जानिया इस्लामिया विश्वविद्यालय ने रविवार को बताया कि अफगानिस्तान में मारे गए पुलित्जर पुरस्कार विजेता फोटो जर्नलिस्ट दानिश सिद्दीकी के शव को जामिया के कब्रिस्तान में दफनाया जाएगा। वाइस चांसलर ने इसके लिए प्रोटोकॉल को तोड़ते हुए मंजूरी दी है। आमतौर पर कब्रिस्तान को जामिया के कर्मचारियों, उनके पति या पत्नी या फिर नाबालिग बच्चों के लिए रिजर्व रखा जाता है लेकिन यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर ने कहा कि सिद्दीकी के लिए यह मंजूरी दी जा रही है। बताते चलें कि सिद्दीकी इसी यूनिवर्सिटी के छात्र रहे हैं और वह एक समाचार एजेंसी के लिए काम किया करते थे।
वीसी दफ्तर से प्रेस रिलीज के माध्यम से इसकी जानकारी देते हुए बताया गया कि सिद्दीकी के परिवार द्वारा किए गए अनुरोध के तहत दानिश का पार्थिव शरीर जामिया के कब्रिस्तान में दफनाया जाएगा, जोकि अमूमन यूनिवर्सिटी के स्टाफ, स्टाफ की पति पत्नी या फिर नाबालिग बच्चों के लिए आरक्षित रहता है।
सिद्दीकी का जामिया यूनिवर्सिटी से पुराना नाता रहा है, उनके पिता मोहम्मद अख्तर सिद्दीकी भी इसी विश्वविद्यालय में एजुकेशन फैकल्टी में प्रोफेसर थे और जामिया नगर में रहते हैं। सिद्दीकी भी खुद जामिया के छात्र रहे हैं, उन्होंने यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र में ग्रेजुएशन और मास कम्युनिकेशन में पोस्ट ग्रेजुएशन भी किया था।
वहीं इस मामले पर राजनीतिक सियासी घमासान भी तेज होता जा रहा है। पूर्व वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने ट्विटर के माध्यम से सरकार पर हमला करते हुए कहा कि दानिश सिद्दीकी की दुखद मौत और महंगाई, इन दो विषयों पर बीजेपी या फिर NDA की तरफ से कोई टिप्पणी नहीं आएगी, क्योंकि यह दोनों मामले सरकार के झूठे नेरेटिव में फिट नहीं बैठते हैं।
आपकी जानकारी के लिए बता दें फोटो जर्नलिस्ट दानिश सिद्दीकी की अफगानिस्तान में सुरक्षाबलों और तालिबान आतंकियों के बीच संघर्ष के दौरान मौत हो गई थी। उन्होंने कोरोना काल के दौरान ऐसी कई तस्वीरें अपने कैमरे में कैद की थी, जिसको देखकर दुनिया हिल गई थी। वह पिछले कई दिनों से अफगानिस्तान में थे और इस तनातनी का कवरेज कर रहे थे।