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Saturday, April 20, 2024

जमीयत के मौलाना अरशद मदनी की गैर-मुस्लिमों को सलाह- बेटियों को लड़कों के साथ पढ़ने से रोकें

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जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने सोमवार को कहा कि गैर-मुस्लिम लोगों को बेटियों को सह-शिक्षा देने से परहेज करना चाहिए ताकि वो अनैतिकता की चपेट में नहीं आएं। जमीयत की ओर से जारी बयान के मुताबिक, संगठन की कार्यसमिति की बैठक में मदनी ने यह टिप्पणी की। उन्होंने भीड़ हिंसा की घटनाओं पर चिंता व्यक्त की। कहा कि सभी राजनीतिक दल, खासकर जो खुद को धर्मनिरपेक्ष कहते हैं, वो खुलकर सामने आएं और इसके खिलाफ कानून बनाने के लिए आवाज और व्यावहारिक कदम उठाएं। सिर्फ निंदा करना ही काफी नहीं है।

एक बयान में मौलाना मदनी के हवाले से हिंसा और भीड़ द्वारा पीटकर हत्या किए जाने की घटनाओं पर कहा गया, ‘एक लोकतांत्रिक देश में कानून हाथ में लेना और सरकार का इस मामले में मूक दर्शक बने रहना सही नहीं है।’ मदनी ने भीड़ द्वारा पीटकर हत्या किए जाने की घटनाएं होने का आरोप लगाया। कहा, यह सब सुनियोजित तरीके से किया जा रहा है। इसका उद्देश्य धार्मिक उग्रवाद को भड़काकर बहुसंख्यकों को अल्पसंख्यकों के खिलाफ करना है।

मदनी ने संगठन की कार्यसमिति की बैठक में कहा, सुप्रीम कोर्ट के सख्त निर्देश के बाद भी भीड़ हिंसा की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं। क्या यह संभव है कि ऐसा करने वालों को राजनीतिक संरक्षण और समर्थन न मिला हो? उन्होंने दावा किया कि ऐसी घटनाएं किसी राज्य में चुनाव आने से पहले अचानक बढ़ जाती हैं। यह बहुत चिंता की बात है।

मौलाना मदनी ने कहा कि अनैतिकता और अश्लीलता किसी भी धर्म की शिक्षा नहीं है। इनकी हर धर्म में निंदा की गई है क्योंकि इनसे समाज में कदाचार फैलता है। ऐसे में, मैं अपने गैर-मुस्लिम भाइयों से कहना चाहूंगा कि वे बेटियों को सह-शिक्षा देने से परहेज करें ताकि वो अनैतिकता से दूर रहें। उनके लिए अलग शिक्षण संस्थान स्थापित किए जाएं।

बुजुर्ग मुस्लिम नेता ने कहा, अगर देश में यह अराजकता बढ़ती रही, तो न केवल अल्पसंख्यक, दलित और देश के लोग कमजोर होंगे, बल्कि विकास भी पूरी तरह से ठप हो जाएगा। देश का नाम भी खराब होगा। उन्होंने कहा, देश में जिस तरह का धार्मिक और वैचारिक टकराव शुरू हो गया है, उसकी बराबरी किसी हथियार या तकनीक से नहीं की जा सकती है। नई पीढ़ी को शिक्षा से लैस करके ही इससे मुकाबला किया जा सकता है। इसके बाद ही वे इस वैचारिक टकराव से निपटने में शिक्षा को अपना हथियार बना सकेंगे। उन्होंने कहा, मौजूदा हालात में मुस्लिम समुदाय को सिर्फ शिक्षा पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है।

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Jamil Khan
Jamil Khan
जमील ख़ान एक स्वतंत्र पत्रकार है जो ज़्यादातर मुस्लिम मुद्दों पर अपने लेख प्रकाशित करते है. मुख्य धारा की मीडिया में चलाये जा रहे मुस्लिम विरोधी मानसिकता को जवाब देने के लिए उन्होंने 2017 में रिपोर्टलूक न्यूज़ कंपनी की स्थापना कि थी। नीचे दिये गये सोशल मीडिया आइकॉन पर क्लिक कर आप उन्हें फॉलो कर सकते है और संपर्क साध सकते है

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