नई दिल्ली. पैगंबर मोहम्मद (peace be upon him) पर निलंबित बीजेपी नेता नूपुर शर्मा (Nupur Sharma) की टिप्पणी को लेकर देश-दुनिया में विवाद जारी है। उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू(Vice President Venkaiah Naidu) के कतर दौरे के बीच यह मामला तूल पकड़ गया है।
इस्लामी सहयोग का संगठन (OIC) ने अपने बयान में कहा कि भारत में मुसलमानों का टार्गेट किया जा रहा है।
आइए जानते हैं इस विवाद की बड़ी बातें…
1. पैगंबर मोहम्मद (peace be upon him) पर भाजपा नेता नूपुर शर्मा और नवीन जिंदल के बयान पर खाड़ी देशों कतर, कुवैत और ईरान ने भारतीय राजदूतों को नोटिस जारी करके अपनी नाराजगी जताई है। कतर और कुवैत ने भारत सरकार से माफी की मांग तक कर डाली की। वहीं, OIC ने कहा कि भारत में मुस्लमानों के खिलाफ हिंसा बढ़ी है। हिजाब के बैन के साथ मुस्लिमों पर लगाए जा रहे हैं।
2. कतर की राजधानी दोहा में भारतीय दूत को विदेश मंत्रालय में बुलाया गया और एक आधिकारिक विरोध पत्र सौंपा गया। इसमें लिखा है कि कतर भारत सरकार से इन बयानों की तत्काल निंदा करने और माफी मांगने की उम्मीद करता है। यह बयान ऐसे समय में आया है, जब उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू व्यापार को बढ़ावा देने के लिए इस अमीर खाड़ी राज्य के हाई-प्रोफाइल दौरे पर हैं।
3. कुवैत ने भारत के राजदूत को तलब किया और इस तरह के बयानों के लिए सार्वजनिक माफी की मांग की। हालांकि प्रवक्ता नूपुर शर्मा को पार्टी से 6 साल के लिए निलंबित करने के बाद सऊदी अरब और बहरीन ने इस फैसले का स्वागत किया है।
4. भारत में अल्पसंख्यकों की स्थिति को लेकर पाकिस्तान ने भी विवाद खड़ा किया।
5. पैगम्बर मोहम्मद (peace be upon him) पर टिप्पणी के मामले में AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) ने नुपुर शर्मा (Nupur Sharma) की गिरफ्तारी की मांग उठाई है। ओवैसी ने कहा कि पीएम मोदी (PM Modi) मुसलमानों की बात नहीं सुनते हैं। ओवैसी ने बीजेपी पर भारत के मुसलमानों को अपमानित करने का आरोप लगाया है।
खाड़ी देशों में काम करते हैं 76 लाख भारतीय
बता दें कि भारत और खाड़ी देशों के बीच ऐतिहासिक रिश्ते रहे हैं। इनमें लगातार मजबूती आ रही है। भारत 52.7% ऑयल एक बहुत बड़ा हिस्सा इन्हीं खाड़ी देशों से इंपोर्ट करता है। विदेश मंत्रालय के डेटा के अनुसार, मीडिल ईस्ट के देशों में लगभग 76 लाख भारतीय काम करते हैं। चूंकि कोरोना काल में अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ा, ऐसे में इस मामले को तूल न देने पर जोर दिया जा रहा है।