सांगली के बाद अब महाराष्ट्र की एक और अदालत ने 2008 के मामले में राज ठाकरे के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया है। महाराष्ट्र के बीड जिले की परली (Parli) जिला अदालत ने 2008 के एक मामले में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया है। ठाकरे पर 2008 में कथित तौर पर भड़काऊ भाषण देने के लिए मामला दर्ज किया गया था।
2008 में मनसे कार्यकर्ताओं ने राज ठाकरे के समर्थन में परिवहन निगम की बसों पर पथराव कर दिया था। जिसके संबंध में मामला दर्ज किया गया था। मनसे प्रमुख के खिलाफ आईपीसी की धारा 143, 109 और 117 और बॉम्बे पुलिस अधिनियम की धारा 135 के तहत मामला दर्ज किया गया था।
क्या है मामला? मामले की सुनवाई कोर्ट में शुरू होने के बाद राज ठाकरे किसी भी सुनवाई में शामिल नहीं हुए। जमानत के बावजूद लगातार तारीखों पर हाजिर नहीं होने पर उनके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया गया। 2008 में, एक भर्ती परीक्षा में बैठने वाले कुछ युवाओं पर महाराष्ट्र के कुछ स्थानों पर मनसे कार्यकर्ताओं ने हमला किया था। उन्होंने राज ठाकरे की गिरफ्तारी का भी विरोध किया था। इससे पहले, अदालत ने 10 फरवरी को गिरफ्तारी वारंट जारी किया था।
परली अदालत ने जारी किया गिरफ्तारी वारंट: जिसके बाद उन्हें 13 अप्रैल तक अदालत के सामने पेश होने का निर्देश दिया था, लेकिन राज ठाकरे दिए गए समय तक भी अदालत के सामने पेश नहीं हुए। अब इस मामले में परली जिला अदालत ने राज ठाकरे के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया है। उधर बॉम्बे हाईकोर्ट में पुणे के एक्टिविस्ट हेमंत पाटिल ने एक याचिका दायर कर ठाकरे के खिलाफ राष्ट्रद्रोह का केस दायर करने का निर्देश देने की मांग की है।
औरंगाबाद पुलिस ने दर्ज की FIR: वहीं, औरंगाबाद पुलिस ने 1 मई को शहर में एक रैली के दौरान उनके भाषण को लेकर मंगलवार को राज ठाकरे के खिलाफ मामला दर्ज किया था। महाराष्ट्र में मस्जिदों से लाउडस्पीकर हटाने की मांग को लेकर राज ठाकरे ने को कहा था कि अगर मस्जिदों से लाउडस्पीकर नहीं हटाया गया तो 4 मई से अजान के मुकाबले दोगुनी आवाज में हनुमान चालीसा बजाया जाएगा। ठाकरे के भाषण के बाद औरंगाबाद पुलिस ने उनके खिलाफ FIR दर्ज की है।