नई दिल्ली: पूर्व राजनयिक और मंत्री नटवर सिंह ने शनिवार को कहा कि जब भारत ने 1988 में सलमान रुश्दी की किताब ‘द सैटेनिक वर्सेज’ पर प्रतिबंध लगाया था तो यह प्रतिबंध पूरी तरह से जायज था और इस फैसले का वह भी हिस्सा थे. उन्होंने बताया कि उस समय उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी को इस किताब पर प्रतिबंध लगाने की सलाह दी थी.
पूर्व मंत्री ने सलाह देते हुए कहा था कि इस किताब पर जरूर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए क्योंकि इससे कानून व्यवस्था की समस्या हो सकती है. समाचार एजेंसी पीटीआई से बात करते हुए उन्होंने कहा कि कानून और व्यवस्था के कारण उस समय लिया गया निर्णय पूरी तरह से उचित था.
हमले में बुरी तरह से घायल हुए सलमान रुश्दी
गौरतलब है कि हाल ही में जाने माने लेखक सलमान रुश्दी पर अमेरिका में एक शख्स ने हमला कर दिया और उन पर चाकू से कई वार किए. इस घटना में रुश्दी बुरी तरह से घायल हो गए हैं. फिलहाल डॉक्टर्स ने उन्हें वेंटिलेटर पर रखा हुआ है. सलमान रुश्दी पर हुए हमले ने दुनिया पर के लेखकों, कलाकारों और नेताओं को बेचैन कर दिया है.
मंच पर भाषण देने के दौरान हुआ हमला
सलमान रुश्दी का जन्म मुंबई में हुआ था. उन पर हुए हमले को लेकर नटवर सिंह ने कहा कि वह इससे काफी व्यथित हैं. उन्होंने कहा कि यह बहुत ही आश्चर्य की बात है कि यहां एक 75 साल का आदमी जो किसी को नुकसान नहीं पहुंचा रहा और सिर्फ साहित्य में योगदान दे रहा है, अचानक एक बदमाश आता है और उस पर हमला कर देता है वह भी तब जब वह न्यूयॉर्क जैसे शहर में मंच पर भाषण दे रहा था.
गृह मंत्री थे पी. चिदंबरम
सलमान रुश्दी की बुक पर 1988 में भारत में प्रतिबंध लगा दिया गया था. उस समय चिदंबरम में केंद्र सरकार में गृह मंत्री थे. इस प्रतिबंध को लेकर उन्होंने बाद में बयान जारी करके कहा था कि उनका व्यक्तिगत निर्णय किताब पर प्रतिबंध लगाने के पक्ष में नहीं था.
सलमान रुश्दी पर हुए हमले पर उनकी एक आंख को गहरी चोट पहुंची है. नटवर सिंह ने कहा कि उन्हें अब भी नहीं लगता कि किताब पर प्रतिबंध लगाने का फैसला गलत था, क्योंकि इसी किताब ने उस समय कश्मीर में कानून व्यवस्था की समस्या पैदा कर दी थी.
उन्होंने कहा कि जब इस मामले पर राजीव गांधी ने मुझसे पूछा कि क्या किया जाना चाहिए, तो मैंने उनसे साफ तौर पर कहा कि, ‘मैं अपने पूरे जीवन में किताबों पर प्रतिबंध लगाने के खिलाफ रहा हूं, लेकिन जब कानून और व्यवस्था की बात आती है तो रुश्दी जैसे महान लेखक की किताब पर भी प्रतिबंध लगा दिया जाना चाहिए.”