अल्ट न्यूज के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर ने बेल पर रिहा होने के बाद कहा कि उनसे 2 करोड़ रुपये लेकर ट्वीट करने वाले आरोपों पर किसी भी एजेंसी ने पूछताछ नहीं की है। यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में जुबैर पर रुपये लेकर ट्वीट करने का आरोप लगाया था।
तिहाड़ जेल से निकलने के दो दिन बाद फैक्ट चेकर मोहम्मद जुबैर ने कहा कि वह पहले की तरह काम करते रहेंगे। रुपये लेकर ट्वीट करने वाले आरोप पर जुबैर ने कहा- “मुझे इस आरोप के बारे में मेरी रिहाई के बाद ही पता चला। किसी जांच एजेंसी ने मुझसे इसके बारे में नहीं पूछा।”
यह आरोप सबसे पहले उत्तर प्रदेश सरकार ने यूपी की एक कोर्ट में लगाया था। उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त महाधिवक्ता गरिमा प्रसाद ने कहा था कि याचिकाकर्ता पत्रकार नहीं है और “वह दुर्भावनापूर्ण ट्वीट करके कमा रहा है। ट्वीट जितने दुर्भावनापूर्ण होते हैं, उतना अधिक उन्हें पैसे मिलते हैं। उन्होंने स्वीकार किया है कि उन्हें उनके ट्वीट के लिए दो करोड़ रुपए मिले हैं। वह कोई पत्रकार नहीं हैं।”
इसके बाद इसी आरोप को गरिमा प्रसाद ने सुप्रीम कोर्ट में भी दोहराया था। गरिमा प्रसाद ने न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ को बताया कि जुबैर ने स्वीकार किया कि उन्हें एक ट्वीट पोस्ट करने के लिए 12 लाख रुपये और दूसरे के लिए 2 करोड़ रुपये मिले।
गुरुवार को जुबैर की रिहाई का आदेश देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था- “यह कानून का एक निर्धारित सिद्धांत है कि गिरफ्तारी की शक्ति का संयम से पालन किया जाना चाहिए। वर्तमान मामले में उसे निरंतर हिरासत में रखने और विभिन्न न्यायालयों में कार्यवाही के अंतहीन दौर के अधीन रखने का कोई औचित्य नहीं है।”
अदालत ने मोहम्मद जुबैर के खिलाफ यूपी में जारी विशेष जांच को भंग कर दिया और यूपी के सभी मामलों को दिल्ली स्थानांतरित करने का आदेश दिया। कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार के उस अनुरोध को भी खारिज कर दिया जिसमें मांग की गई थी कि मोहम्मद जुबैर को “ट्वीट करने से रोका जाए”।