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Thursday, March 28, 2024

जानिए वो कहानी, जिसमें पता चलेगा कि आखिर लाहौर पाकिस्तान के पास कैसे चल गया?

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लाहौर आज पाकिस्तान के अहम शहरों में से एक है. पाकिस्तान के रेवेन्यु में लाहौर का अहम हिस्सा है. लेकिन, क्या आप जानते हैं लाहौर के पाकिस्तान में जाने से पहले हर किसी को लगता था कि विभाजन के वक्त लाहौर पाकिस्तान का नहीं बल्कि हिंदुस्तान का हिस्सा होने वाला है.

भारत ही नहीं, आज के पाकिस्तान वाले हिस्से के लोगों को भी लगता था लाहौर पाकिस्तान का नहीं, भारत का हिस्सा होगा. लेकिन, अंत में ऐसा नहीं हुआ.

अब सवाल ये है कि आखिर लोगों को ऐसा क्यों लगता था कि लाहौर पाकिस्तान के नहीं भारत के हिस्से में जाना चाहिए और बाद में ऐसा क्या हुआ कि लाहौर को पाकिस्तान का हिस्सा बना दिया गया. ऐसे में जानते हैं लाहौर के पाकिस्तान में शामिल होने की कहानी और जानते हैं कि क्यों आज लाहौर हमारे देश का हिस्सा नहीं है…

कैसे हुआ था विभाजन?

लाहौर की कहानी जानने से पहले आपको बताते हैं कि आखिर भारत और पाकिस्तान का बंटवारा किस तरह से हुआ था. दरअसल, जब भारत और पाकिस्तान का विभाजन होना था तब ब्रिटेन से एक शख्स को बुलाया गया था, जिनका नाम था सिरील रेडक्लिफ. उन्हें कहा गया था भारत और पाकिस्तान का विभाजन करना है, लेकिन खास बात ये थी कि रेडक्लिफ न कभी भारत आए थे, न यहाँ की संस्कृति की समझ थी, बस भारत को बांटने का जिम्मा उन्हें सौंप दिया गया था.

उनकी अध्यक्षता में रेडक्लिफ कमीशन बनाया गया और इसने बंटवारे के लिए बॉर्डर लाइन बनाई. उन्होंने जो बॉर्डर बनाया, उसे ही तो रेडक्लिफ लाइन नाम दिया गया. उन्होंने ही फैसला किया था कि भारत और पाकिस्तान में कौन सा शहर कहां रहेगा.

क्यों भारत का हिस्सा लगता था लाहौर?

लाहौर के भारत का हिस्सा मानने की कई वजहें थीं. दरअसल, उस वक्त धर्म आधारित जनसंख्या के आधार पर शहरों को बांटा गया था. लेकिन, इसके साथ ही कई फैक्टर्स भी इसमें शामिल थे, जिसमें प्रॉपर्टी ऑनरशिप आदि शामिल है. बता दें कि 1941 की जनसंख्या गणना के अनुसार लाहौर में 40 फीसदी गैर मुस्लिम लोग थे, लेकिन 80 फीसदी प्रॉपर्टी ऑनरशिप गैर मुस्लिमों के पास थी. इस वजह से लाहौर की अर्थव्यवस्था में गैर मुस्लिमों का ज्यादा प्रभाव था. ये अहम वजह थी, जिससे लग रहा था कि लाहौर भारत का हिस्सा हो सकता है.

साथ ही वहां गैर मुस्लिमों का अधिकार इमारतों, मॉन्युमेंट्स, बिजनेस, संस्थानों, अस्पताल पर भी ज्यादा था. जैसे वहां श्रीगंगाराम हॉस्पिटल, गुलाब देवी हॉस्पिटल, जानकी देवी हॉस्पिटल, दयाल सिंह कॉलेज आदि है. ये महाराजा रंजीत सिंह रियासत की कैपिटल भी थी.

कैसे बना पाकिस्तान का हिस्सा?

अगर लाहौर के पाकिस्तान में शामिल होने की बात करें तो इसके पीछे भी कई वजहें हैं. बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, लेखक कुलदीप नय्यर ने रेडक्लिफ़ से बातचीत की थी ओर उन्हें रेडक्लिफ ने कहा था, ‘मुझे 10-11 दिन मिले थे सीमा रेखा खींचने के लिए. मैंने देखा लाहौर में हिंदुओं की संपत्ति ज़्यादा है. लेकिन, मैंने ये भी पाया कि पाकिस्तान के हिस्से में कोई बड़ा शहर ही नहीं था. मैंने लाहौर को भारत से निकालकर पाकिस्तान को दे दिया. अब इसे सही कहो या कुछ और लेकिन ये मेरी मजबूरी थी. पाकिस्तान के लोग मुझसे नाराज़ हैं लेकिन उन्हें ख़ुश होना चाहिए कि मैने उन्हें लाहौर दे दिया.’

इस दौरान लाहौर में काफी दंगे भी हो रहे थे और इस वजह से भी उन्हें ये फैसला लिया. इसके अलावा पाकिस्तान में कोई बड़ा शहर ना होना भा लाहौर के पाकिस्तान में शामिल होने का कारण बना. साथ ही उन्हें काफी कम टाइम चीजों के संभालने के लिए मिला था, इसलिए उन्होंने यह फैसला काफी जल्दबाजी में भी लिया था.

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