लखनऊ/ नई दिल्ली. अवैध धर्म परिवर्तन के आरोप में यूपी एटीएस (UP ATS) ने उमर गौतम (Umar Gautam) और उसके सहयोगी मुफ्ती काजी जहांगीर कासमी को न सिर्फ गिरफ्तार किया बल्कि उसे दोनों की सात दिन की रिमांड भी मिल गई है. इन दोनों पर अब तक गरीब महिलाओं के साथ मूक-मधिर गरीब बच्चों और अपाहिजों को मिलाकर 1000 से ज्यादा लोगों का धर्मांतरण (Conversion) कराने का अरोप है.
इस बीच यूपी के देवबंद में जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी (Maulana Mahmood Madani) ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि जबरन धर्मांतरण का आरोप लगाकर जिस तरह से उमर गौतम और जहांगीर को गिरफ्तार कर मीडिया के सामने पेश किया जा रहा है, वह निंदनीय है.
इसके साथ मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि उमर गौतम के बेटे अब्दुल्ला उमर की गुजारिश पर जमीयत उलमा-ए-हिंद अदालत में इस मामले की मजबूत परैवी करेगी. इसके साथ उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यकों और कमजोर तबके के लोगों के मामले में मीडिया का जज बन जाना और उन्हें मुजरिम बनाकर पेश करना एक आम बात हो गई है.
यही नहीं, इससे पूर्व मीडिया ने तब्लीगी जमात को लेकर इसी तरह का रवैया अपनाया था. इससे उससे संबंधित लोगों को नुकसान उठाना पड़ता है. जबकि बाद में जब अदालतें इनको बेकसूर करार दे देती हैं तो यही मीडिया चुप्पी साध लेता है.
बता दें कि श्याम प्रताप सिंह गौतम उर्फ मोहम्मद उमर गौतम मूल रूप से उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिला के ग्राम पंथुआ के रहने वाले है. जबकि वह जाति से क्षत्रिय है. हालांकि उसके मुसलमान बनने की कहानी खासी दिलचस्प है.
जानकारी के मुताबिक, स्कूलिंग के बाद जब वह ग्रेजुएशन के लिए नैनीताल हॉस्टल में शिफ्ट हुए तो उस दौरान उनके पैर में चोट लग गई थी. इस दौरान उनके बगल वाले कमरे में रहने वाले छात्र ने मदद की थी, जो कि मुस्लिम था. वही, छात्र श्याम को डॉक्टर के पास ले जाया करता था और साथ ही मंदिर भी. इसके बाद श्याम का इस्लाम के प्रति झुकाव हो गया है और उसने इस्लाम की किताबें हिंदी में पढ़ीं, तो उन पर इसका गहरा असर हुआ.
इसी वजह से उसने 1984 में अपना धर्म परिवर्तित कर लिया और श्याम प्रताप सिंह गौतम से मोहम्मद उमर गौतम बन गये. हालांकि इस बात की जानकारी श्याम के परिवार को मिली तो वह बहुत नाराज हुए और उसे समझाया भी, लेकिन उसने बात नहीं मानी तो सारे संबंध तोड़ लिए थे.