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Tuesday, March 26, 2024

नाम विजय जैन, अदा करते है पांच वक्त की नमाज पूरी पाबंदी से, भाईचारे का देते है संदेश, जाने इसके पीछे की कहानी

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ये दुनिया नफरतों की आखिरी स्टेज पे है, इलाज इसका मोहब्बत के सिवा कुछ भी नहीं है.’ चरण सिंह बशर की लिखी ये लाइनें आज के नफरती दौर में लोगों को इंसानियत की तालीम देने के लिए बेहद जरूरी हैं.

आज सियासी मफाद को पूरा करने के लिए लोग हिंदू-मुस्लिम का खेल खेलने में लगे हैं. ऐसे में आगरा के विजय जैन ऐसे हैं, जो भाईचारा का पैगाम दे रहे हैं.

उनका नाम तो विजय जैन है, लेकिन वे पांच वक्त की नमाज अदा करते हैं, तो कुरआन पढने के अलावा रमजान में पूरे तीस दिन के रोजे भी रखते हैं. वे कहते हैं कि मजहब चाहे जो भी हो, लोगों को इंसानियत और भाईचारे का संदेश देता है.

विजय जैन ने बताया कि एक बार मेरा हिंदू दोस्त मुझे लेकर आगरा क्लब स्थित दरगाह हजरत ख्वाजा सैयद फतेउद्दीन बल्खी अल मारूफ ताराशाह चिश्ती साबरी ले गया था. वहां जाकर काफी देर तक बैठे रहे.

विजय जैन ने बताया कि एक बार मेरा हिंदू दोस्त मुझे लेकर आगरा क्लब स्थित दरगाह हजरत ख्वाजा सैयद फतेउद्दीन बल्खी अल मारूफ ताराशाह चिश्ती साबरी ले गया था. वहां जाकर काफी देर तक बैठे रहे.

फिर अक्सर वहीं चला जाता था. 1979 से फिर हर रोज जाने का सिलसिला शुरू किया,जो 2021 तक जारी रहा. मैं वहां पर दरगाह की खिदमत करने लगा. फिर मेरा ऐसे दिल लगा, तो मैने मजार-ए-मुबारक के बारे में पढ़ा. इसके बाद धीरे-धीरे इस्लाम के बारे में जानकारी हासिल की.

58 दिन में पूरा किया कुरआन

विजय जैन कहते हैं कि मैंने 1999 में महज 58 दिन में कुरआन को पढ़ लिया. अब मैं कुरआन को तरजुमे के साथ पढ़ता हूं. मैं पांचों वक्त की नमाज अदा करने के साथ ही पिछले 20 सालों से ताहज्जुद, चाश्त, अवाबीन, इसरात की नमाज भी अदा करता हूं. मैंने आलिमों से हदीस सुनकर याद कर ली. अब बहुत से मसलों पर बात कर सकता हूं.

खानकाहों में बुलाया जाता है

मुझे अब देश की बड़ी-बड़ी खानकाहों से दावत आती है. मैं उन बुजुर्गों के दरबार में हाजिरी लगाकर आता हूं. मुझे बहुत इज्जत मिलती है. मुझे कभी ये महसूस नहीं हुआ कि मैं किसी दूसरे मजहब से हूं.

घर में भी अदा करता हूं नमाज

विजय जैन ने बताया कि वैसे तो मैं नमाज बाजमात मस्जिद में ही अदा करता हूं, लेकिन कभी-कभी किसी वजह से मस्जिद जाना नहीं हो पाता, तो घर में नमाज अदा कर लेता हूं लेकिन नमाज नहीं छोड़ता.

पत्नी बनाती हैं सहरी और इफ्तारी

विजय जैन ने बताया कि माहे रमजान में मैं जब रोजे रखता हूं, तो मेरी पत्नी कमलेश मेरे के लिए सुबह की सहरी तो रोजा इफ्तार करने के लिए इफ्तारी तैयार करती हैं. उन्होंने कभी इस काम के लिए मना नहीं किया.

बनाया था बड़ा बेटा

बकौल विजय जैन, आगरा क्लब स्थित दरगाह हजरत ख्वाजा सैयद फतिउद्दीन बल्खी अल मारूफ ताराशाह चिश्ती साबरी के सज्जादानशीं अलहाज रमजान अली शाह चिश्ती साबरी ने मुझे अपना बड़ा तस्लीम किया था. मेरा नाम भी जैनुल आबेदीन रखा था.

बेटी सीए तो बेटा बन गया डॉक्टर

विजय जैन कहते हैं कि बेटी सीए है और बंगलूरू में एक मल्टीनेशन कंपनी में बतौर चाटर्ड एकाउंट के तौर पर तैनात है. वहीं बेटे ने आर्म्स फोर्स मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस करने के बाद कैप्टन के पद तैनात होकर कश्मीर में अपनी सेवाएं दे रहा है. बेटा आईएएस बनना चाहता है और सिविल सर्विसेज की तैयारी करेगा.

कभी नहीं आई कोई दिक्कत

विजय जैन कहते हैं कि मुझे नमाज, रोजे और कुरआन पढ़ने में कभी कोई दिक्कत पेश नहीं आई. शुरूआत में तो घर और समाज के लोगों ने मुझे मना भी किया. मेरे हर काम का विरोध करते थे लेकिन धीरे-धीरे समझ गए कि ये अब मानने वाला नहीं.

पत्नी हर रोज जाती है मंदिर

विजय जैन ने बताया कि पत्नी कमलेश जैन हर रोज मंदिर जाती हैं. वे घर में भी पूजा करती हैं. उन्होंने मुझसे कभी कुछ नहीं कहा, बल्कि हम तो दोनों धर्मों को लेकर खूब चर्चाएं करते हैं. मजहब को लेकर हममें कभी कोई तकरार नहीं हुई.

बच्चों के रिश्ते आते हैं

विजय जैन कहते हैं मेरे द्वारा नमाज, रोजा करना कभी परिवार के लिए परेशानी का सबब नहीं बना. बच्ची के रिश्ते आते हैं, लेकिन कभी ये मुद्दा नहीं रहा कि बेटी के पिता नमाज क्यों पढ़ते हैं.

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Ahsan Ali
Ahsan Ali
Journalist, Media Person Editor-in-Chief Of Reportlook full time journalism.

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