जैवलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा ने 7 अगस्त 2021 की शाम टोक्यो में इतिहास रचा। वह एथलेटिक्स (ट्रैक एंड फील्ड इवेंट) में गोल्ड मेडल जीतने वाले भारत के पहले खिलाड़ी बने। उनकी उपलब्धि पर पूरे देश को नाज है। देश के हर उम्र और हर तबके ने उनकी प्रतिभा को सलाम किया है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस मार्कंडेय काटजू की राय जुदा है। उन्होंने सवाल उठाया है कि यह जश्न मनाने का मामला है शर्मिंदा होने का?
हालांकि, उनके इस ट्वीट पर सोशल मीडिया तरह-तरह के कमेंट्स कर रहे हैं। एक यूजर ने देश भर की अदालतों में लंबित पड़े मुकदमों की ओर भी उनका ध्यान आकृष्ट किया है। बता दें कि जस्टिस काटजू ने इस संबंध में ट्वीट किया। उन्होंने ट्वीट में लिखा, ‘यह उत्सव मनाने का समय है या शर्म की बात है? टोक्यो ओलंपिक में भारतीय सिर्फ 1 स्वर्ण पदक जीतने का जश्न मना रहे हैं। भारत की आबादी लगभग 135 करोड़ है। ऑस्ट्रेलिया की आबादी 2.58 करोड़ है। उसने 17 गोल्ड मेडल जीते हैं। दक्षिण कोरिया की आबादी 5.1 करोड़ है। उसने 6 स्वर्ण पदक जीते हैं। केन्या की आबादी 5.5 करोड़ है। उसने 6 स्वर्ण पदक जीते हैं।’
उन्होंने लिखा, ‘क्यूबा की आबादी 1.13 करोड़ है। उसने 6 गोल्ड मेडल जीते हैं। जमैका की आबादी सिर्फ 29 लाख है। उसने 4 गोल्ड मेडल जीते हैं। ट्वीट में उन्होंने आगे भी कई कम आबादी वाले देशों का उदाहरण दिया, जिन्होंने टोक्यो ओलंपिक में एक से ज्यादा स्वर्ण पदक जीते हैं। उन्होंने लिखा, क्रोएशिया की आबादी 40 लाख है। उसने 3 स्वर्ण पदक जीते हैं। स्लोवानिया की आबादी 20 लाख है। उसने 3 गोल्ड मेडल जीते हैं।’
उन्होंने लिखा, ‘सर्बिया की आबादी 69 लाख है। उसने 2 गोल्ड मेडल जीते हैं। यूगांडा की आबादी 4.4 करोड़ है। उसने 2 गोल्ड मेडल जीते हैं। इक्वाडोर की आबादी 1.7 करोड़ है। उसने 2 गोल्ड मेडल जीते हैं। इजरायल की आबादी 88 लाख है। उसने 2 गोल्ड मेडल जीते हैं। उज्बेकिस्तान की आबादी 3.36 करोड़ है। उसने 2 स्वर्ण पदक जीते हैं। कतर की आबादी 28 लाख है। उसने 2 स्वर्ण पदक जीते हैं। कोसोवा की आबादी 19 लाख है। उसने 3 गोल्ड मेडल जीते हैं।’
उन्होंने अंत में लिखा, ‘तो क्या यह जश्न मनाने की बात है या शर्मिंदा होने की?’ हालांकि, जस्टिस मार्कंडेय काटजू के कटाक्ष पर कई लोगों ने जवाब दिया। @parnamisun ने लिखा, ‘पहले आप बताएं, आपनें क्या जीता, कमाया?? पद मोहताज हो सकता है, पर पदक नहीं, वह कमाना पड़ता है। आप स्वयं जिम्मेदार बनें, कम से कम एक खिलाड़ी बनाने में, स्वयं के नाम की तरह कटाक्ष क्यों?’
@peacefulguy01 ने लिखा, ‘शायद हमें कोर्ट में लंबित मामलों का भी comparison करना चाहिए, जिसमें आप का भी contribution रहा?’@Ra_bies420 ने लिखा, ‘भारत में लोगों की जिंदगी तो कोर्ट के चक्कर लगाने में जा रही है, सारा पैसा उसी तरफ खर्च हो रहा है तो कोई कैसे अपने बच्चे को अच्छा खिलाड़ी बना पाएगा! सुना है आप जज रह चुके हैं, फिर तो आप भलीभांति अवगत होंगे ही कि कितने केस पेंडिंग हैं, एक स्टेटमेंट इस बारे में भी जारी करवा दो सर!’