ ने दिल्ली के वकील अभिषेक मनु सिंघवी से कहा, आपने (दिल्ली सरकार) यह फैसला खुद लिया। आपने ही पहले हमें बताया था कि आप दफ्तर और स्कूल बंद करना चाहते हैं। आप ही लॉकडाउन लगाना चाहते थे। हमने ऐसा कोई आदेश नहीं दिया। आप आज के अखबार देखिये। कुछ में ऐसा बताया जा रहा है कि हम चाहते ही नहीं हैं कि स्कूल खोले जाएं और हमें विद्यार्थियों की शिक्षा व कल्याण से कोई मतलब नहीं।

कोर्ट ने यह कहा था
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार से कहा था, आपने कर्मचारियों के लिए वर्क फ्रॉम होम लागू किया है। माता-पिता घर से काम करते हैं और बच्चों को स्कूल जाना पड़ता है। यह क्या है? इस पर सिंघवी ने बताया था कि दिल्ली में स्कूल 17 महीने से बंद थे और अभिभावकों की सहमति के बाद ही 15 से 16 दिनों के लिए स्कूल खोले गए थे।

दिल्ली सरकार के वकील ने भी की मीडिया की शिकायत
सुनवाई के दौरान सिंघवी ने कहा, मेरी भी यही शिकायत है। एक अंग्रेजी अखबार ने प्रकाशित किया है कि अदालत दिल्ली सरकार के प्रशासन को अपने हाथों में लेना चाहती है। इस पर पीठ ने कहा, उसने कभी ऐसी अभिव्यक्ति का इस्तेमाल नहीं किया। सिंघवी ने कहा, हम भी इससे सहमत हैं। पीठ के पूछने पर सिंघवी ने अखबार का नाम बताते हुए कहा कि उसने बड़े ही आक्रामक ढंग से लिखा है कि सुनवाई के दौरान पीठ ने प्रशासन अपने हाथ में लेने की बात कही।

इस पर पीठ ने कहा, आपके पास स्पष्टीकरण और निंदा करने का अधिकार और स्वतंत्रता है। हम ऐसा नहीं कर सकते। हम कहां जाएं? हमने ऐसा कब कहा कि हम प्रशासन अपने हाथ में लेने के इच्छुक हैं।। सिंघवी ने जवाब दिया कि अदालत की रिपोर्टिंग राजनीतिक रिपोर्टिंग से अलग है और कुछ जिम्मेदारी होनी चाहिए। पीठ ने कहा, वर्चुअल सुनवाई के बाद, कोई नियंत्रण नहीं है। कौन क्या रिपोर्ट कर रहा है, आप नहीं जानते। हम प्रेस की भाषण व अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में हस्तक्षेप नहीं कर सकते।

जस्टिस चंद्रचूड़ ने भी साझा किया ऐसा ही अनुभव
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने ऐसा ही अपना एक अनुभव साझा करते हुए कहा, न्यायिक बुनियादी ढांचे से जुड़े एक मामले की सुनवाई में पीठ ने सुझाव दिया था कि कुछ रचनात्मक करने के लिए एक राष्ट्रीय निकाय हो सकता है। इसे तोड़मरोड़ कर पेश किया गया और कुछ रिपोर्ट में लिखा गया कि हाईकोर्ट को अब मांगनी होगी भीख।

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Ahsan Ali
Ahsan Ali
Journalist, Media Person Editor-in-Chief Of Reportlook full time journalism.

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