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Saturday, June 3, 2023
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J&K: ‘मैंने आतंकियों को मारा, लेकिन मेरे बेटे को आंतकी मानकर मार दिया’; हैदरपोरा एनकाउंटर पर उठे सवाल

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जम्मू-कश्मीर में हैदरपोरा एनकाउंटर में मारे गए एक शख्स के पिता ने सवाल उठाए हैं. मोहम्मद लतीफ ने कहा, मैंने खुद कई सालों तक पुलिस के साथ मिलकर आतंकियों को मारा है तो फिर मेरा बेटा कैसे आतंकी हो सकता है?’ मोहम्मद लतीफ ने कहा कि मुझे इस बहादुरी के लिए 2005 में राज्यपाल ने मेडल दिया था. लतीफ ने पुलिस से अपने बेटे के शव को लौटाने की मांग की है. बता दें कि हैदरपोरा में सुरक्षाबलों ने 4 आतंकवादियों को मारा गिराया है.

जम्मू-कश्मीर के हैदरपोरा एनकाउंटर में अपने बेटे की मौत को लेकर मोहम्मद लतीफ मगरे नाम के शख्स ने पुलिस के दावों पर सवाल खड़े किए हैं. मोहम्मद लतीफ जिसने कभी घाटी में आतंकियों को मारा था. उसका कहना है कि उसका बेटा आतंकवादी नहीं था. दरअसल आमिर मगरे उन 4 लोगों में से एक था जिसे सुरक्षाबलों ने हैदरपोरा एनकाउंटर में मार गिराया था. मोहम्मद लतीफ, जो कि पब्लिक इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट में कार्यरत है, उन्होंने कहा कि, मेरा बेटा पिछले 6 महीनों से श्रीनगर में कम सैलरी पर काम करता था. जिसे सोमवार रात पुलिस मुठभेड़ में मार दिया गया.

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जम्मू-कश्मीर का बनिहाल और रामबान इलाका आतंकवादी गतिविधियों के लिए जाना जाता है. मोहम्मद लतीफ ने दावा किया कि पूर्व में उसने सुरक्षाबलों के साथ ऑपरेशन में कई आतंकवादियों को मारा है और इस बहादुरी के लिए 2005 में राज्यपाल एन एन वोहरा ने उसे मेडल प्रदान किया था. इसके अलावा उसे कई और अवार्ड भी मिले हैं.

‘मैंने घाटी में आतंकियों को मारा’
मोहम्मद लतीफ ने कहा कि एक दिन उसकी कुछ आतंकवादियों से बहस हो गई और वे मुझे मारने के लिए आ गए. इस दौरान मैंने उनमें से आतंकवादी को पत्थर से मार डाला. लतीफ ने यह भी कहा कि 6 अगस्त 2005 को एक आतंकवादी मुझे मारने के लिए आया था लेकिन मैंने चट्टान से उसे मार डाला. लतीफ ने बताया कि आतंकवादी मेरी तलाश में आए थे लेकिन मेरी जगह उन्होंने मेरे भाई को मार डाला. इस वजह से उसे अपने रिश्तेदारों के साथ गांव छोड़ना पड़ा और कई सालों तक उधमपुर शरणार्थी कैंप में रहना पड़ा.

60 वर्षीय लतीफ ने कहा कि अभी साल ही हुए थे कि हम घर वापस आए थे. तब ही से मुझे सुरक्षा मिली हुई थी. ITBP के 10 से 12 जवान मेरी सुरक्षा में संगालधन मेरे घर पर तैनात रहते हैं. मोहम्मद लतीफ ने मंगवार को कहा कि वह यह जानकार हैरान रह गया कि पुलिस ने उसके बेटे को आतंकवादी मानकर एनकाउंटर में मार डाला.

लतीफ ने बताया कि, मैं कुछ गांवों के सरपंच और रिश्तेदारों के साथ श्रीनगर पहुंचा लेकिन वहां पुलिस ने हम से कहा कि आमिर आतंकवादी था और उसे दफना दिया गया है. मुझे उसका पहचान पत्र दिया गया और कहा कि उसका मृत शरीर वापस नहीं दिया जाएगा.

मोहम्मद लतीफ ने दुख के साथ कहा कि, ऐसा कैसे हो सकता है कि, जो आदमी पूरी जिंदगी आतंकवादियों से लड़ा, उसके बेटे को आतंकवादी मान कर मार दिया गया.

“हम पक्के हिंदुस्तानी थे, तो आतंकवादी कैसे बन गए”
लतीफ का कहना है कि, हम तो पक्के हिंदुस्तानी थे लेकिन हम ही आतंकवादी बन गए. उन्होंने मीडिया के जरिए उप राज्यपाल मनोज सिन्हा से अपने बेटे का पार्थिव शरीर परिवार को सौंपने की अपील की. लतीफ ने कहा कि, हम अपनी परंपरा के अनुसार, बेटे का अंतिम संस्कार गांव में करेंगे. वहीं मोहम्मद अशरफ नाम के ग्रामीण ने बताया कि, आमिर एक मासूम और मेहनती लड़का था और श्रीनगर में मजदूर के तौर पर एक दुकान पर काम करता था. अगर उसे आतंकवादी समझकर मार दिया गया तो उसके परिवार को सरकार ने सुरक्षा क्यों दी. उन्हें पिछले 15 सालों से सिक्योरिटी मिली हुई है.

इस ग्रामीण ने दुखी होकर कहा कि लतीफ मगरे हिंदुस्तानी हैं और श्रीनगर में उनके बच्चे को मार दिया गया. दुर्भाग्य है कि उसे आतंकवादी करार दिया गया. इस ग्रामीण ने सवाल पूछते हुए कहा कि, अगर वे पाकिस्तानी थे, तो सरकार ने उनके परिवार को सुरक्षा क्यों दी और उनका बेटा आतंकवादी कैसे बन गया?

ग्रामीणों ने कहा कि, अगर आमिर का शव परिवार को नहीं सौंपा गया तो, वे रामबान और हाईवे पर आकर प्रदर्शन करेंगे. अगर परिजन आखिरी बार अपने बेटे का चेहरा नहीं देख पाए, तो वे मर जाएंगे और इसका जिम्मेदार कौन होगा.

वहीं हैदरपोरा एनकाउंटर को लेकर विजय कुमार (IGP) कश्मीर ने कहा कि, इस एनकाउंटर में दो आतंकवादी- एक बाहरी और स्थानीय, एक बिल्डिंग का मालिक और एक अन्य लड़का शामिल था. मारे गए चारों लोगों की पहचान, पाकिस्तानी आतंकवादी बिलाल, आमिर मगरे, मुद्दसर गुल और अल्ताफ अहमद बट के तौर पर हुई है. हालांकि गुल और बट के परिवार ने पुलिस के आरोपों को खंडन किया और कहा कि उनका आतंकवादियों से कोई कनेक्शन नहीं था, वे दोनों बिजनेसमैन थे. गुल और बट के परिवार वालों ने भी शव सौंपने की मांग की है.

IGP विजय कुमार ने कहा कि, बिल्डिंग में मुद्दसर गैर कानूनी तरीके से कॉल सेंटर चलाता था और उसके पास से आपत्तिजनक सामग्री बरामद हुई है. वहीं हैदर और आमिर दोनों आतंकवादी थे और एनकाउंटर वाली जगह से उनके पास से 2 पिस्टल मिली है.

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Jamil Khan
Jamil Khan
Jamil Khan is a journalist,Sub editor at Reportlook.com, he's also one of the founder member Daily Digital newspaper reportlook
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