उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद से मुसलमान मायूस हैं। उनके सामने सवाल उठ खड़ा हुआ है कि मुसलमानों का भविष्य क्या होगा ?
मुसलमानों में एक तरह का डर और निराशा है लेकिन परिस्थितियां कैसी भी हों, मुसलमानों को निराश या भयभीत होने की जरूरत नहीं है। कोई समस्या है तो उसका समाधान भी है।यह भविष्य के लिए एक सबक है। हमें एक नई रणनीति के साथ आने की जरूरत है।यह बात ऑल इंडिया तंजीम उलेमा ए इस्लाम के राष्ट्रीय महासचिव मौलाना शहाबुद्दीन रिज़वी ने कही।
मौलाना ने कहा कि भविष्य के बारे में अच्छी उम्मीदें रखना और हमेशा आशावादी रहना अच्छी बात है।भविष्य को सकारात्मक दृष्टिकोण से देखना होगा।आज की स्थिति में मुसलमानों को भी यही रवैया अपनाने की जरूरत है।उन्हें नकारात्मकता से बचना होगा।मुसलमानों को अपनी स्थिति पर विश्लेषण करना होगा।उन्हें आज तक कुछ नहीं मिला है।इसके विपरीत, कई दल अक्सर अपनी हार के ठीकरे अपने सिर पर फोड़ते हैं।
जैसा कि बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने हाल ही में अनिश्चित शब्दों में कहा है कि मुसलमानों ने हमें वोट नहीं दिया है जबकि वह सच में कहना चाहती हैं कि हम मुसलमानों की वजह से सीट पाने में सफल नहीं हुए हैं।समाजवादी पार्टी, जिसे मुसलमानों ने सामूहिक रूप से वोट दिया है।वह भी सत्ता खो चुकी है।समाजवादी पार्टी ने अपनी सीटों में इजाफा किया है, लेकिन उसे इतनी सीटें नहीं मिल पाई हैं। जिससे उनकी सरकार बन सके।
इसका मुख्य कारण यह है कि समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव अपने स्वयं के समुदाय को पूरी तरह से एकीकृत नहीं कर पाए हैं। इसके बावजूद भी मुस्लिम वोट समाजवादी पार्टी को मिला, लेकिन कई जगहों पर अखिलेश यादव के समुदाय के लोगों ने समाजवादी पार्टी को वोट नहीं दिया. जिसका सबूत है कि यादव बह़ुल्य क्षेत्रों में बीजेपी ने 43 सीटों पर जीत हासिल की है.
मौलाना शहाबुद्दीन रज़वी ने कहा कि मुसलमानों को अब राजनीति और अपनी भागीदारी के बारे में बात नये सिरे से करनी होगी।जब तक कि वे किसी एक खास पार्टी के सहारे जीतते रहेंगे, उन्हें कुछ नहीं मिलेगा।बल्कि मुसलमानों को अब नई रणनीति बनानी चाहिए।
मौलाना शहाबुद्दीन रज़वी ने कहा कि मुसलमानों को अब राजनीति और अपनी भागीदारी के बारे में बात नये सिरे से करनी होगी।जब तक कि वे किसी एक खास पार्टी के सहारे जीतते रहेंगे, उन्हें कुछ नहीं मिलेगा।बल्कि मुसलमानों को अब नई रणनीति बनानी चाहिए। मौलाना ने मुसलमानों को मशवरा दिया है कि अब नए हालात हैं और नए तकाज़े है इसके पेशेनज़र समाजवादी पार्टी के अलावा दूसरे विकल्पों पर विचार करना चाहिए और किसी भी पार्टी के खिलाफ मुखर होकर दुश्मनी मोल नहीं लेनी चाहिए!