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Monday, September 18, 2023
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बांग्लादेश में “इस्लाम” का राष्ट्रीय धर्म का दर्जा खत्म करने की तैयारी, “मुसलमानों” ने दी हसीना सरकार को चेतावनी

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नई दिल्ली।बांग्लादेश में शेख हसीना के नेतृत्व वाली आवामी लीग सरकार इस्लाम का राष्ट्रीय धर्म का दर्जा खत्म करने की तैयारी कर रही है। इसके लिए सरकार 1972 के धर्मनिरपेक्ष संविधान की वापसी का फैसला किया है। इस फैसले के लागू होने के बाद बांग्लादेश में राष्ट्रीय धर्म के तौर पर इस्लाम की मान्यता समाप्त हो जाएगी।

बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार ने यह फैसला तब लिया है, जब वहां पहले से हिंदुओं के खिलाफ हिंसा का दौर जारी है। इस फैसले को लेकर बांग्लादेश में कई मुसलमानों ने हसीना सरकार को चेतावनी भी दी है।

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बीते 13 अक्टूबर से बांग्लादेश में शुरू हुए ऐसे हमलों में अब तक आठ लोगों की मौत हुई है और सैकड़ों हिंदुओं के घर और दर्जनों मंदिरों में तोड़फोड़ की घटनाएं सामने आ रही हैं। इस्लाम समर्थकों ने अवामी लीग सरकार को धमकी देते हुए कहा कि अगर 1972 के धर्मनिरपेक्ष संविधान को वापस लाने के लिए प्रस्तावित विधेयक को संसद में पेश किया तो हिंसा और बढ़ेगी। वर्ष 1988 में सैन्य शासक एचएम इरशाद ने इस्लाम को राष्ट्रीय धर्म घोषित किया था

ढाका शहर के पूर्व मेयर सईद खोकोन जैसे कुछ अवामी लीग के नेताओं ने भी सूचना मंत्री मुराद हसन की उस घोषणा का विरोध किया है जिसमें उन्होंने कहा कि बांग्लादेश एक धर्मनिरपेक्ष देश है और राष्ट्रपिता शेख मुजीबुर्रहमान द्वारा बनाए गए 1972 के संविधान की देश में वापसी होगी

सईद खोकोन ने इस फैसले के समय पर सवाल उठाते हुए कहा है कि यह आग में घी का काम करेगा।

मुराद हसन ने कहा कि हमारे शरीर में स्वतंत्रता सेनानियों का खून है, किसी भी कीमत पर हमें 1972 के संविधान की ओर वापस जाना होगा। संविधान की वापसी के लिए मैं संसद में बोलूंगा। कोई नहीं बोलेगा तो भी मुराद संसद में बोलेगा

सूचना मंत्री मुराद हसन ने एक सार्वजनिक आयोजन में कहा, मुझे नहीं लगता कि इस्लाम हमारा राष्ट्रीय धर्म है। हम 1972 का संविधान वापस लाएंगे। हम बिल को प्रधानमंत्री शेख हसीना के नेतृत्व में संसद में अधिनियमित करवाएंगे। जल्द ही हम 1972 के धर्मनिरपेक्ष संविधान को फिर अपनाएंगे।

अगर ऐसा होता है तो आने वाले दिनों में 90 प्रतिशत से अधिक मुस्लिम आबादी वाले बांग्लादेश का राष्ट्रीय धर्म इस्लाम नहीं होगा

दूसरी ओर, जमात-ए-इस्लामी और हिफाजत-ए-इस्लाम जैसे इस्लामिक संगठनों के मौलवियों ने धमकी दी कि अगर ऐसा कोई बिल पेश किया गया तो एक खूनी अभियान शुरू हो जाएगा। हिफाजत के महासचिव नुरुल इस्लाम जिहादी ने कहा है, इस्लाम राज्य धर्म था, यह राज्य धर्म है, यह राज्य धर्म रहेगा। इस देश को मुसलमानों ने आजाद किया और उनके धर्म का अपमान नहीं किया जा सकता। इस्लाम को राष्ट्रीय धर्म बनाए रखने के लिए हम हर बलिदान देने को तैयार हैं

यहां तक कि पूर्व मेयर खोकोन जैसे अवामी लीग के नेताओं ने भी मुराद हसन की घोषणा का विरोध इस आधार पर किया है कि पार्टी के भीतर इस पर विस्तार से चर्चा नहीं की गई।

मुराद हसन ने यह घोषणा 14 अक्टूबर को की. इससे ठीक एक दिन पहले मुस्लिम भीड़ ने कुमिल्ला, चांदपुर, फेनी, नोआखाली और चटगांव में हिंदू मंदिरों पर हमला किया। दरअसल एक हिंदू भगवान के चरणों में इस्लाम के धार्मिक ग्रंथ क़ुरान की एक तस्वीर फेसबुक पर वायरल हुई जिसके बाद हिंसा शुरू हुई

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Jamil Khan
Jamil Khan
Jamil Khan is a journalist,Sub editor at Reportlook.com, he's also one of the founder member Daily Digital newspaper reportlook
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