लखनऊ : उत्तर प्रदेश के डीजीपी मुकुल गोयल की ओर से मोहर्रम को लेकर जारी किये गये दिशा-निर्देश पर मजलिस-ए-उलेमा-ए-हिंद के महासिचव मौलाना सैयद कल्बे जवाद नकवी ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने डीजीपी के निर्देश को अपमानजनक बताया है.
मजलिस-ए-उलेमा-ए-हिंद के महासचिव मौलाना सैयद कल्बे जवाद नकवी ने अपने आवास पर पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा है कि डीजीपी का निर्देश लगता है अबूबकर बगदादी और ओसामा बिन लादेन ने जारी किया है. पूरे उत्तर प्रदेश में शिया और सुन्नी के बीच तनाव उत्पन्न हो गया है.
नकवी ने चेतावनी देते हुए कहा है कि उत्तर प्रदेश में अगर कहीं कोई वारदात होती है, उसकी पूरी जिम्मेदारी डीजीपी की होगी. साथ ही उन्होंने पुलिस प्रशासन पर जारी निर्देश के जरिये मोहर्रम और शिया समुदाय की छवि खराब करने का भी आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि बेहद अपमानजनक शब्दों का प्रयोग किया गया है.
उन्होंने कहा कि डीजीपी ने मोहर्रम की भावना और रूह को नहीं समझा और दिशा-निर्देश जारी कर दिया. डीजीपी के दिशा-निर्देश मोहर्रम को बदनाम करने की साजिश है. साथ ही उन्होंने कहा कि जुलूसों में तबर्रा कहां पढ़ा जाता है, इसके सबूत पेश करने चाहिए. जुलूसों में नौहे पढ़े जाते हैं. मातम मनाया जाता है.
उन्होंने कहा कि जब तक पुलिस प्रशासन विवादास्पद और अपमानजनक सर्कुलर वापस नहीं लेता और माफी नहीं मांगता, तब तक पुलिस प्रशासन की ओर से बुलायी गयी किसी भी बैठक में मातमी अंजुमनों, धार्मिक संगठन, ताजियादार शामिल ना हों. उन्होंने प्रदेश सरकार से डीजीपी के खिलाफ कार्रवाई की भी मांग की है.
क्या है डीजीपी के निर्देश में
डीजीपी ने दिशा-निर्देश जारी करते हुए कहा है कि इस वर्ष मोहर्रम 10-08-2021 से 19-08-2021 तकमनाया जायेगा. मोहर्रम की 7वीं, 8वीं, 9वीं तथा 10वीं तारीखें महत्वपूर्ण होती हैं. इन्हीं तिथियों में ताजिये रखे जाते हैं. अलम के जुलूस निकालकर मातम किया जाता है.
मोहर्रम के अवसर पर शिया समुदाय के लोगों द्वारा तबर्स पढ़े जाने पर सुन्नी समुदाय (देवबंदी और अहले हदीस) द्वारा कड़ी आपत्ति व्यक्त की जाती है, जो प्रत्युत्तर में ‘मदहे सदाबा’ पढ़ते हैं, जिस पर शियाओं द्वारा आपत्ति की जाती है.
शिया वर्ग के असामाजिक तत्वों द्वारा सार्वजनिक स्थानों, पतंगों और आवारा पशुओं पर तबर्रा लिखे जाने और देवबंदी / अहले हदीस फिरकों के सुन्नियों के असामाजिक तत्वों द्वारा इन्हीं तरीकों से अपने खलीफाओं के नाम लिखकर प्रदर्शित करने पर दोनों फिरकों के मध्य व्याप्त कटुता के कारण विवाद संभावित रहता है.
प्रदेश के हिंदू और मुस्लिम समुदाय के कट्टरवादी एवं असहिष्णु तत्व इन दोनों संप्रदायों के बीच किसी भी छोटी-बड़ी घटनाओं को तूल देकर अप्रत्याशित रूप से विवाद, तनाव, टकराव आदि की विषम स्थित उत्पन्न कर सकते हैं. इसलिए विशेष सर्तकता अपेक्षित है.
मोहर्रम के अवसर पर असामाजिक / सांप्रदायिक तत्वों के खिलाफ विधिसम्मत कदम उठाना और सांप्रदायिक स्वरूप की घटनाओं या विवादों के संबंध में समय रहते प्रभावी कार्यवाही सुनिश्चित किया जाना अत्यंत जरूरी होगा.
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