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Thursday, April 25, 2024

शादी-पार्टी में भी हवाई चप्पल पहनकर जाता था पीयूष जैन, घर से मिला ‘खजाना’ देख पड़ोसी भी हैरान

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कानपुर, 27 दिसंबर: इत्र कारोबारी पीयूष जैन के घर से भले ही अरबों रुपए, किलो में सोना-चांदी बरामद हुआ हो, लेकिन पड़ोसियों और उन्हें जानने वालों को अब भी विश्वास नहीं हो रहा है कि इतनी साधारण सी लाइफस्टाइल वाले पीयूष के घर से ‘खजाना’ बरामद हुआ है।

लोग बताते हैं कि पीयूष जैन बेहद साधारण तरीके से रहते थे। कई बार शादियों, बर्थडे पार्टी या किसी अन्य बड़े समारोहों में भी वह हवाई चप्पल और कुर्ता-पैजामा पहनकर पहुंच जाते थे। गाड़ियों की बात करें तो पीयूष जैन के पास एक कानपुर नंबर की और एक कन्नौज के नंबर की बेहद साधारण सी दिखने वाली दो ही कारें हैं। ऐसे में किसी के लिए भी ये अंदाजा लगाना मुश्किल था कि पीयूष जैन अकूत संपत्ति के मालिक हैं और उनके घर में नोटों के बंडल, सोना-चांदी भरा पड़ा है। बता दें, पीयूष जैन को गिरफ्तार किया जा चुका है। आज कोर्ट में पेशी के बाद उन्हें ट्रांजिट रिमांड पर अहमदाबाद ले जाया जा सकता है।

कन्नौज में पीयूष जैन का पुश्तैनी घर 

पीयूष जैन का पुश्तैनी घर कन्नौज में है। पीयूष जैन के पुरखे कई पीढ़ियों से कन्नौज में ही रहते आए हैं। जानकारी के मुताबिक, पीयूष के पिता महेश चंद्र जैन पेशे से केमिस्ट हैं। महेश जैन ने ही दोनों बेटों पीयूष और अंबरीष को इत्र और खाने-पीने की चीजों में मिलाए जाने वाले एसेंस (कंपाउंड) बनाने का तरीका सिखाया है। पीयूष के परिवार के पास जैन स्ट्रीट के मौजूदा मकान का एक छोटा सा हिस्सा ही था। पीयूष और उनके परिवार को जानने वाले बताते हैं कि पीयूष के परिवार की आर्थिक स्थित पिछले 15 साल में पूरी तरह बदल गई।

घर के बाहर नहीं लगा एक भी CCTV कैमरा 


कारोबार बढ़ा और परिवार की आर्थिक स्थिति बदली। इसके बाद पीयूष ने आसपास के दो मकानों को खरीदकर एक में मिला दिया। कहा जा रहा है कि करीब 700 वर्ग गज के इस मकान को बनवाने के लिए जयपुर से कारीगर बुलवाए गए थे। हालांकि, इतना बड़ा कारोबार, घर में इतना कैश और सोना चांदी होने के बावजूद बावजूद घर के किसी भी बाहरी हिस्से में एक भी सीसीटीवी कैमरा नहीं लगाया गया है।

कानपुर में पढ़ते हैं पीयूष और अंबरीष के बच्चे 

बता दें, पीयूष और उनके भाई अंबरीष जैन के 6 बेटे-बेटियां हैं। सभी कानपुर में पढ़ते हैं। कन्नौज के छिपट्टी मोहल्ले के लोगों का कहना है कि भले ही बाहरी लोग पीयूष और उसके परिवार की ‘हैसियत’ का अंदाजा नहीं लगा पाए, लेकिन कन्नौज में व्यापार से जुड़े लोगों में पीयूष और अंबरीष का नाम पूरे सम्मान से लिया जाता है।

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