इस संबंध में सऊदी अरब हुकूमत को पत्र लिखकर पूर्व की भांति तरावीह की नमाज में 20 रकाअत जमात के साथ पढ़ाए जाने की मांग की है।
मंगलवार को दारुल उलूम के कार्यवाहक मोहतमिम मौलाना अब्दुल खालिक मद्रासी ने मक्का और मदीना मुनव्वरा दुनियाभर के मुसलमानों की आस्था का केंद्र है। इसलिए सऊदी अरब सरकार को चाहिए कि वह मुस्लिमों की आस्था और उनके अधिकारों का ख्याल रखें और कोई भी ऐसा काम न करें, जिससे उनकी आस्था को ठेस पहुंचे।
वैश्विक महामारी कोरोना के चलते पिछले दो वर्षों से सऊदी अरब के मक्का-मदीना समेत अन्य स्थानों पर नमाज-ए-तरावीह की बीस रकाअत के बजाए दस रकाअत पढ़ाई जा रही थीं, लेकिन इस वर्ष कोरोना गाइडलाइन समाप्त हो चुकी है।
उसके बावजूद भी हरमेन शरीफेन में दस रकाअत नमाज-ए-तरावीह ही पढ़ाई जा रही है। जिससे हिंदुस्तान सहित पूरी दुनिया में रहने वाले मुसलमानों में रोष और बेचैनी है। मौलाना अब्दुल खालिक मद्रासी ने कहा कि दारुल उलूम ने कोरोना महामारी के समय भी सऊदी हुकूमत द्वारा उठाए गए इस तरह के कदम पर आपत्ति दर्ज कराई गई थी।
उस समय भी सऊदी सरकार को पत्र लिखा गया था। उन्होंने कहा कि बिना किसी वजह तरावीह की नमाज में कटौती करना उचित नहीं है। उन्होंने सऊदी हुकूमत से तत्काल 20 रकाअत सुन्नत तरावीह जमात के साथ अदा कराए जाने का आदेश जारी करने की मांग की है।