भारतीय कश्मीर के अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी का निधन हो गया है. वो 92 साल के थे.
बीबीसी संवाददाता रियाज़ मसरूर के मुताबिक गिलानी के परिजनों ने उनकी मौत की पुष्टि की है.
सैयद अली शाह गिलानी कश्मीर के अलगाववादी संगठनों के समूह हुर्रियत कांफ्रेंस के संस्थापकों में शामिल थे. अब ये दल निष्क्रिय है.
जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती ने एक ट्वीट में कहा है, ‘गिलानी साहब के निधन की ख़बर से दुखी हूं. बहुत से मुद्दों पर हमारे बीच मतभेद थे लेकिन मैं उनका सम्मान करती हूं. अल्लाह उन्हें जन्नत में जगह दे और उनके परिजनों को सब्र दे.’
15 साल तक रहे विधायक
गिलानी 15 सालों तक पूर्व जम्मू कश्मीर राज्य की 87 सदस्यों वाली विधानसभा के सदस्य रहे थे. वह 1972, 1977 और 1987 में तत्कालीन जम्मू-कश्मीर विधानसभा में सोपोर से सदस्य रहे.
वह जमात-ए-इस्लामी का प्रतिनिधित्व करते थे जिसे अब प्रतिबंधित कर दिया गया है. उन्होंने 1989 में सशस्त्र संघर्ष शुरू होने के दौरान अन्य चार जमात नेताओं के साथ इस्तीफ़ा दे दिया था.
1993 में 20 से अधिक धार्मिक और राजनीतिक पार्टियां ‘ऑल पार्टीज़ हुर्रियत कॉन्फ्रेंस’ के बैनर तले एकत्रित हुईं और 19 साल के मीरवाइज़ उमर फ़ारूक़ इसके संस्थापक चेयरमैन बने. बाद में गिलानी को हुर्रियत का चेयरमैन चुना गया.
गिलानी और उनके समर्थकों ने हुर्रियत से अलग होकर 2003 में एक अलग संगठन बना लिया था. वह आजीवन हुर्रियत (गिलानी) के चेयरमैन चुन लिए गए थे. उन्होंने जून 2020 में हुर्रियत को छोड़ दिया था.