मध्य प्रदेश में डिंडोरी में जिला प्रशासन ने पंद्रह दिन पहले एक घर और तीन दुकानों पर बुल्डोजर चला दिया था। यह कार्रवाई इसलिए की गई क्योंकि एक शख्स पड़ोस में रहने वाली हिंदू महिला के साथ भाग गया। महिला के परिवार की ओर से अपहरण का मामला दर्ज कराया गया, जिसके आधार पर बुल्डोजर वाली कार्रवाई कर दी गई। अब इस मामले में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट का फैसला आया है।
मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की जबलपुर पीठ में 22 वर्षीय महिला साक्षी साहू की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति नंदिता दुबे की अध्यक्षता वाली एकल पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता बालिग है, जिसने आसिफ खान के साथ से स्वेच्छा से शादी की है।
याचिकाकर्ताओं ने आगे कहा कि उन्हें गलत तरीके से मंदिर में शादी करने की सलाह दी गई थी … किसी ने उन्हें सूचित नहीं किया कि उन्हें विशेष विवाह अधिनियम के तहत अपनी शादी को पंजीकृत करवाना चाहिए। उन्होंने प्रस्तुत किया कि वे अपनी शादी को विशेष विवाह अधिनियम के तहत पंजीकृत कराएंगे, क्योंकि वे दोनों 07.04.2022 से साथ रह रहे हैं। आगे कहा गया है कि भारत का नागरिक होने के नाते उन्हें अपनी पसंद का जीवन साथी चुनने का अधिकार है।
4 अप्रैल को, महिला के भाई की ओर से दर्ज कराई गई एफआईआर के आधार पर पुलिस ने आसिफ खान पर ‘शादी के लिए मजबूर करने और लड़की को अगवा करने का मामला दर्ज किया।
केस रजिस्टर होने के तीन दिन बाद 7 अप्रैल 2022 को प्रशासन ने परिवार से संबंधित तीन दुकानों को ध्वस्त कर दिया – एक छोटी सी जगह, जहां से आसिफ खान का छोटा भाई ऑनलाइन सर्विस सेंटर, एक चाय की दुकान और एक चिकन की दुकान चला रहा था, उन्हें प्रशासन ने अवैध बताकर बुल्डोजर से ध्वस्त कर दिया।
कुछ घंटे बाद भाजपा के पूर्व मंत्री ओम प्रकाश धुर्वे और पार्टी जिलाध्यक्ष नरेंद्र सिंह राजपूत ने आसिफ खान के घर को भी गिराने की मांग को लेकर राष्ट्रीय राजमार्ग-45 को जाम कर दिया। कलेक्टर रत्नाकर झा और अनुमंडल दंडाधिकारी बलबीर रमन सहित जिला अधिकारियों की एक टीम ने प्रदर्शनकारियों से मुलाकात की।
अगले दिन, 500 से अधिक पुलिसकर्मियों के साथ, आसिफ खान के पिता हलीम खान के नाम पर रजिस्टर्ड एक मंजिला घर को तोड़ दिया गया।
बुल्डोजर वाली कार्रवाई की पुष्टि करते हुए एसडीएम रमन ने कहा, “तहसीलदार की ओर से अवैध पाए जाने के कारण घर को ध्वस्त कर दिया गया। गांव में सांप्रदायिक तनाव भी था। लोग चाहते थे कि घर को तोड़ा जाए।”
अवैध निर्माण के बारे में सवाल पूछने के लिए जब डिंडोरी के तहसीलदार बीएस ठाकुर से संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा कि वह 20 दिनों के लिए छुट्टी पर हैं। ठाकुर की गैरमौजूदगी में कार्यभार संभालने वाले जीआर साल्वे ने कहा, ‘तहसीलदार के आदेश में जिस विवरण के तहत कार्रवाई की गई है, उसका उल्लेख किया गया है। कृपया एक प्रति के लिए लोक सेवा केंद्र में आवेदन करें और इसे तीन कार्य दिवसों में दिया जा सकता है।
कलेक्टर रत्नाकर झा ने द इंडियन एक्सप्रेस के कॉल और संदेशों का जवाब नहीं दिया।
घर तोड़े जाने के एक दिन बाद साक्षी का वीडियो सामने आया, जिसमें वह कहती सुनाई दे रही है कि वह स्वेच्छा से आसिफ खान के साथ गई थी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और डिंडोरी के एसपी को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, ‘मैं साक्षी साहू हूं, डिंडोरी के शाहपुरा की रहने वाली हूं। मैंने अपने परिवार के विरोध के बावजूद आसिफ खान से शादी की। मेरे पति के परिवार को झूठे आरोप लगाकर फंसाया जा रहा है। मैंने उससे अपनी मर्जी से शादी की, लेकिन मेरा परिवार तथ्यों का गलत इस्तेमाल कर रहा है और आसिफ के परिवार पर झूठे मामले थोप रहा है। उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है, उनके घर और दुकानों को तोड़ दिया गया है। मैं मुख्यमंत्री से मेरी मदद करने का आग्रह करता हूं, नहीं तो मैं और मेरे पति दोनों आत्महत्या कर लेंगे।
आसिफ खान के पिता हलीम खान, छोटे किसान हैं और पत्नी और तीन बेटों के साथ दो दशकों से अधिक समय से गांव में रह रहे हैं। तोड़फोड़ के बाद से परिवार गांव से बाहर चला गया है। खान के दूर के रिश्तेदार नौशाद मलिक ने कहा, “वे एक निम्न-मध्यम वर्गीय परिवार से हैं। आसिफ ग्राम पंचायत में ड्राइवर का काम करता था। हलीम ने घर बनाने में बहुत मेहनत की, उसे पांच साल लगे, लेकिन प्रशासन ने चंद मिनटों में इसे को जमींदोज कर दिया।
एक किसान और शाहपुर गांव के निवासी रामकुमार धुर्वे ने कहा, “गांव में कोई भी किसी के साथ भाग जाने का समर्थन नहीं करता, लेकिन घर आसिफ खान का नहीं था, इसे उसके पिता हलीम ने बनवाया था। क्या बाप का बनाया घर गिराना जायज़ है? क्या कानून किसी वयस्क के लिए शादी से पहले अपने माता-पिता से अनुमति लेना अनिवार्य बनाता है? फिर माता-पिता को सजा कैसे दी जा सकती है?”